अरे! क्या हुआ इतनी रात में लगभग चार-पांच दोस्त रमेश को लेकर घर आए …देवकी डर गई मेरे पति को क्या हो गया है?
रमेश कभी किसी की बात नहीं सुनता था बहुत जिद्दी प्रवृत्ति का था।
देवकी कई बार उसे सचेत कर रही थी कि तुम वक्त से डरो !अपने ऊपर ध्यान दो अपने बच्चों के ऊपर ध्यान दो !
लेकिन रमेश को कोई फर्क नहीं पड़ता था ।
और उसे गुस्सा आ जाता था तो देवकी के ऊपर हाथ भी उठा देता था।
देवकी गरीब परिवार से थी बहुत धार्मिक और सीधी-सादी लड़की! जिसकी शादी लगभग 5 साल पहले हुई थी ।
दो छोटे-छोटे बच्चे देवकी ने अपना घर बहुत अच्छे से संभाला था।
लेकिन रमेश की गुस्से के आगे उसे झुकना ही पड़ता था ।
और अपने बच्चों के लिए वह सब कुछ करने तैयार थी।
दिन भर वह सिलाई कढ़ाई बुनाई में समय व्यतीत करती थी।
और घर खर्च चलाती थी रमेश को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता था।
वह कमाता तो बहुत अच्छा था लेकिन हर समय अपने दोस्तों के साथ उड़ा देता था।
उसे दोस्ती यारी बहुत अच्छी लगती थी।
जब वह ऑफिस से लौटता था यदि घर आ गया तो खाना खा लेता था।
नहीं तो वह अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता था ।
एक दिन अचानक रमेश की बहुत तबीयत खराब हो गई और उसे लगभग 5-6 दोस्त घर लेकर आए।
देवकी डर गई… देवकी लगभग 12:00 बजे तक जागती रही.. और उसकी नींद कब लग गई… उसे पता ही नहीं था जब दरवाजे पर घंटी बजी तब उसने जाकर देखा रमेश को चार-पांच दोस्त लेकर आए हैं।
और उतनी ही रात में दोनों बच्चों को सोते हुए छोड़कर घर पर ताला लगाकर हॉस्पिटल चली गई…. और रात भर जागती रही डॉक्टर ने जवाब दे दिया कि अब रमेश का हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
इसके पहले भी कई बार रमेश को एडमिट कराया था बाहर का खाना पीना बहुत अच्छा लगता था।
रमेश को पार्टी में जाना दोस्तों के साथ मिलकर घूमने जाना उसे बहुत अच्छा लगता था।
कई बार तो घर में पंडित जी पूजा करने आते थे …पर नियम देकर जाते थे कि रमेश अब तुम आगे से कोई गलत काम नहीं करोगे।
लेकिन रमेश की समझ नहीं आता था उसे कभी किसी से डर नहीं लगता था।
देवकी ने रमेश के मां-बाप से भी कह कर रखा था।
कि आप रमेश को बोल दीजिए कि वह घर पर ज्यादा ध्यान दे बच्चों पर ध्यान दें मैं सिलाई कढ़ाई तो कर लेती हूं …
लेकिन उतना खर्च मैं नहीं निकल पा रही हूं बच्चों की फीस भी बहुत अधिक हो गई है ।
और रमेश को कितने बार में सचेत करूं उसे समझ में ही नहीं आ रहा है।
देवकी ने इस बार फिर से रमेश को कहां था कि तुम वक्त से डरो वक्त…. यदि चला गया तो हम क्या करेंगे वक्त रहते ही हम अपने बच्चों की देखरेख कर ले ।
उन्हें अच्छे से पढ़ा ले और बड़े होकर वह लायक बन जाए लेकिन रमेश को यह सब बातें समझ में ही नहीं आ रही थी।
इस बार अस्पताल में रमेश ने हाथ पकड़ कर देवकी से कहा तुम मुझे ठीक कर दो ..मैं तुम्हारा सारा पैसा लौटा दूंगा।
अब मैं कभी अपने दोस्तों के साथ बाहर खाने पीने नहीं जाया करूंगा।
तुम बस मेरे लिए…. देवकी बहुत धार्मिक थी उसे भी रमेश के ऊपर दया आ गई।
और उसने जल्दी ही अपने गहने उतारे और अस्पताल के काउंटर में जाकर रख दिए।
और उन्होंने डॉक्टर के हाथ पैर जोड़े की मेरे पति को जल्दी ही ठीक कर दो ।
एक डॉक्टर बहुत ही सज्जन थे उन्हें बहुत दया आ गई देवकी के ऊपर… और इस समय सास ससुर भी आ गए ।
ससुर भी थोड़ा सा पैसा लेकर आए और रमेश का इलाज शुरू हो गया।
कुछ महीनो में रमेश अच्छे से चलने फिरने लगा और ऑफिस जाने लगा।
इस प्रकार से देवकी कि भगवान ने सुन ली।
और रमेश अच्छा होकर चलने फिरने लगा और ऑफिस भी जाने लगा।
रमेश को अब सारी बातें समझ में आ गई उसके बच्चे बड़े हो रहे थे।
उसने बच्चों पर ध्यान देना शुरू कर दिया और अपना पैसा जो सैलरी का होता था ।
वह देवकी के हाथ में आकर रख देता था देवकी भी खुश होकर अपने गृहस्थी को अच्छे से चला रही थी।
आज के युग महंगाई का दौर है और यदि घर में एक ही व्यक्ति कमाने वाला हो और वह भी उसे व्यर्थ में गंवा दे तो फिर बहुत मुश्किल होता है घर चलाना।
विधि जैन