नसीहत –  शिप्पी नारंग | Moral Story In Hindi

सुबह के दस बजे थे कि दरवाज़े की घंटी बजी। प्रमिला जी ने  चाय का कप रखा और दरवाज़े की तरफ बड़ी। रमेशजी भी तब तक अख़बार हाथ में लिए उठ खड़े हुए। प्रमिला जी ने हाथ से इशारा कर दिया कि “मैं जा रही हूं” दरवाज़े की तरफ चल दी। दरवाज़ा खोलते ही जो … Read more

कर्मफल – कमलेश राणा : family story in hindi

बचपन में सभी बच्चे गुड्डे गुड़िया का खेल खेलते हैं और उसमें मम्मी पापा भी जरूर बनते हैं शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने बचपन में गृहस्थ बनने की इस नकल का आनंद न लिया हो यह अनुभूति इतनी प्यारी होती है कि आज भी याद करके चेहरे पर बरबस मुस्कान आ ही जाती है।  … Read more

क्या तुम बर्दाश्त कर लेते – बीना शर्मा

“मेरी मम्मी भी तो आपकी मम्मी जैसी  है यदि मैं भी तुमसे तुम्हारी मम्मी के बारे में ऐसा ही कह देती तो जब वे बीमार हुई थी यदि उस वक्त में आपकी बात मानने से इंकार कर दे देती तब क्या तुम बर्दाश्त कर लेते? सोच लो आज आपकी ना सुनकर मुझे बेहद दुख हो … Read more

नई माँ – पूजा गुप्ता | Real Life Story In Hindi

ग्रीष्म ऋतु की शाम वैसे भी विरक्त और तन्हा और अकेली होती है, लेकिन उस शाम प्रचंड लू के थपेड़ों ने छह बजे के बाद भी शाम को काफी गर्म और उजाड़ बना रखा था। बिना कारण के खिड़की के पास में खड़ा अक्षय दूर थके हारे डूबते सूरज को निहार रहा था। उसने कभी … Read more

पछतावा – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

” कहां हो सुधा?” अमन का फोन है लो बात कर लो” सुधा को हाथ में मोबाइल देते हुए रमेश जी ने कहा ।सुधा सिंक में बर्तन साफ कर रही थी। बेटे का  नाम सुनते ही जल्दी से पल्लू में हाथ पोछा और लपक कर पति के हाथ से मोबाइल ले लिया। “हाँ बेटा बोल … Read more

खून के आँसू – Short story in hindi

 जीवन का सच  “सच में मैं तंग आ चुकी हूं नीलू, लगता है कहीं भाग जाऊं या फिर कुछ कर लूं। कितना भी कर लूं इन लोगों के लिए इनकी तसल्ली ही नही होती। क्या क्या न किया मैने इनके लिए पर इन्होंने क्या किया मेरे साथ,  मेरे गहने तक रख लिए, कहीं आना जाना … Read more

निर्मोही – डाॅ उर्मिला सिन्हा

समय अपनी गति से चल रहा था।सबकुछ नियति के हाथों में है।  आकाश में चांद रजत थाल के समान लटका हुआ है…उज्जवल धवल चांदनी चहुंओर फैली हुई है…गंगा के आंखों में सूनापन…नींद कोसों दूर थी ।      भविष्य का पता नहीं….बेमुरव्वत वर्तमान… और अतीत में उलझा बावडा़ मन।   बाल-विधवा …मूंगा.. न नैहर में कोई न ससुराल … Read more

पछतावे के आँसू –  विभा गुप्ता

  ” लेकिन मम्मी, ऐसा कहना क्या ठीक है?”  नव्या ने अपनी मम्मी प्रेमलता से पूछा तो उन्होंने तपाक-से कहा कि क्यों नहीं..? आखिर तू अनिकेत की पत्नी है।उस पर तेरा अधिकार है।     ” ठीक है मम्मी, मैं सुनयना जीजी से ऐसा ही कहूँगी।” कहकर नव्या अपने घर चली आई।             सुनयना नव्या की जेठानी थी।नव्या का … Read more

 “पछतावा” – गोमती सिंह

——-राजवीर एक बहुत ही खुबसूरत नौजवान था ।  ऊंची कद काठी, गोरा रंग इकहरा बदन वो इतना खूबसूरत था कि  किसी से तुलना ही नहीं किया जा सकता , अनुपम सौंदर्य का धनी था वह । हालांकि यह उम्र का पड़ाव ही ऐसा होता है कि यौवनावस्था में साधारण से साधारण युवक युवतियों में खुबसूरती … Read more

द्वारिका जी की सीख – मीनाक्षी सिंह

पार्क में एक लड़का ,लड़की रोमांस करने में व्यस्त ….वहीं एक 70 वर्षीय बुजूर्ग द्वारिका जी पार्क में घूम रहे थे …फिर थककर बैठ गये …तभी उनकी निगाह उस जोड़े पर गयी ….उनसे रहा ना गया …वो उनके पास गये …दोनों ने जब द्वारिका जी की उपस्थिति महसूस की तो झिझक गए …एक दूसरे का … Read more

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