“विश्वास की डोर” – सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रमन और जीतू बचपन से एक साथ एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे । पढ़ाई में एकदम प्रथम हर साल क्लास में नंबर वन रहना ही उनकी दोस्ती का कारण था । हर क्षेत्र में दोनों साथ-साथ सांस्कृतिक प्रोग्राम में या खेलकूद में दोनों का प्रथम श्रेणी ही रहता था । 

रमन के पिताजी रंजन जी सरकारी ऑफिस में बड़े ऑफिसर हैं । जीतू के पिताजी बैंक में कैशियर हैं । दोनों के घर आमने-सामने पॉश कॉलोनी में है । शाम को सब साथी लोग पार्क में खेलने आते । धीरे-धीरे समय के साथ-साथ बड़ी क्लास में चढ़ते गए । ग्रेजुएशन करके अपनी आगे के लिए कंपटीशन की तैयारी में लगे रहते । 

इस बीच जीतू के पिताजी का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया । दोनों दोस्त बिछड़ गए । दोनों की दोस्ती की मिसाल पूरा स्कूल और सर जी गुरुजी सभी लोग देते थे । दोस्ती में दोनों के नेचर अलग-अलग थे । जहां रमन सीरियस और जीतू हंसमुख । साथियों को अपनी बातों से हंसाता रहता है । जहां रमन कम बोलता पर अपनी मुस्कुराहट से सब का मन खुश करता रहता ।

रमन की पढ़ाई के बाद अपने ही शहर में कंपनी में अच्छे पोस्ट पर जॉब लग गई । जीतू अभी अपनी सर्विस के लिए कंपीटीशन की तैयारी में बिजी रहता । रंजन जी की पत्नी राधा जी ने कहा अब हमें रंजन की शादी के लिए कोई अच्छी लड़की मिले तो उसकी शादी का विचार बनाया जाए ।

रंजन जी ने कहा सच मे मैं भी यही चाहता हूं । परंतु एक बार हमको रमन से उसकी पसंद के बारे में बात कर लेनी चाहिए । हमारे समय में और अब के समय में बहुत अंतर आ गया है । हमारे बुजुर्ग लोग जो कहते थे उनकी पसंद ही हमारी पसंद होती थी । अब बच्चों की राय उनकी पसंद का ख्याल रखना पड़ता है ।

रात को खाने के समय  राधा जी ने रमन से कहा बेटा हम सोच रहे हैं तेरी शादी अब करने की । कोई लड़की तुझे पसंद है क्या तो बताना । रमन ने कहा मां इतनी जल्दी । वह बोली हां बेटा धीरे-धीरे मेरी उम्र बढ़ती जा रही है ।

घर में दिन में अकेले-अकेले बोर हो जाती हूं । तुम और तुम्हारे पापा ऑफिस चले जाते हो । घर में बहू के आने से रौनक हो जाएगी । ठीक है जैसी आप लोगों की मर्जी । आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी । 

पापा के साथ ही आलोक जी की बेटी रेनू बचपन से देखी हुई है । वह बड़ी होकर बहुत सुंदर सुशील संस्कारी बच्ची है । हम दोनों को बहुत पसंद है । हम लोग तेरी पसंद जानना चाहते थे । तेरे पापा ने उनको बताया वह लोग भी राजी हो गए । दोनों ने तो पहले से ही मन बना रखा था । बच्चों की राजा मंदी चाहते हैं ।

दोनों बच्चों ने आपस में सलाह करके अपनी रजामंदी दे दी । एक महीने का समय के अनुसार शादी की तैयारी शुरू हो गई । लोगों को निमंत्रण कार्ड भेजे गए । जीतू का भी परिवार आया । सब लोगों ने ऐसी खुशी खुशी शादी की खुशियां मनाई । जीतू को अपनी भाभी रेनू बहुत पसंद आई । वह अपने मस्त स्वभाव से हंसी मजाक से सब का मन लगाये रहता ।

रेनू भी उसके खुले विचारों और तारीफों से बड़ी खुश रहती । अब उसके जाने के बाद रेनू रमन का प्रोग्राम घूमने जाने का था । दोनों लौट कर आए अपने-अपने काम में लग गए । एक दिन सासू मां ने रेनू से कहा बेटा यदि तुम सर्विस करना चाहती हो तो खुशी-खुशी अपनी इच्छा बता देना । यहां किसी को कोई एतराज नहीं होगा । रेनू ने बताया मुझे तो आपके साथ घर में रहना पसंद है ।

तब से सास बहू दोनों का खुशी-खुशी घर के कामकाज में हंसी मजाक में दिन बीतता । मां कुछ अच्छी सब्जी या नाश्ता बनाती तो रेनू बड़े प्यार से उनसे पूछती । मां आप इतना अच्छा नाश्ता सब्जी सब बनती हैं मुझे भी सीखना है आपसे । मां बड़े प्यार से समझाती तू अभी बच्ची है । समय के साथ सब सीख लेगी । दोनों मिलकर हंसी खुशी से मस्त रहती है ।

शाम को ऑफिस से जब रमन आता तो मां दोनों को बाहर घूमने भेज देती । यह कहकर कि रेनू दिन भर घर में रहती है । तुम दोनों घुम आओ । रेनू खुश होकर अच्छे से तैयार होकर आती है । और अमन से पूछती है मैं कैसी लग रही हूं । रमन अपने स्वभाव के अनुसार मुस्कुरा कर कह देता है बहुत सुंदर । रमन रेनू को प्यार तो बहुत करता है ।

अपने स्वभाव के अनुसार फालतू फॉर्मेलिटी पर विश्वास नहीं करता । उनकी प्यार और विश्वास की डोर दिन पर दिन गहरी होती जाती । परिवार का प्यार अपनापन पाकर दोनों का प्यार आसमान चढ़कर बोलता है । दोनों परिवार का प्यार अपनापन पाकर महत्वकाछीं दांपत्य जीवन जी रहे थे । विश्वास की डोर में पूरा परिवार मस्त-मस्त रहता

एक दिन रमन अपने ऑफिस से काम में बिजी था । उसको ऐसा आवास हुआ कि कोई खड़ा है । उसने आखं उठा कर देखा । जीतू अचानक कैसे । उसने बताया मेरी पहली पोस्टिंग तेरे ही शहर में हुई है । मैं कुछ दिनों होटल में रहकर मकान आदि का प्रबंध करूंगा । दोनों दोस्त खुशी-खुशी गले मिले ।

रमन ने उसको डांटते हुए कहा तू पागल है क्या । होटल में क्यों रहेगा । मेरा घर नहीं है क्या । ऑफिस से शाम को दोनों खुशी-खुशी घर पहुंचे । रमन ने मां से कहा देखो कौन आया है । रमन की आवाज सुनकर मां और रेनू बाहर आए । देखा जीतू है । जीतू को देखकर खुश हो गए । रेनू चाय नाश्ता लेकर आई । सबने साथ में चाय नाश्ता किया ।

हंसी ठिठोरी के बीच जीतू को अपनी नेचर के अनुसार रेणु भाभी से खूब मजाक करता । क्या चाय है नाश्ते का भी जवाब नहीं । गाजर का हलवा भी भाभी की मुस्कान से कम नहीं । वाह क्या बात है भाभी के हाथों में । शाम को तीनों लोग घूमने चले गए । घूमने के साथ-साथ हंसी मजाक चलता रहा । रेनू भी खुले विचार की हंसमुख प्रवृत्ति की है ।

सब लोग मस्ती मस्त डिनर करके लौट आए । रमन अपने स्वभाव के अनुसार अपने स्माइल से बीच-बीच में खुशियां जाहिर कर देता है । इस प्रकार रोज शाम को प्रोग्राम रहता है । जीतू भी स्वभाव के अनुसार रेणु की तारीफों से हंसता रहता है । क्या लिपस्टिक लगाई है आपने।  चेहरे पर चार चांद लगा रही हैं । रेनू भी अपनी तारीफ सुनकर मन ही मन खुश रहती । इस तरह दिन बीतते रहे । जीतू जाने को कहता तो कभी रमन कभी रेनू उसको रोक लेते हैं ।

एक दिन रमन की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी । उसने कहा आज तुम लोग घुम आओ । रेनू ने मना कर दिया । रमन के कहने पर दोनों चले गए । वापस आए तो रमन ने देखा जीतू बड़े प्यार से रेनू का हाथ अपने हाथ में लिए मस्ती में चले आ रहा है । रमन को यह देख थोड़ा सा दिल में झटका लगा । परंतु उसको अपने प्यार पर और विश्वास पर पूरा भरोसा है । दूसरे पल ही उसने अपने मन की

उलझन को झटक दिया । परंतु रेनू के मन में जीतू के प्रति नई कोपले मन में झनझना रही थी । दूसरे दिन रमन का ऑफिस से फोन आया । मुझे ऑफिस से आने में देर हो जाएगी । जीतू और रेनू घूमने निकल गए । सर्दियों का मौसम था । बरसात हो रही थी । दोनों के दिलों में प्यार की अपनी फुलझड़ी जगमगा उठी । रात को घर आए मां ने देखा दोनों एक दूसरे के गले में बाहें डाल हंसते खिलखिलाते

चले आ रहे हैं । उन्होंने देखा मां को सक पका कर एकदम  एक दूसरे से दूर हट गए । मां ने कहा रेनू ठंड है तुम पूरी भीग गई हो । जाकर कपड़े चेंज करो । जी मां जी कहकर वह अपने रूम में चली गई । रमन के मन में भी सशंय की लहरें मचल उठी । परंतु अपनी भावनाओं को उठने से पहले दबा दिया । मेरे विश्वास की डोर ढीली नहीं हो सकती । रात गई बात गई । सुबह दोनों दोस्त ऑफिस चले गए ।

ऑफिस मैं उसके एजेंट ने दुबई की फ्लाइट की दो सीट बुक करने के बारे में बताया । यह जानकर रमन सोच में पड़ गया है । किसने कराई है । उसको तो कहीं जाना ही नहीं है । तब उसने बुकिंग सीट के नंबर और नाम देखा जीतू और रेनू देखकर रमन का कॉन्फिडेंस जवाब दे गया । फिर भी उसको अपने प्यार पर पूरा विश्वास है । वह जागता सा लेटा रहा । रेणु की गतिविधियां देखता रहा ।

सुबह 9:00 बजे की फ्लाइट है । जैसे ही रेनू वॉशरूम गई रमन ने एक कागज पर लिखकर रख दिया । जहां कहीं भी रहो खुश रहो । मैं तुमको हर हाल में कुछ देखना चाहता हूं । मेरा प्यार और विश्वास तुम्हारे साथ सदा रहेगा । रेनू वाशरूम से आयी । और उसने कागज उठाकर पढ़ा । पढ़कर एक साथ रमन के पैरों के पास बैठकर रोने लगी । और माफी मांगते हुए बोली मुझे माफ कर दो रमन ।

मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई । असली हीरे को छोड़ नकली हीरे की चमक में बह गई । रमन ने उसको उठाकर गले से लगाया  बोला मेरे मन में कोई नाराजगी नहीं है । मैं तुमको खुश देखना चाहता हूं ।

मुझे पूरा विश्वास है अपने प्यार पर । दोनों एक दूसरे के प्यार में खुशी-खुशी सो गए । सुबह उठे तो सूर्य के किरणों ने रात की जमीकंद को साफ कर दिया । कुछ समय पश्चात रेनू ने एक प्यारी सी कली को जन्म दिया । उसकी किलकारी से पूरा परिवार खिल उठा । जिन्होंने अपने मधुर स्वभाव से पूरे परिवार को एक डोर में लपेट लिया ।

रमन के पापा मां भी अपने छोटे से परिवार मे बहुत खुश रहते । उधर पूजा घर में भजन चल रहा है । घर एक मंदिर है मां-बाप की जिसमें होती है । पूजा यही  है यही भगवान है । रेनू भी रमन से अपनी गलती की माफी मांगती है । रमन ने कहा तुमने कोई गलती नहीं की । जीवन धारा है बीच-बीच में कई रोढ़े आ जाते हैं । मेरी विश्वास की डोर कमजोर नहीं है ।

ना ही हो सकती है । दूसरे दिन जीतू का फोन आया भगवान मुझे जिंदगी भर  माफ नहीं करेंगे । मैंने अपने प्यारे दोस्त के विश्वास को तोड़ा । मुझे माफ कर दे मेरे दोस्त । तेरा विश्वास घाती बदनसीब दोस्त यही है 

विश्वास की डोर

लेखिका

सरोजनी सक्सेना

जयपुर

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