आस्था और विश्वास – उषा वेंकटेसन : Moral Stories in Hindi

“बेटा, इस साल हमें गांव जाना है। मुन्ना तीन साल का हो जाएगा और हमें उसके पहले मन्नत पूरी करनी है।” सुभद्रा ने बेटे को कहा। “हाँ मम्मी, मुझे याद है। पूजा और यात्रा कब शुरू होगी? मैं एक हफ्ते की छुट्टी लेता हूं और बुकिंग भी करता हूं।” उसके बेटे ने उत्तर दिया। “हमें … Read more

अब और नहीं – अंकिता सिंह : Moral Stories in Hindi

सपना एक समझदार, मेहनती लड़की थी। माँ के गुज़रने के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी उसी पर आ गई। घर के छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई, खाना, सिलाई—हर काम में वह निखरती गई, लेकिन खुद को पीछे छोड़ती गई। उसका सपना था एक दिन शिक्षिका बनने का, लेकिन हालातों ने उसकी ज़ुबान को चुप करा दिया। … Read more

*अहम * – मिन्नी मिश्रा : Moral Stories in Hindi

आकाश को घर से निकले पाँच दिन हो गये । एक-दो दिन मुझे अकेलेपन का जरा भी अहसास नहीं हुआ, सब कुछ अपनी मनमर्जी से किया । परंतु , आज सवेरे से ही मन बेचैन था.. . कभी टीवी खोलती, कभी खिड़की के पास खड़ी होती, तो कभी वार्डरॉब में उनके कपड़ों को निहारती । … Read more

प्रेम और विश्वास की जीत – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“पापा… मम्मी मुझे पहचानती क्यों नहीं हैं “ 10 साल की साक्षी की यह मासूम, डरी-सहमी सी आवाज़ राजीव के सीने में कहीं चुभ गई। राजीव ने बेटी को अपनी गोद में उठाया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “बस थोड़ा और वक्त बेटा… तुम्हारी मम्मी सबकुछ याद कर लेंगी। हमें हिम्मत नहीं … Read more

“जब माँ साथ चलीं…” – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

“मेघा कहाँ हो?” पति विवेक ने पत्नी मेघा को आवाज दी। तभी मेघा किचन से आकर पति को कहती है, “कहिए! क्या बात है?” इस पर विवेक मेघा से कहता है, “इस बार मुझे सैलरी में अच्छी बढ़ोतरी हुई है और बोनस भी ठीक मिला है। तो मैं सोच रहा था कि इस बार बच्चों … Read more

विश्वास की डोर… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“…लेकिन रितेश… हम मां को ऐसे तो नहीं छोड़ सकते ना… उनके लिए कुछ व्यवस्था तो करनी पड़ेगी…!” ” व्यवस्था… मतलब… तुम कहना क्या चाहती हो…!” ” देखो… मां हमारे साथ नहीं रह सकती… तुम्हारी मां के साथ उनकी नहीं बनती… यह तो हम दोनों जानते हैं… लेकिन मैं उन्हें अकेले घर में बिना किसी … Read more

विश्वास की अटूट डोर – गीता वाधवानी

 आज पल्लवी के पास, जब जेठानी शारदा का फोन आया, तब पल्लवी का  मन खिन्न हो गया। जेठानी की बातों से ईर्ष्या और नकारात्मकता साफ झलक रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके बेटे से जेठ और जेठानी जी इतना जलते क्यों है?         उनके अपने भी तो दो बेटे हैं। हम तो … Read more

क्या यही प्यार है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

देखो जी , मैं कैसी लग रही हूँ? मोहिनी ने नई साड़ी पहनकर इठलाते हुए पूछा। सुदंर मोहन ने बगैर मोहिनी की और देखे ही कहा। हमेशा की तरह मोहिनी चिढ़ सी गई। वो भी कैसी बेवक़ूफ़ है, आज तीस साल हो गए शादी को, फिर भी मोहन को समझ नहीं पाई। अजीब ही बंदा … Read more

शादी के बाद दो जन नहीं, दो परिवार भी एक होते है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

   पिछले कई दिनों से राशि का मूड खराब ही चल रहा था।उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करे कि यह समस्या सुलझ जाए। राशि दो भाईयों सागर और सरल की इकलौती और छोटी बहन थी। सब शादी शुदा और अपने घरों में सुखी थे। दोनों भाई और मां बाप सब इकट्ठे … Read more

विश्वास की डोर – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

माॅं का अपने बच्चों के साथ विश्वास की डोर किसी भी परिस्थिति में ढ़ीली नहीं पड़ती है।उसे अपनी संतान पर पूर्ण विश्वास रहता है,भले ही उसकी संतान उसके विश्वास पर खरा उतरे या न उतरे। कथा नायिका सीमा को सुबह से ही चक्कर और उल्टियाॅं हो रहीं थीं। उसकी शादी के आठ वर्ष बीत  चुके … Read more

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