आँसू पीकर रह जाना – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

कभी कभी जीवन में आँसू पीकर रहजाना पड़ता है क्योंकि कुछ बातें हमारी पहुँच से दूर होती हैं और हम वहाँ कुछ नही कर पाते।

   एक निर्धन परिवार में जन्मा भोला अपने नाम के अनुरूप ही सहज सरल था।उसकी एक वृद्ध बीमार माँ थी– पिता बचपन में ही चलेगए थे– एक छोटी बहन थी।बेचारा भोला साइकिल पर कपड़े बेचता था और उसी से उनकी दाल-रोटी चलती थी।

एकबार भोला की माँ बहुत बीमार होगई और भोला के पास इतने रुपये नही थे कि अपनी माँ का इलाज करा सके– बेचारा भोला आँसू पीकर रहगया।वो बाजार गया कि शायद कुछ बिक्री ज्यादा हो जाए। और उस दिन ईश्वर की कृपा से उसका  सारा सामान बिक गया।

भोला बहुत खुश था कि आज वो अपनी अम्मा की सारी दवाई और छोटी बहन के लिए कपड़े और मिठाई लेकर घर जायेगा।वो खुशी में गुनगुनाता हुआ जा रहा था कि अचानक ही उसे एक बच्चा खून से लथपथ जमीन में पड़ा दिखाई पड़ा।भोला बहुत दयालु स्वभाव का था।

वो झटपट अपनी साइकिल से उतरा और उस बच्चे को उठाकर डाक्टर के लेगया।उसकी मरहम पट्टी कराई।उसके पास जितने भी रुपये थे सब उसकी दवाई में खर्च हो गए लेकिन भोला खुश था कि उसने किसी की जान बचा ली।वो घर लौटा लेकिन आज उसके पास अपनी बीमार माँ की दवाई के लिए एक भी पैसा नही था।भोला बेचारा  भोला आँसू पीकर रहगया क्योंकि उसकी मजबूरी थी।

लेकिन कभी कभी ऐसे दयालु आँसू पीकर रहजाने वालों की ईश्वर भी मदद करता है।उसने जिस बच्चे को बचाया था वो एक डाक्टर का बेटा था।

डाक्टर साहब स्वयं आये और भोला का धन्यवाद करा तथा उसकी माँ का इलाज। भोला को अपने यहाँ काम दे दिया।अब भोला को कभी जीवन में आँसू पीकर नही रहना पड़ा।।

लेखिका:

डॉ आभा माहेश्वरी अलीगढ

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