अनोखा रिश्ता – मंगला श्रीवास्तव

क्या रिश्ता था मेरा उससे कुछ नही, वह सड़क पर मिल था मुझे बारिश की एक रात में भीगते हुए। ठंड से कांप रहा था वह ,मुश्किल से एक महीने का होगा शायद अपनी माँ से बिछड़ गया था। वह मेरी गाड़ी के नीचे आते आते बचा था। जब मैंने उसको उतर कर देखा तो … Read more

एक रिश्ता – के कामेश्वरी

सुलोचना ने आवाज़ लगाई- दुर्गा कहाँ है अभी तक कपड़े घड़ी करना हुआ है या नहीं?क्या कर रही है? सो गई है क्या ? दुर्गा ने उनकी बातें सुनकर भी अनसुनी कर दी थी । माँ उसके कमरे में पहुँची और उसे सोते देख कर उस पर चिल्लाने लगी थी । उनकी कर्कश आवाज़ सुनते … Read more

दो चेहरा -नीलम सौरभ

पूरे मोहल्ले की खबरी विमला बाई पोंछा लगाते घर की मालकिन मेनका जी को बताने लगी, “अम्माँ जी! आपने सुना, पड़ोस वाले मिसिर जी का बेटा सक्षम एक लड़की को भगा लाया है! …माँ-बाप दोनों सदमे में हैं, दूसरे जात की लड़की..फिर 15-20 लाख का नुकसान भी हो गया न, तिलक की रकम का!” एक … Read more

दिनचर्या  – त्रिलोचना कौर

भारती दोपहर खाने के बाद आराम करने जा ही रही थी कि बेटे अभिराज का फोन आ गया” माँ,एक वर्ष के लिए मेरी पोस्टिंग ऐसी स्थान पर हो गई है। मै वहाँ सौम्या और बच्चों को लेकर नही जा सकता अत: इसी हफ्ते मै इन लोगों को छोड़ने घर आऊंगा”                          भारती खुशी से फूली नही … Read more

हम-तुम – सीमा बी

आज काफी दिनों के बाद नहीं दिनों नहीं महीनों के बाद कहीं दूर जाने का मन हुआ है एक लांग ड्राइव पर…. या फिर 2-4 दिनों के लिए इस शोर शराबे से दूर एकांत में जा कर कुछ पल सुकून के गुजार कर फिर से काम में लगा जाए…. अलसाया सा मन, आँखों से नींद … Read more

अधूरा सपना – नीरजा कृष्णा

“सुनिए जी, हमलोग आजतक कहीं घूमने फिरने नहीं गए। आप ऑफिस में खटते रहते हो और मैं इस घरगृहस्थी में।” रमाजी आज किंचित आवेश में थीं। सुधाकरजी आश्चर्यचकित होकर उन्हें देख रहे थे। आज शीतल शांत पोखरी में जैसे किसी ने पत्थर फेंक दिया था। वो वातावरण को शांत करने के प्रयास में चुहलबाजी करने … Read more

पाखंडी – डा.मधु आंधीवाल

वसुधा अपनी खिड़की पर खड़े होकर शाम के धुंधलके में खड़े होकर वृक्ष की ओर टकटकी लगाकर देखरही थी ।एक चिड़िया अपने तीन बच्चों को बार बार दाना लाकर खिला रही थी ।तीनों बच्चों को वह पूरी तरह सुरक्षा दे रही थी ।इतनी देर में एक बाज आया और  उस घोंसले के चारों ओर मंडराने … Read more

चाचा की चाल – मुकुन्द लाल

 हितेश जैसे ही कंपनी के दफ्तरर से ड्यूटी करके लौटा तो देखा कि डेरा में खामोशी छायी हुई है। उसकी पत्नी भूमिका जो दरवाजे के पास उसके इंतजार में मौजूद रहती थी, वह बेड-रूम में पड़ी हुई है और उसके चेहरे पर क्रोध की लकीरें उभर आई है।   उसने उसकी खुशामद करते हुए उसकी कलाई … Read more

“सिया” – रीता खरे

रामश्री काकी की नजरें रोज घूंघट डाले बंशी की दुल्हनरामश्री काकी की नजरें रोज घूंघट डाले बंशी की दुल्हन का पीछा करतीं, पर सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाने के कारण उनके मन में उधेड़ बुन चलती ही रहती थी ।   बंशी शहर की एक गैरेज में काम करता था, वहां से देर रात … Read more

घर में पत्नी भक्त, बाहर आशिक आवारा – सुषमा यादव

शिवानी के पड़ोस में एक प्यारा सा परिवार रहता था, जिसमें पति, पत्नी और दो प्यारे से छोटे बेटे थे। शिवानी देखकर बहुत खुश थी,कि मौली का पति अपनी पत्नी को बहुत मानता था,उसका बड़ा ख्याल रखता , आफिस से आने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों को घुमाने जरूर ले जाता, पत्नी को … Read more

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