वर्षा देख तो जरा बाहर जा कर.. तेरे पापा अभी तक नहीं आए,मुझे बड़ी फिक्र हो रही है।
आ जाएंगे मां.. आप यूं ही परेशान हो रही हैं। आपको तो पता है न कि वह किस काम से गए हैं ऐसे कामों में तो देर हो ही जाती है।
पता है बेटा लेकिन इस बार भी लड़के वालों ने कुंडली मांग ली और वह नहीं मिली तो यह रिश्ता भी हाथ से निकल जायेगा। पंडित ने बताया है कि तुम्हारी कुंडली महामांगलिक है इसलिए लड़का भी मांगलिक ही होना चाहिए वरना लड़के का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
अजीब है लोग आज के युग में भी ऐसी सोच रखते हैं जबकि विज्ञान इतना आगे बढ़ गया है और आप मेरे लिए इतनी चिंतित न हों। वैसे भी आपने मुझे इतना तो पढ़ाया ही है कि आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूं इतना तो कमा ही लेती हूं कि अपना पेट भर सकूं। ऐसे दकियानूसी लोगों से रिश्ता न जुड़े तो ही अच्छा है।
बेटा तुम्हारे और मेरे न मानने से क्या होता है हम सामने वाले की सोच तो नहीं बदल सकते न।
वर्षा मां की गोद में सर रख कर लेट गई और सुमन जी उसके बालों को सहलाने लगीं। उन्हें वो दिन याद आने लगे जब वो इस घर में दुल्हन बन कर आई थीं। विकास जी ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि वे एक बेटी के पिता हैं। अगर वो उस बेटी को अपनाने के लिए मन से तैयार हों तो ही शादी के लिए हां करें अन्यथा वह स्वयं कोई बहाना बना कर मना कर देंगे और उन पर आंच भी नहीं आने देंगे।
सुमन जी को उनकी यह साफगोई बहुत पसंद आई और उन्होंने शादी के लिए हां कर दी।
उनकी मां भी बचपन में ही गुजर गई थीं और विमाता ने उन्हें कभी अपनी संतान समझा ही नहीं वह हमेशा मां के प्यार के लिए तरसती ही रहीं थीं। उन्होंने मन में यह ठान लिया था कि जो दुःख उन्होंने उठाए हैं वो वर्षा को कभी भी उनका सामना नहीं करने देंगी वह उसे मां से भी ज्यादा प्यार देंगी और यह उन्होंने साबित भी कर दिखाया था।
जब नन्हीं वर्षा बाहर बच्चों के साथ खेलने जाती तो वो और उनके माता – पिता उससे एक ही सवाल पूछते कि तुम्हारी मां तुम्हें मारती तो नहीं है, वह तुम्हें खाना तो ठीक से खिलाती है न।
जब घर आकर वह सुमन जी को सब बातें बताती तो उनके अंदर कुछ चटक सा जाता। उन्हें इस बात का दुःख होता कि बच्ची के अबोध मन में ये समझदार लोग कैसा जहर भरने की कोशिश कर रहे हैं। यह परवाह की आड़ में अविश्वास बोने के समान था।
जब वर्षा थोड़ी बड़ी हुई तो सुमन जी उससे छोटे – मोटे काम करने को कह देती तो वह बड़ी खुशी – खुशी वह काम कर देती जिसे देखकर मां का मन आह्लादित हो जाता पर उसकी यह खुशी उसकी सास और जेठानी को रास नहीं आती। वे उससे #ईर्ष्या करती थीं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि एक बेटी के पिता से शादी करने के लिए कोई लड़की तैयार नहीं होगी और वो बच्ची की देखभाल के लिए सारी कमाई उनके हाथों में सौंपता रहेगा पर सुमन के आने से उनके ख्वाब बिखर गए थे। यह भड़ास उनके मन में भरी थी।
इसलिए एकांत में वो वर्षा को भड़काती थीं कि यह तुम्हारी सौतेली मां है तभी तो तुमसे काम करवाती है। तुम्हारी तो किस्मत ही खराब है जो तुम्हारी मां असमय ही चल बसी वरना वह थोड़े ही तुमसे काम करवाती वह तो तुम्हें पलकों पर बैठा कर रखती।
कहते हैं न अतीत और भविष्य हमेशा सुहाना होता है और वर्तमान हमेशा कठोर.. कभी – कभी वर्षा को भी ये बातें सुन अपनी मां की कमी महसूस होने लगती और सुमन जी के प्रति उसका व्यवहार रूखा हो जाता पर सुमन जी सब्र से काम लेतीं फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ सामान्य हो जाता।
जिंदगी ऐसे ही चल रही थी वर्षा ने इंटर अच्छे नंबरों से पास कर लिया था आगे नीट की तैयारी के लिए वह कोटा जाना चाहती थी पर उसके पापा ने आर्थिक मज़बूरी बता कर साफ इंकार कर दिया।
विकास आप बेटी को कोटा भेजने के लिए मना क्यों कर रहे हैं?
तुम तो जानती हो सुमन मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि उसकी इच्छा पूरी कर सकूं और आगे चलकर उसके शादी – ब्याह की भी तो चिंता करनी है। मैं उसे आगे पढ़ाने के लिए मना नहीं कर रहा हूं पर बाहर भेजना मेरे बस की बात नहीं है।
मेरे पास कुछ सेविंग और गहने हैं आप उन गहनों को बेचकर उसकी फीस भर दीजिये। वैसे भी मुझे गहने पहनने का शौक नहीं है और वर्षा का भविष्य मेरे गहनों से ज्यादा कीमती है ।
लेकिन वह तुम्हारे मायके से मिले हैं सुमन उनमें तुम्हारी मां के प्यार की खुशबू बसी है.. मैं ऐसा नहीं कर सकता।
तो क्या हुआ.. वो मेरी मां ने मुझे दिये थे और अब उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मैं अब अपनी बेटी को दे रही हूं। आप कोई संकोच न करें यह वक्त की जरूरत है मेरी बेटी किसी गहने से कम थोड़े ही है।
वर्षा दूसरे कमरे में से यह सब सुन रही थी और सोच रही थी कि अगर आज उसकी सगी मां भी होतीं तो शायद यह न कर पातीं। उसका मन उनके प्रति प्यार से भर गया।
वर्षा उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी और कंपटीशन पास कर उच्च पद पर उसकी जॉब लग गई। उसके बाद जो सबसे पहला काम उसने किया वह था अपनी प्यारी मां के लिए जेवर बनवाना। सुमन बेटी के प्यार से गदगद थी।
तभी विकास की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी। आज वह बड़े खुश दिखाई दे रहे थे।
क्या हुआ विकास जल्दी बताओ न,, क्या वो बिना कुंडली के रिश्ते के लिए तैयार हैं।
हां सुमन बिना कुंडली के भी और बिना दहेज के भी.. उन्होंने कहा कि आपकी बेटी तो लक्ष्मी और सरस्वती का समन्वित रूप है ऐसी योग्य बहू अपने घर लाना हमारा सौभाग्य होगा। आज मेरी बेटी ने मेरा अभिमान बढ़ा दिया है।
सुमन हां में हां मिलाते हुए बोली.. आखिर बेटी किसकी है और सबकी सम्मिलित हंसी से घर खिल उठा।
कमलेश राणा
ग्वालियर