Moral stories in hindi : सुहासिनी कल हमें अप्पाराव की बेटी की शादी में शामिल होना है । सुबह आठ बजे का मुहूर्त है सात बजे घर से निकल जाएँगे । मुहूर्त देख कर गिफ़्ट देकर आ जाएँगे । हम वहाँ खाना नहीं खाएँगे घर पर बना लेना । ठीक है!!
सुहासिनी मेरी बातें सुन रही हो ना?
जी मैं सुन रही हूँ परंतु मैं नहीं आऊँगी आप जाकर आ जाइए ।
ऐसे कैसे नहीं आओगी ? वे दोनों पति पत्नी घर आकर निमंत्रण पत्र देकर गए हैं और तुम कहती हो कि मैं नहीं आऊँगी ऐसा थोड़ी ना होता है समाज में रहते हैं तो रिश्तेदारी निभानी पड़ती है ।
हमारी एक छोटी बेटी है ब्याह के लिए उसके लिए रिश्ता चाहिए है ना तो हमें लोगों के साथ मिलते रहना चाहिए ।
सुहासिनी— बड़ी बेटी ने तो हमारे ख़ानदान में दाग लगा दिया है ना । अब कैसे सबके बीच जाऊँगी । अपना मुँह कहीं दिखाने के लायक़ नहीं रखा है आपकी लाड़ली ने । सबके ताने और खुसुर फुसुर सुनने के लिए मैं नहीं जाऊँगी ।
वहाँ मेरा मामा भी आएगा वह तो ना जगह देखता है , ना ही समय , बस जो मुँह में आए बक देता है । सबके सामने बच्चों को कैसे पालना है लेक्चर दे देगा वह तो मेरे लिए कंस मामा है ।
वहाँ जाकर मुझे अपनी बेइज़्ज़ती नहीं करानी है ।
कोई भी माता-पिता कभी भी यह नहीं सोचते हैं कि उनके बच्चे इस तरह अपनी मनमानी करें और माता-पिता के माथे पर दाग लगा दे । मेरे ख़याल से हमारे लाड़ प्यार का नतीजा है जो उसने हमारे मुख पर उसने कालिख पोत दी है ।
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विश्वनाथ— देख सुहासिनी इतना दुखी क्यों होती है हमारी बेटी अब हमारे घर में ही है । हमने तो उस लड़के को डरा धमकाकर उससे तलाक़ के पेपर्स पर साइन कराकर अपनी बेटी को घर ले आए हैं ना । अब तुम्हें फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है । उसके लिए कोई अच्छा सा रिश्ता देख कर उसकी शादी करा देंगे ।
सुहासिनी— जिसके चरित्र पर ऐसा दाग लगा है कि घर से भाग कर एक चपरासी से शादी कर ली है यह तो कभी ना मिटने वाला दाग है उसके लिए कोई अच्छा वर कहाँ से मिलेगा , पूरी बिरादरी में यह खबर आग की तरह यह खबर फैल गई थी ।
सुहासिनी को वह दिन याद आया जब उसकी बेटी ऑफिस के लिए चली गई थी छोटी कॉलेज चली गई थी और वह अपने पति के साथ बड़की के लिए रिश्ता देखने गई थी जाते समय उससे पूछा भी था तो उसने कहा कि देख आइए ।
वहाँ से जब वे वापस आए तो लैंड लाइन फ़ोन बज रहा था विश्वनाथ ने फ़ोन उठाया और बिना कुछ बोले रख दिया । मुझसे कहा बड़की ने हमें धोखा दिया है । उसने शादी कर ली है । मैं तो जडवत हो गई थी बस मुँह से निकला क्या ?
उन्होंने कहा कि अपने ऑफिस के चपरासी के साथ शादी कर ली है ।
मुझे लगा इतनी पढ़ी लिखी कंपनी में नौकरी करने वाली लड़की को कोई और नहीं मिला । बाद में विश्वनाथ ने उस लड़के को डरा धमकाकर तलाक़ के पेपर्स पर साइन कराया और बेटी को घर लाए । बेटी ने भी नहीं सोचा था कि वह झोपड़ी में रहता है इसलिए पिता के साथ बिना कुछ बोले वापस घर आ गई थी । पर खबर तो दावानल की तरह फैल गई थी।
उसकी सोच पर फ़ुलस्टॉप लगाते हुए विश्वनाथ भी वही बात कह रहे थे ।
विश्वनाथ— देख उसकी क़िस्मत अच्छी थी कि हम समय पर उसे अपने साथ ले आए । मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी बेटी का हाथ थामने के लिए कोई अच्छा सा लड़का जरूर आएगा । अभी तो चल शादी देखकर आ जाते हैं हमारी बातों का क्या वे कभी ख़त्म होंगी ही नहीं ।
बहुत समझाने के बाद सुहासिनी अपने पति के साथ शादी में गई ।
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विश्वनाथ अपनी पत्नी के साथ स्टेज पर गए वर वधू को आशीर्वाद दिया और बिना किसी से मिले सीधे वापस घर आ गए । उन्होंने महसूस किया था कि उनके पीठ पीछे लोग बातें कर रहे थे लेकिन विश्वनाथ ने सुहासिनी को पहले कह दिया था कि किसी की बातों पर ध्यान न देना ना ही जवाब देना ।
दोस्तों कभी कभी बच्चों के कारण माता-पिता को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है। इसलिए बच्चों को चाहिए कि वे जो भी कदम उठा रहे हैं सोच समझ कर उठाएँ ।
स्वरचित
के कामेश्वरी
हैदराबाद
साप्ताहिक विषय— #दाग