“कावेरी ! ये क्या सुन रही हूँ मैं.. मालती कह रही थी कि, जिससे तेरी शादी होने वाली है, उसकी एक आँख नहीं है! “
“हाँ दीदी .. लेकिन मेरे बाउजी कह रहे थे कि… वो लड़का न.. बहुत अच्छा है l एक आँख से भी दूर… दूर… तक देख लेता है l उसकी ख़ुद की ऑटो है, अगर आँख कमज़ोर होती तो ऑटो कैसे चलाता..! और सबसे बड़ी बात तो, वो तुझे ख़ुद होकर मांग रहा है l अगर दोनों आँख वाला हो और शराब पीकर तुझसे रोज़ मारपीट करे तो अच्छा है क्या …! ” चहकती हुई कावेरी के आँखों की चमक से संतुष्टि साफ़ झलक रही थी.. और ऐसा मालूम हो रहा था, जैसे उसे उसके सपनों का राजकुमार ही मिल रहा है l क्योंकि उसके पिता ने बड़ी सफ़ाई से उसे ऐसा ही समझाया था l
मैं परेशान थी, कि लड़की के भविष्य के साथ उसका बाप तो खिलवाड़ कर ही रहा है..! और कावेरी है कि मेरी किसी भी बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है l क्योंकि जब जब मैंने उसे समझाना चाहा कि ” अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है… शादी, पूरी.. ज़िन्दगी का फ़ैसला होता है l अभी तेरी उम्र भी तो ज़्यादा नहीं हुई है l तू दिखती भी सुन्दर है l ऐसे तू किसी को भी हाँ कर देगी क्या..? साल दो साल रुक जा, अच्छा रिश्ता आये तो हाँ बोलना..!”
पर वो तो कहती ” दीदी ये लड़का न शादी का पूरा ख़र्च दूँगा बोल रहा है l” और ऐसा कहते हुए कावेरी की भाव भंगिमा , मेरी राय को लेकर निर्विकार रहती.. उसे देखकर तो ऐसा लगता जैसे वो एक दूसरी दुनिया में ही विचर रही है .. जैसा अमूमन हर कुँआरी लड़की ब्याह होने के पहले महसूस करती है..! और फ़िर उसे कुछ भी समझाना मुझे व्यर्थ मालूम होने लगा .. I
कावेरी को लेकर मेरे दिमाग़ में यही उथल पुथल मची रहती कि कावेरी का बाप ख़ुद से तो लड़कियों की शादी करेगा नहीं..! दो चार बकरियों को रखा है, उसे बेचता भी है तो उन रुपयों को अपने लिए ही ख़र्च करता है l और लड़कियों की कमाई खा रहा है l इसकी बड़ी लड़की ने भी तो अपने बाप के इसी व्यवहार को ताड़ कर अपनी पसंद के लड़के के साथ भाग कर शादी कर ली थी l लड़का निचली जाति का था l इसलिये समाज ने दंड भरने के लिए कहा .. वरना इन्हें जाति से निष्कासित कर दिया जाएगा! और उन्हीं परिस्थितियों के बीच अचानक ही ब्रेन हेमरेज से उसकी मां की मृत्यु हो गई l माँ के दशगात्र में समाज वाले आये , लेकिन पंगत मे बैठते ही ये कहकर उठ गए कि बड़ी लड़की के ग़ैर जाति में हुए ब्याह का दंड भरने के बाद ही वो दशगात्र का भोजन करेंगे ;अगले ही दिन कावेरी ने मुझसे रुपए एडवांस लेकर बिरादरी के लोगों के लिए भोज का इंतज़ाम करवाया .. (सामाजिक दंड की ये एक ऐसी परंपरा है, जिसमें समाज के लोगों को भोजन का सामान दे दिया जाता है, वे ही बनाते हैं साथ में शराब और कुछ निश्चित धन राशि लेते ही .. अपराधी परिवार दंड मुक्त हो जाता है)
उस हादसे के बाद कावेरी ने अपना काम करते हुए ही सारा कर्ज़ चुकाया l
और अब, जब कावेरी के लिए ऐसा मुफ़्त का रिश्ता आया तो उसके पिता की तो पौ बारह हो गई उन्हें दामाद की आँखों से कोई लेना-देना है नहीं ..!
धीरे-धीरे शादी का दिन भी नज़दीक आने लगा तो एक दिन मैंने कावेरी से पूछा – “तेरी शादी की तैयारी कैसी चल रही है?” ये सुनते ही वो रोने लगी और बोली – “मेरे बाउजी कह रहे हैं, तू अपने मालिक से एडवांस मांग और शादी की तैयारी कर..वैसे भी उन लोगों की तो कुछ मांग है नहीं l तू ही बेकार में ये लूँगी.. वो लूँगी बोल रही है..!
और फ़िर वो एक लंबी… गहरी श्वास लेकर, कुछ देर के लिए मौन हो गई.. पर उसके चेहरे पर गहरी चिंता का भाव आता जाता हुआ साफ़ नज़र आ रहा था..और रह रहकर उसके आँसू आँखों की कोरों से लुढ़क जाते थे .. जिन्हें पोछते हुए कुछ क्षण बाद वो फ़िर बोली – जबसे मैंने होश सम्हाला है न दीदी , तबसे इन्हीं लोगों के लिए ही तो कमा रही हूँ.. और आज, आज जब मैं इनसे कुछ मांग रही हूँ… तो बाउजी ऐसा बोल रहे हैं..l लड़की की भी तो कुछ इच्छा होती है, पर बाउजी इस बात से अंजान बन रहे हैं …क्या वो ये नहीं जानते कि आपसे यदि मैं एडवान्स ले लूँगी.. तो फ़िर ससुराल जाने के बाद आपका उधार कैसे चुकाऊँगी.. ? ” बोलते हुए कावेरी की गहरी उच्छ्वास भरी सिसकी अब धारदार आँसुओं में बदल चुकी थी l
उसकी बातें सुनकर मुझे गुस्सा आया मैंने कहा -” बोलना अपने बाउजी से कि कुछ बकरी हो बेच दो…! ” तो वो बोली -” दीदी मैंने उनसे ये कहकर भी देख लिया.. वो तो कहते हैं – तू तो शादी होकर चली जाएगी.. और मैं बकरी बेच दूँगा, तो क्या हवा पीकर ज़िन्दा रहूँगा….!”
भौचक्की हो गई मैं ये सुनकर.. हालांकि कावेरी के लिए पलंग पेटी के साथ कुछ और सामान का जुगाड़ तो मैंने कर दिया पर यही सोचती रही कि -” कोई पिता, अपनी ही बेटी के साथ… ऐसा कैसे कर सकता है ..? “
मधु मिश्रा, ओडिशा ©®
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