“उसकी सांवली सूरत भी बहुत आकर्षक थी कुणाल चौराहे पर मिली थी फिर एक दम ओझल हो गई!” रश्मि घर आ अपने पति कुणाल से बोली।
” किसकी बात कर रही हो तुम रश्मि!” कुणाल अपने मोबाइल से निगाह हटा कर बोला।
“मैं जब बाज़ार से सामान ले कर आ रही थी तो लाल बत्ती पर गाड़ी रोक खड़ी थी अपनी तो एक पांच छह साल की सांवली सी पर बहुत सुंदर लड़की वहां भीख मांग रही थी!” रश्मि बोली।
” रश्मि ऐसे बच्चे तुम्हे हर चौराहे पर मिल जाएंगे इसमें क्या अनोखी बात है!” कुणाल बोला।
” अनोखा है उस बच्ची का आकर्षक चेहरा और उसके बात करने का अंदाज वो कोई भिखारी नहीं लग रही थी किसी अच्छे घर की लग रही थी !” रश्मि बोली।
” हम्म…. कुछ लोग बच्चों का अपहरण कर लेते है और उनसे भीख मंगवाते है।” कुणाल बोला।
” कैसे पत्थर दिल होते है ना ऐसे लोग । किसी बच्चे को उसके माँ बाप से अलग कर ना केवल उस बच्चे की जिंदगी बर्बाद कर देते बल्कि उनके माँ बाप को जिंदगी भर का दर्द दे देते ।……. कुणाल हम उस बच्ची के लिए कुछ नहीं कर सकते क्या ?” रश्मि कुणाल के पास बैठते हुए बोली।
” ओह तो जाग गया समाज सेवा का कीड़ा फिर से ।” कुणाल बोला।
” प्लीज़ प्लीज़ कुणाल हमारे बच्चे नहीं हैं( शादी के कई साल बाद बच्चा ना होने पर जांच करवाने के बाद डॉक्टर ने बोला था रश्मि कभी मां नहीं बन सकती और तबसे वो एक बच्चा गोद लेना चाह रहे थे पर उन्हे मिला नही था अबतक ) पर सोचो हम ऐसे बच्चों को उनके मां बाप से मिला दे तो कितने पुण्य का काम है ये!” रश्मि बोली।
” रश्मि कहां ढूंढोगी तुम उस बच्ची को जरूरी तो नहीं वो फिर उस चौराहे पर आए!” कुणाल बोला।
” कुणाल हम कोशिश तो कर सकते है ना क्या पता इसी से भगवान हमपर तरस खाए और हमे बच्चा गोद मिल जाए !” रश्मि उदास हो बोली
” ठीक है रश्मि में अपने दोस्त इंस्पेक्टर दीपक से बात करता हूं!” कुणाल रश्मि की आंखों में बच्चे के लिए तड़प देख बोला।
” हम्म… मैं भी अपनी दोस्त से बात करती हूं वो ऐसे बच्चों की मदद के लिए बनी एक संस्था चलाती है!” रश्मि खुश होते हुए बोली।
कुणाल और रश्मि के दोस्तों ने उन्हें हर मदद देने का आश्वासन दिया।
अगले दिन कुणाल और रश्मि उसी चौराहे पर पहुंच गए । गाड़ी साइड लगा इंतजार करने लगे उस बच्ची का काफी देर तक वो नहीं दिखी तो वो निराश होने लगे और वहां से जाने की सोच ही रहे थे कि अचानक रेड लाइट हो गई । तभी किसी ने उनकी गाड़ी के शीशे पर दस्तक दी।
” अरे कुणाल देखो वही लड़की!” रश्मि खुशी से चिल्लाई।
सच में वो सांवली सी आकर्षक बच्ची थी कुणाल ने शीशा खोला ।
” अंकल मैने कल से खाना नहीं खाया प्लीज़ मुझे कुछ पैसे दे दीजिए मुझे भूख लगी है बहुत । अगर मुझे पैसे नही मिले तो आज भी भूखा सोना पड़ेगा !” बच्ची रोते हुए बोली।
” बेटा आपका नाम क्या है!” रश्मि ने प्यार से पूछा ।
” आंटी मेरा नाम मिष्टी है!” बच्ची बोली।
” तुम गाड़ी में आ जाओ मैं तुम्हे भरपेट खाना दूंगी!” रश्मि बोली।
बच्ची ना नुकुर करते हुए इधर उधर देखने लगी शायद डर रही थी कि कोई देख ना ले। फिर अचानक ग्रीन लाइट होते ही गाडियां दौड़ पड़ी और बच्ची झट से गाड़ी में बैठ गई क्योकि बच्ची वाकई मे बहुत भूखी थी।
कुणाल ने गाड़ी भगा दी। रश्मि ने उसे चिप्स और चॉकलेट खाने को दी जिन्हें देख बच्ची खिल गई।
” बेटा आप यहां भीख क्यों मांगते हो?” रश्मि ने प्यार से बच्ची से पूछा।
” वो…वो… मेरे मम्मी पापा नहीं है ना इसलिए!” बच्ची बोली।
” कहां हैं आपके मम्मी पापा!” रश्मि ने फिर पूछा।
रश्मि का ये सवाल सुन बच्ची रोने लगी।
” क्या हुआ बेटा रो क्यों रहे हो देखो हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं पर जब तक तुम बताओगी नहीं तो कैसे!” कुणाल ने कहा।
” वो मुझे नहीं पता मेरे मम्मी पापा कहां हैं मैं तो अपने घर के पास वाले पार्क में खेल रही थी तो वो गंदे अंकल मुझे उठा लाए और बोले भीख नहीं मांगोगी तो तुम्हारे मम्मी पापा को मार देंगे!” बच्ची रोते हुए बोली।
” बेटा कोई नहीं मरेगा उन्हें तुम चुपचाप खाओ तुम हम तुम्हारे साथ है !” कुणाल ये बोला और गाड़ी पुलिस स्टेशन की तरफ ले चला।
” बेटा आप जहां अभी रहते हो उस जगह और भी बच्चे है!”इंस्पेक्टर दीपक ने पूछा।
” जी अंकल वहां बहुत सारे बच्चे हैं!” बच्ची बोली।
” आप हमे वहां ले जाओगे!” दीपक फिर बोला।
” अंकल वो गंदे अंकल मुझे बहुत मारेंगे आप तो मुझे वापिस वही छोड़ आओ आज मुझे पैसे ले जाकर देने है उन्हे !” बच्ची डरते हुए बोली।
” तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा हम तुम्हे तुम्हारे मम्मी पापा के पास पहुंचा देंगे!” दीपक बोला।
” सच्ची अंकल!” बच्ची हैरानी से आंखे मटकाते बोली।
तभी वहां रश्मि की सहेली भी आ गई जो महिला एवम् बाल विकास संस्था से जुड़ी थी । दीपक बच्ची का भेस बदल उसे उसी जगह लेकर गया जहां दूर से बच्ची ने ठिकाना बता दिया जहां बाकी बच्चे भी रहते थे ।
बच्ची को रश्मि और कुणाल को सौंप दीपक ने अपनी टीम के साथ छापा मार सभी बच्चों को आज़ाद करवाया और वहां से तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
कुछ बच्चे अपने घर का पता जानते थे उन्हें उनके मां बाप को बुला सौंप दिया गया बाकी मिष्टी जैसे दो बच्चे और थे जो अपने मम्मी पापा का नाम जानते थे पर घर का पता नहीं उनकी तस्वीरें अख़बारों में दी गई , सोशल मीडिया पर डाली गई जिन्हें देख मिष्टी के मम्मी पापा आ गए
और उचित जानकारी ले मिष्टी उन्हें सौंप दी गई।( जब तक मिष्टी के माता पिता नही आये रश्मि ने इंस्पेक्टर से रेक्वेस्ट कर उसे अपने घर रखा इससे उसके घर का सूना पन कुछ समय के लिए भर गया।)
अपने मम्मी पापा के गले लग मिष्टी बहुत रोई।
फिर वो कुणाल और रश्मि के पास जा उनके गले लग गई “थेंक यूं अंकल आंटी मुझे मेरे मम्मा पापा से मिलने के लिए ।”
रश्मि की आंखों में भी आंसू आ गए बच्ची से लगाव जो हो गया था उसे।
” आप मुझसे मिलने आओगी ना आंटी!” बच्ची रश्मि से बोली ।
” बिल्कुल आएंगे!” कुणाल उसे गोद में उठा बोला। उसने मिष्टी को उसके पापा को सौंप दिया मिष्टी के मम्मी पापा कुणाल और रश्मि का धन्यवाद करते नहीं थक रहे थे। दोनों ने एक दूसरे के फोन नंबर लिए और विदा हो गए।
बाकी बचे दो बच्चो को रश्मि की सहेली की संस्था में रखा गया जब तक उन्हें लेने कोई नहीं आता तब तक के लिए।
” कुणाल कितना सुकून मिल रहा आज बच्चों को उनके मां बाप से मिला!” घर आ रश्मि कुणाल से बोली।
” सही कहा रश्मि तुमने पर मिष्टी के बिना घर सूना हो गया।” कुणाल बोला।
” हां मिष्टी ने हमारे घर की कमी को कुछ वक़्त के लिए ही सही पूरा तो किया और हमे मां बाप वाली फीलिंग जीने का मौका दिया!” रश्मि उदास हो बोली।
रश्मि और कुणाल की जिंदगी पहले कि तरह चलने लगी पर अब उसमे एक बदलाव था रश्मि मिष्टी से रोज वीडियो कॉल पर बात करती और जितनी देर बात करती वो बहुत खुश रहती।
” रश्मि रश्मि जल्दी आओ!” एक शाम कुणाल ऑफिस से आ बोला।
” क्या हुआ कुणाल !” रश्मि रसोई से निकलती बोली।
” रश्मि हमारी बच्चे को गोद लेने की अर्जी मंजूर हो गई कल हमे बुलाया है उन्होंने बच्चा पसंद करने को!” कुणाल खुश हो बोला।
” सच्ची कुणाल अब हम भी मां पापा बनेंगे … हम एक प्यारी सी गुड़िया लाएंगे मिष्टी की तरह!” रश्मि बोली।
” बिल्कुल ये मिष्टी के शुभ चरण ही तो हैं जो इतने वक़्त का इंतजार ख़तम हुआ!” कुणाल बोला।
अगले दिन दोनों ने आश्रम से एक सांवली सी प्यारी सी दो साल की बच्ची गोद ली जिसने उनकी सूनी जिंदगी रोशन कर दी ।
दोस्तों ऐसे कितने बच्चे है जिन्हें कुछ पत्थर दिल लोग लालच में अपने परिवारों से दूर कर देते है और यूं सड़क पर भीख मांगने को छोड़ देते है
अगर आपको कोई ऐसा बच्चा दिखे और शक हो तो कम से कम पुलिस को एक फोन तो घुमा ही दीजिए क्या पता आपके कारण कोई बच्चा अपने परिवार से मिल जाए। क्या पता उनके मां बाप की दुआएं आपके रुके काम पूरे कर दे।
कैसी लगी आपको मेरी रचना बताइएगा जरूर !!
#पत्थर दिल
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल