लम्बी उम्र – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू :

क्या सचमुच अम्मा मजबूर हो जाती है बहुओं के आते ही ये सवाल सुनीता के मन में तब तक कौंधता रहा जब तक वो खुद सास नही बन गई। उसे याद है उस रोज की घटना जब वो पड़ोस वाली भाभी के घर में बैठी थीं और पड़ोसन से बतिया ही रही थी कि उनके … Read more

बहू ने ना कहना सीख लिया – परमा दत्त झा : लघुकथा

आज गीता बहुत दुखी थी कारण मम्मीजी ने उसे मैके में जाने का हुकुम सुना दिया था। गीता मम्मी जी के मायके नहीं जाना चाहती थी। सो यह कालेज जब गयी तो जाते समय मम्मी ने हुकुम सुना दिया तीन दिन की छुट्टी कालेज से ले लो। वहां सुरेन्द्र के बेटे मोनू का मुंडन है। … Read more

शहरी बहू – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

छोटा सा दो कमरे का तो मकान है मम्मी जी ! मुझसे इतनी आवभगत नहीं होगी सबकी, बहुत कर लिया । सुषमा जी की बहू नेहा ने गमले में पानी डालते हुए कहा । सुषमा जी निढाल फोल्डिंग पर आँगन में लेटी हुई अकस्मात नेहा के कटु स्वर सुन कर उठ बैठीं । आस – … Read more

तुम भी अपने मम्मी पापा से रिश्ते खत्म कर लों – अर्चना खण्डेलवाल :  Moral Stories in Hindi

मम्मी, मैं घर आ रही हूं, स्वाति ने गुस्से में कहा और सास के समझाने पर भी अपना सामान बांधकर मायके चली गई। रोशनी जी ने दरवाजा खोला तो वो अपनी मम्मी से लिपटकर रोने लगी और फिर कमरे में पैर पटकते हुए चली गई, वहां जाकर सामान रखा और भूख…भूख करते हुए स्वाति ने … Read more

सबक – डा० विजय लक्ष्मी :  Moral Stories in Hindi

बरामदे में पड़ी चारपाई पर बैठे श्यामलाल जी बार-बार एक ही लिफाफा खोलकर देख रहे थे। भीतर से लड़के की फोटो और बायोडाटा निकालते, माथे पर शिकन डालते और फिर अंदर रख देते। उनकी पत्नी सुमित्रा देवी ने पानी का गिलास बढ़ाते हुए पूछा,“क्या हुआ? रिश्ता पसंद नहीं आया क्या?” श्याम लाल जी ने लंबी … Read more

स्वार्थी पिता – सुनीता मौर्या ” सुप्रिया :  Moral Stories in Hindi

जय सियाराम रामेश्वर!” “जय सियाराम विशनू भाई!” “और क्या हाल चाल हैं रामेश्वर?” “सब बढ़िया तुम बताओ कैसे हो?”  “हम भी ठीक हैं…बिटिया देवकी के लिए कोई रिश्ता देखा कि नही?” “अभी तो नही विशनू!” “अब तो  बिटिया सयानी हो गई है कब करोगे शादी!” ” अरे! विशनू अभी तो  बिटिया छोटी है अभी क्या … Read more

सास को नहीं मां को समझने की ज़रूरत है – गीतू महाजन :  Moral Stories in Hindi

“क्या, तूने भी आज परांठे खाएं हैं..पर तू तो कभी नाश्ते में परांठे खाती नहीं..हमेशा ओट्स यां सैंडविच खाती है तो फिर आज परांठे क्यों?अरे,अपनी सास को बोल देती ना”, रश्मि जी फोन पर अपनी बेटी से बात कर रही थी।उनकी यह बातें उनके पास बैठी उनकी बड़ी बहन नंदिता जी सुन रही थी। रश्मि … Read more

बहू ने ना कहना सीख लिया – हेमलता गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

दमयंती जी के छोटे बेटे विशाल की अभी कल ही शादी हुई थी और आज छोटी बहू की मुंह दिखाई की रसमें प्रारंभ हो चुकी थी, रसमें तो क्या थी घर के ही कुछ सदस्य थे जो जाने की जल्दी कर रहे थे किंतु उससे पहले उन्हें मुंह दिखाई की रस्म पूरी करनी थी, चाची … Read more

सन्नाटा – प्रतिमा श्रीवास्तव :  Moral Stories in Hindi

चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था ऐसा लग रहा था की सांसों की आवाज भी कान को भेद रहीं हैं।मजाल है की किसी के मुंह से एक भी शब्द फूटे। आखिर क्या हुआ था सुरेश जी के साथ।जिस अवस्था में उनकी लाश मिली थी। कहां थे परिवार के लोग और कोई साथ क्यों नहीं था … Read more

मान भंग – शुभ्रा बैनर्जी :  Moral Stories in Hindi

प्रत्येक शनिवार, घर के निकट बने शनिमंदिर में कुछ असहाय वृद्ध,कुछ चलने में लाचार,कुछ दृष्टि विहीन पुरुष और महिला सुबह से ही कतार बद्ध होकर बैठ जाते।शनि मंदिर में श्रद्धालुओं का आना निश्चित होता था।हर श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुरूप भगवान के नाम से इन्हें खाने-पीने की सामग्री,पैसे और भी दान दिया करते।रमा नियमित तो … Read more

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