वक्त बदल गया – मंगला श्रीवास्तव : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : आ गई महारानी जी अरे बाहर से इतनी देर से काम करके आओगी तो घर का काम क्या तुम्हारी माँ करेंगी आकर, बेचारा मेरा बेटा आज गिर गया कितनी चोट आई उसको पर तुमको क्या करना ? तुमको उसकी कोई परवाह तो है नहीं वह तो अच्छा है हम लोग अभी जिंदा है नहीं तो तुम तो हमारे बेटे को दाना पानी तक के लिए तरसा देती बेचारा इधर उधर मारा मारा फिरता l

तुम तो अपनी मस्ती में चूर हो पता नहीं काम करती हो या ऑफिस में मौज मस्ती करती हो

सुन्दरी जैसे ही घर में घुसी उसकी सास श्यामा देवी ने उसको जली कटी सुनाना शुरू कर दिया था l

आज उसको थोड़ी देर ज्यादा हो गई थी घर आने में बेचारी सुंदरी सुबह से घर का पूरा काम करके निकलती और फिर अपने ऑफिस में भी दस लोगों से माथा पच्ची उपर से उसका मैनेजर भी एक नंबर का खड़ूस था l अपने किसी भी कर्मचारी को एक पल भी चैन की साँस नहीं लेने देता था l

पर घर आकर भी उसको सकून से दो रोटी भी खाने को नहीं मिलती थी l

पति जीवन एक नंबर का मक्कार अपने माता पिता का इकलौता सर चढ़ा बेटा था काम तो क्या करता बाहर जाकर पर थोड़ा बहुत जो कमाता सारा रुपया शराब में जुए में उड़ा देता या कभी कभी कई कई दिनों तक घर में ही पड़ा रहता था l और तो और अपने दोनों छोटे से मासूम बेटों को भी वह कभी कभी मार देता, कितनी ही बार उनको बचाने के चक्कर में वह खुद भी उसके हाथो की मार खा लेती थी l ज्यादा कुछ बोलती तो सास अपने बेटे का ही पक्ष लेती l

अपने दोनों जुड़वां बच्चों को वह इस माहौल से दूर रखना चाहती थी इस कारण उन को उसने बाहर होस्टल में डाल दिया था l जिससे वह अपनी पढ़ाई अच्छी तरह कर सके कुछ बन सके l

उसके इस तरह बच्चों को घर से दूर रखने के कारण भी उसकी सास उसको हर वक्त जली कटी सुनाती रहती पर वह अनसुना कर देती l

इतने सालो तक वह अपने मुहँ पर एक चुप्पी सी साध कर चिकने पत्थर के समान हो गई थी जिसको कोई असर नहीं पड़ता था किसी भी बात का l

आज सालो बाद उसके चेहरे पर एक रौनक सी आई थी उसके दोनों बेटे बाहर से आने वाले थे उसके सपनों को पूरा कर आज दोनों ही इंजीनियर बन चुके थे और उनका प्लेसमेंट भी अच्छी बड़ी कम्पनियों में हो गया था l

जैसे ही दरवाजे की घंटी बजी

उसने जल्दी से दरवाजा खोला इतने सालो बाद अपने बेटों को सामने देख कर उसकी आँखों से आंसू बहने लगे दोनों बेटे भी अपनी माँ से लिपट कर रो पड़े, क्योंकि माँ के बुलन्द हौसले के कारण ही वह इतने दूर रहकर कुछ बन पाये थे l

पिता के उस स्वरूप को वह कभी नहीं भूल सके थे, ना ही अपने दादा दादी के व्यवहार को जो उन्होंने उनकी माँ से किया था l

दोनों जैसे ही अंदर आये उनके दादा दादी और जीवन उनके पास आकर गले लगाने के लिए हाथ बढ़ाए परंतु दोनों ने ही उनको रोक दिया ना ही उन लोगों के पैर छुए ना गले लगे l राघव बोला कि आप लोगों को कोई हक नहीं है हमे प्यार जताने का और य़ह दिखाने का हम आपके बेटे या पोते है क्यों कि आप लोगों ने आज तक हमारे लिए किया ही क्या है मारने के सिवाय, आज माँ के त्याग और तपस्या से ही आज हम इस मुकाम तक पहुंचे है, जो कार्य पापा को करना था हमारे लिए वह माँ ने किया हमारे लिए और

आज हम यहां बस अपनी माँ को लेने आए है, बहुत कर लिया उन्होंने आपके लिए पर आज तक दादी पापा आपने उनको वह मान सम्मान नहीं दिया जिसकी वह हकदार थी और है l

आज भी वह घर बाहर दोनों को आप लोगों को सम्भालती रहीं अगर वह जॉब नहीं करती तो न य़ह घर चलता ना ही हम लोग कुछ बन पाते, आपकी जली कटी बाते आपके ताने आज भी

हमारे कानो में गूंजते है दादी हमने कितनी ही रातों को माँ को रोते हुए देखा है वह दिन हम कभी नहीं भूल सकते l

जीवन श्यामा देवी और दामोदर जी के मुहँ पर यह सुनकर ताला लग गया था आज वह कुछ भी नहीं बोले पाए, क्योंकि अब वक्त बदल गया था l

मंगला Shrivastava इंदौर

स्वरचित मौलिक रचना

#जली कटी सुनाना

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