माँ जैसी कोई नहीं – उमा वर्मा
रात के बारह बज रहे थे ।नींद कोसों दूर है ।बेटा बहू सो चुके हैं ।मदर्स डे चल रहा है ।खूब लेख लिखा जा रहा है ।माँ की तो बात ही अलग होती है पर पिता कुछ कम नहीं होते।मुझे भी उम्र के छठे पड़ाव पर, अपने अकेले पन में माँ बहुत याद आ रही … Read more