तुम सा नहीं देखा – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

मुंबई सपनों का शहर…शायद ही कोई होगा जिसे मुंबई आने का  मन ना हो….ये शहर खींचता है अपनी तरफ…..जगमगाती सड़कें, समंदर, गगन को चूमती हुयी इमारतें, .फैशन भी तो यहीं से शुरू होत है…… कहते है जो एक बार यहाँ आ जाए फिर उसका मन यहीं लग जाता है….

शाम के पाँच बजे मुंबई का मैरीन ड्राइव ..

यहाँ से समन्दर बहुत सुंदर दिखायी देता है लहरों का शोर साफ सुनायी देता है….ढलता हुआ सूरज यहाँ से बेहद खूबसूरत लगता है ….धीरे धीरे बढ़ती हुयी भीड़….. कोई दोस्तों के साथ आया है ..तो कोई अपने परिवार के साथ कुछ लैला मजनू भी है जो हाथ में हाथ डाले घूम रहे है….. इन सबमें कोई था जो दुनियां से बेखबर हेडफोन लगाए

समुंदर की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था ….और डूबते हुए सूरज को देख रहा था … सूरज कल सुबह फिर आएगा कह कर धीरे धीरे समुंदर में समाता जा रहा था …इस वक्त उसने अपनी आँखों को बंद किया और डूबते सूरज का ये मंजर अपनी आँखों में कैद कर लिया ….

तभी पास में रखा उसका फोन बजा उसने अपनी नजरों को तिरछा करके फोन की तरफ देखा और एक मुस्कान उसके होंठों पर तैर गई उसने फोन उठाया और बोला ” हैलो 

दूसरी तरफ से आवाज़ आयी ” यशिका congratulations  टेंडर हमें मिल गया …और आपके अकाउंट में हमने अभी अभी पेमेंट किया है आप चेक कर लेना “

“थैंक्स एंड कांग्रेचुलेशंस ” यशिका ने कहा

“आप के साथ काम कर के अच्छा लगा आगे भी उम्मीद है हम साथ काम करेंगे ” फिर से थैंक्स कह कर उसने फोन काट दिया ।

आज जो टेंडर शाह ग्रुप को मिला था वो कोई छोटी बात नहीं थी बड़ी से बड़ी कंपनी ने इस टेंडर को हासिल करने के लिए जी जान लगा दी थी …इंडिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट “भारत माला ” जिसका काम एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ना और ब्रिज बनाना था जिस काम के लिए पूरे इंडिया को कवर करना था तो प्रोजेक्ट बहुत बड़ा था और उसे पाने की होड़ लगी हुई थी ।

यशिका का फोन फिर से बजा उसने देखा तो माँ लिखा आ रहा था उसने फोन उठा कर कहा ” हाँ मम्मा 

उधर से आवाज़ आयी –” यशी खुश लग रही हो प्रोजेक्ट मिल गया लगता है ?

” मम्मा आप अपनी बेटी पर इतना तो भरोसा कर ही सकती हो “

“मुझे पता था यू आर द बेस्ट “तभी एक और आवाज़ आयी 

” गुन्नू  …. “

” यशी दी मैं आ रहीं हूँ आपके पास “

” क्या “? यशी ने उत्साहित होते हुए पूछा

” हाँ दी बस एक दिन और परसों मै आपके पास 

“लेकिन ?”

“अरे दी जॉब मिली है मुझे मुंबई में और पता है बहुत बड़ी कंपनी है मै भेजती हूँ आपको डीटेल्स आप देख लेना “

” यशी …”

” मम्मा …गुन्नू को जॉब मिल गई और वो भी मुंबई में ये तो बहुत खुशी की बात है आप भी आ जाओ ना गुन्नू के साथ सब साथ में यहीं रहेंगे “

” और मेरी जॉब के जो तीन साल बचे है उनका क्या होगा” ?

अभी तो गुन्नू आ रही है मैं आऊंगी छुट्टी मिलेगी जब … तब तक तुम सम्भाल लेना इसको ।

यशी ने मुस्कुराते हुए हाँ कहा और थोड़ी देर बात करके फोन रख दिया उसने मन में सोचा दो गुड न्यूज एकसाथ आज तो पार्टी करना बनता है 

वो सोच ही रही थी तभी उसका फोन फिर बजा यशी ने मुस्कुरा कर फोन उठाया और बोली “हैलो “

उधर से आवाज़ आयी ” हैलो मेरी जान आवाज़ से लग रहा है कि बाज़ी जीत ली तुमने “

“कोई शक़ “यशी ने हंसते हुए कहा 

” ये बात हुयी ना मेरी जान दिल कर रहा है बस तुम्हें चूम लूँ

तो तुम्हारी ये हसरत हम पूरी कर देते है मै मरीन आयी हूँ तो तुम आ सकती हो “

“क्या तुम मरीन में हो पहले क्यों नहीं बताया ?? मै बस आ रही हूँ …फिर साथ में  सेलिब्रेट करेंगे ” कह कर देविका अपना बैग उठा कर ऑफिस से निकल गई …

देविका ग्राफिक डिजाइनर थी और यशिका की कॉलेज की दोस्त और अब दोनों मुंबई में ही जॉब करती थी ।

मुंबई के ही दूसरी जगह परेल में एक बिल्डिंग के 25th फ्लोर पर बड़ी सी टेबल के एक तरफ दस लोग खड़े थे जो घबराए हुए थे और एक दूसरे को देख रहे थे …..तभी ज़ोर की आवाज के साथ दरवाज़ा खुला और एक नौजवान उस दरवाज़े से अंदर आया….. उसके हाथ में फाइल थी और वो उन सबको गुस्से वाली नजरों से देख रहा था ….बीच में जो कुर्सी रखी हुई थी उसने अपने पैर से उसे धकेला और बोला ” कैसे ?? कैसे हुआ ये ? कैसे ये इतना प्रोजेक्ट शाह ग्रुप को मिला मुझे बताओ अभी” वो इतनी ज़ोर से बोला था कि वह जितने लोग खड़े थे सब डर गए 

सबने अपनी आँखें नीची कर ली …उसने टेबल पर जोर से हाथ दे कर मारा 

“सर आप शांत हो जाए ” उसके असिस्टेंट सचिन ने कहा

तभी दरवाज़े से। एक और शख़्स अंदर आया 

“अभिमन्यु सर.”…सचिन ने कहा

अभिमन्यु ने सचिन की तरफ देखा और उसे अपने हाथ के इशारे से उसको कुछ ना बोलने के लिए बोला 

अभिमन्यु ने कहा ” शौर्य शांत हो जाओ “

” इन सबको निकालो यहाँ से …एक भी मुझे दिखना नहीं चाहिए इतना बड़ा प्रोजेक्ट हाथ से निकल गया इतने एक्सपर्ट्स के होते हुए … वो शाह ग्रुप जिसकी औकात नहीं है उनको मिल गया एक की भी शक्ल नहीं देखना चाहता मै ..”.. कहते हुए शौर्य ने अपने हाथ में पकड़ी हुई फाइल को हवा मे उछाल दिया फाइल में से पेज निकल कर एक एक करके चारों तरफ बिखर गए  …. शौर्य कमरे से बाहर निकल गया अभिमन्यु ने इशारे से सचिन को उसके पीछे जाने के लिए बोला 

“सर सच कह रहे है हमने बहुत मेहनत की थी लेकिन पता नहीं कैसे किसने हमसे कम कोट कर दिया ” उनमें  से एक जिसका नाम विकास था उसने कहा 

” मै जनता हूँ …लेकिन ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था इसका हाथ से निकलना हमारी कंपनी के लिए अच्छा नहीं है

अभी आप सब लोग जाएं और एक हफ्ते ऑफिस नहीं आना … शौर्य को थोड़ा शांत होने दो…”..वो सब  लोग उदास चेहरा लिए चले गए 

उनके जाने के बाद अभिमन्यु वहां रखी हुई एक कुर्सी पर बैठ गया उसने अपना फोन निकाला और उस में से एक नंबर डायल किया ….

उधर से आवाज़ आयी ” हैलो सर बताएं मै क्या कर सकता हूँ आपके लिए ?”

” सिराज पता तो चल ही गया होगा तुम्हें की वो प्रोजेक्ट इस बार शाह ग्रुप को मिल गया ….जरा पता करो कैसे “? क्योंकि शाह ग्रुप के बारे में जहाँ तक मुझे पता ही कोई इतना काबिल नहीं है कि हमसे प्रोजेक्ट ले जाए ।”

“जी सर मै कल शाम तक पता करके बताता हूँ आपको “

“ह्म्म…और हाँ हो सके तो मेरी मीटिंग करा देना वो जो भी है ऐसे ब्रिलियंट को शाह ग्रुप में नहीं हमारे यहाँ होना चाहिए “

“जी सर” सिराज ने कहा और फोन काट कर दिया 

अभिमन्यु सिराज से बात करके बोर्ड रूम से बाहर निकला और सीधे पार्किंग में आकर गाड़ी निकली और चला गया ।

रंधावा कंस्ट्रक्शनस इंडिया का जाना माना ग्रुप जिसको  रघुवीर रंधावा ने शुरू किया और फिर उनके बेटे श्याम रंधावा ने संभाला और अब शौर्य ने उसे बुलंदियों पर पहुँचा दिया…मेट्रो सिटी में कई बड़े – बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करके रंधावा कंस्ट्रक्शनस ने एक अलग ही मकाम बना लिया था….कई पार्टनर्स थे अब और उन सबकी अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी इसलिए रंधावा कंस्ट्रक्शनस इतना बड़ा बन गया ।

ये प्रोजेक्ट रंधावा को ना मिलना बहुत बड़ी बात थी और उस से भी ज्यादा शाह ग्रुप को मिलना ये उनके बड़ी बात थी ।

शाह ग्रुप में खुशी का माहौल था तो रंधावा ग्रुप में सारे बोर्ड्स मेंबर्स इस बात से हैरान थे कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट हाथ से निकल कैसे गया ।

क्रमशः 

एक नई कहानी ले कर आयी हूँ आशा करती हूँ पसंद आएगी 

ये कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है …मेरी गुज़ारिश  है इसे कहानी की तरह ही पढ़े । किसी भी पात्र या घटना  का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है ।

धन्यवाद 🙏 

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©

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