यही जीवन की सच्चाई है – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

उमा ,,उमा उठो …

देखो शायद दरवाजे पर कोई खड़ा है …

जी आपको तो पता है ना…

मेरी तबीयत ठीक नहीं है…

आप ही जाकर देख लीजिये कौन है…

हो सकता है ऐसे ही बच्चे हो कोलोनी के…

वह भी दरवाजा खटखटा के चले जाते हैं…

उमा जी फिर करवट कर लेट गई …

कुंतल जी (उमा जी के पति) लाठी लेकर दरवाजे की ओर आए…

फिर बाहर किसी लड़की को देखकर चौंक गए…

और घबराते हुए फिर उमाजी के पास गए….

उमा,,सुनो तो….वह आई है …

जी…

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कौन आई है…

बताइए तो सही…

अरे,वो वंदना आई है …

क्या वंदना….

पता नहीं उमाजी में कहां की गजब की फुर्ती आ गई…

जो अभी तक बीमार थी …

झट  से उठ गई …

और दरवाजे की ओर दौड़ने लगी…

तभी तेज कदमों से कुंतल जी भी उनके आगे  आए…

जा कहां रही हो….

मेरी वंदना आई है…

दरवाजा खोलने…

कोई जरूरत नहीं है दरवाजा खोलने की…

वह हमारे लिए मर चुकी है …

क्या तुम यह नहीं जानती….

जी …

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आप भी कैसी बात करते हैं…

मैंने उसे जना है…

मेरी कोख से उसने जन्म लिया है …

इतनी नाराजगी के बाद ,,इतना कुछ कहने  के बाद भी  हमारे पास आई है लाडो तो क्या मैं अपनी  बेटी को  बाहर से भेज दूं….

नहीं ,नहीं…

मैं इतनी निर्दयी  नहीं…

उमाजी फिर दरवाजे की ओर दौड़ी…

सोच लेना उमा…

अगर तुमने दरवाजा खोल दिया…

तो तुम अपने पति को हमेशा के लिए खो दोगी….

कुंतल जी की आवाज में रोष  था…

उमाजी भी बड़ी असमंजस की स्थिति में थी …

कि वह पति और बेटी दोनों में से किसको चुनूँ…

जी आपके साथ जीवन के कई बसंत देख लिए हैं …

लेकिन मेरे मेरी बेटी के जीवन में कई वसंत आने बाकी हैं ….

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क्या पता उसे कोई तकलीफ हो …

तभी  हमारे पास आई हो …

है तो आप ही की संतान …

जिद्दी तो है …

बिना किसी वजह के नहीं आई होगी….

उमाजी फिर भी नहीं मानी …

वह कुंतल जी का विरोध करते हुए दरवाजे की ओर चल दी ….

अब दरवाजे पर आवाज आना भी बंद हो गई थी….

वंदना को भी लगा…

शायद अब मां  पापा में से कोई बाहर नहीं आएगा….

वह भी लौटने लगी थी…

तभी उमा जी ने दरवाजा खोला …

सांकर  की आवाज से वंदना की  आंखों में खुशी की चमक आ गयी….

फिर से मुड़ी …

ओ मां …

वंदना अपनी मां की ओर दौड़ी…

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दोनों मां बेटी एक दूसरे के सामने खड़ी थी ….

लेकिन एक दूसरे को गले की लगाने की हिम्मत नहीं हुई …

पूरा मोहल्ला भी इकट्ठा हो गया था…

आखिर वंदना  एक भागी हुई लड़की जो थी…

जिसका पूरे मोहल्ले में तहलका मच गया था ….

कि कुंतल जी उमा जी की लड़की ,,किसी लड़के के साथ भाग गई है…

उसके साथ शादी कर ली है…

इस वजह से कुंतल जी ने उसे अपने परिवार के हिस्से के रूप में कुछ नहीं दिया …

उमा जी का मन पसीज गया…

उन्होंने आगे बढ़कर वंदना को गले लगा लिया….

वंदना  ने भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली …

तभी कुंतल जी की नजर अपनी बिटिया पर गई …

कितनी मासूम सी थी मेरी लाडो  …

कितना गोरा रंग,,मासूम सा चेहरा,,ऐसे लगता था…

कि मुझ गरीब घर में कोई अप्सरा पैदा हो गई हो…

लेकिन यह क्या…

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मेरी वंदना का हाल ऐसा…

इतने मैले गंदे से  कपड़े पहनी हुई …

चेहरे पर न जाने कितने ही दाग धब्बे…

इतना झूलसा  हुआ बदन ….

आखिर मेरी बेटी के साथ ऐसा क्या हुआ…

कुंतल जी का मन अंदर ही अंदर बहुत ही विचलित हो रहा था….

लेकिन थे तो एक मर्द…

जो अपनी बेटी से पूछने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे थे…

कि आखिर  उनकी बेटी का  यह हाल कैसे हुआ….

उमा जी ने कुंतल जी की ओर देखा …

शायद उनकी आंखों में भी कुछ सहमति थी …

तभी तो वह वंदना  को अपने घर के अंदर की ओर ले गई …

मोहल्ले वाले अभी भी उनके पीछे चल रहे थे…

तभी कुंतल जी दहाड़ते हुए बोले …

आपके घर नहीं है क्या …

अपने घर जाकर संभालिये…

अपने घर का काम देखिए …

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आ गए हमारे घर के बीच दखलंदाजी करने…

उमा जी वंदना के  लिए पानी लेकर आई…

खाना लेकर आई…

खा ले लाडो …

नहीं मां …

मैं खाना नहीं खाऊंगी…

वह तो बस आपकी याद आ गई…

तो इसलिए आ गई…

चुप कर…

बड़ी आई ..

जिद करके खाना खाने वाली ,,दिन में चार-चार बार खाना खाती थी …

मैं खाना ना बनाऊं तो पूरे घर को सर पर उठा लेती थी …

अब कह रही है मैं खाना नहीं खाऊंगी…

एक लगाऊंगी तुझे…

वंदना को अपने हाथों से उन्होंने एक रोटी खिलाई …

कुंतल जी जानबूझकर हाथों में अखबार लिए,,कुर्सी पर बैठे नाटक कर रहे थे …

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उनके मन में भी उलझन थी …

आखिर उनकी वंदना  बेटी इस हाल में यहां क्यों आई है…

अब बता वंदना  बेटा…

तू कैसी  है ,,दामाद जी कैसे  हैं…

दामाद जी के नाम पर वंदना  फूट-फूट कर रो पड़ी…

मां  मुझसे  बहुत बड़ी गलती हो गई…

यह बात सच कही गई है …

मां-बाप का किया हुआ फैसला हमेशा सही होता है…

मैं बहुत मूर्ख थी मां …

जिस लड़के  को मैंने  पसंद किया …

वह बहुत ही धोखेबाज था…

उसकी पहले ही शादी हो चुकी थी…

उसे दो बच्चे थे…

मैंने जैसे ही उसके साथ शादी की ..

तो वह उसने मुझे शहर के कमरे में रखने लगा…

मैं उससे कहती…

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कि मुझे अपने घर ले चलो…

लेकिन वह नहीं ले जाता…

तभी एक दिन मैंने उसे एक औरत के साथ देखा…

धीरे-धीरे करके मैं उसका पीछा  करने लगी…

तो मुझे उसकी सच्चाई का पता चला…

मां उसे  बिना बताएं चुपचाप यहां चली आई हूँ…

पता नहीं यहां आप लोग क्या फैसला लोगे …

लेकिन सोचा  ,,अपने जीवन को खत्म करने से पहले,,जिन्होंने मुझे जन्म दिया है …

उनसे इजाजत तो ले लूं …

बेटी के मुंह से यह सुन कुंतल जी तो बिल्कुल अधमरे से हो गए…

उन पर ना रहा गया…

उठे ..

और वंदना के पास आए…

तू पागल हो गई है …

अपनी जीवन लीला समाप्त करने जा रही थी…

आखिर तेरे मां-बाप हैं हम…

मरे नहीं है  अभी…

गुस्से में कुछ कह दिया…

इसका मतलब यह नहीं कि हम तेरे मां-बाप नहीं…

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हो गयी कोई गलती तेरे से …

हो जाने दे …

भूल जा सब …

अब तू हमारे पास रहेगी…

एक पुलिस केस कर देंगे…

उस आदमी को तो जेल की हवा खिला दूंगा …

नहीं नहीं …पापा ..

गलती मेरी भी थी ….

मैं भी तो बहक गयी  थी …

उसकी शादीशुदा जिंदगी है …

उसकी पत्नी की इसमें क्या गलती…

उसे उसका जीवन जीने दीजिए…

कभी  मेरी राह में आएगा तो आगे देखा जाएगा पापा ….

यह बोल वंदना अपने पापा के गले लग गई …

पापा मुझे माफ कर दो…

वंदना बेटा जानती है ,,तेरे जाने के बाद से ही तेरी मां ने बिस्तर पकड़ लिया था …

मैं घर के सब काम कर रहा था…

देख कैसी हो गई है तेरे गम में …

अब दोनों मां बेटी मिलकर अच्छे से रहो …

और खूब बनाओ ,,खाओ..

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मुझे  अपनी बुढ़िय़ा  और लाडो पहले जैसे खिलखिलाती  हुई दिखनी चाहिये…

कुंतल जी बोले …

उमा जी ने भगवान का शुक्रिया किया…

और मन ही मन सोचा…

सच में खून के रिश्ते से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता …

#यही जीवन की सच्चाई है …

चाहे कितनी ही मन में खटास क्यों ना आ जाए …

पर थोड़े से  अपनों के दुख से ही इंसान का मन पिघल  जाता है…

जैसा वंदना के  साथ हुआ था…

कुछ समय बाद कुंतल जी की वंदना बिटिया अपने पैरों पर खड़ी हो गई …

और आज उसकी धूमधाम से कुंतल जी और उमाजी ने दूसरी शादी कर दी…

वंदना अपने जीवन में बहुत ही खुश है…

कभी जीवन में कोई भी गलती हो जाए…

तो एक बार अपनों से कहने  में कोई हर्ज  नहीं…

अपने ईगो में इंसान कई बार गलतियां कर जाता है…

उसका पछतावा उसे जीवन भर होता है …

एक बार झुक कर तो देखिए…

पूरा परिवार आपके लिए  बांह पसारे खड़ा दिखेगा…

सिर्फ पहल की जरूरत है…

जिसकी आजकल बहुत कमी देखी जा रही है…चिंता का विषय है …

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

#ये जीवन का सच है

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