आज पल्लवी के पास, जब जेठानी शारदा का फोन आया, तब पल्लवी का मन खिन्न हो गया। जेठानी की बातों से ईर्ष्या और नकारात्मकता साफ झलक रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके बेटे से जेठ और जेठानी जी इतना जलते क्यों है?
उनके अपने भी तो दो बेटे हैं। हम तो उन्हें अपने बेटों की तरह मानते हैं। शारदा उसे कह रही थी कि “पल्लवी देवर जी को समझाना कि अपने बेटे राघव को नौकरी करने के लिए विदेश ना भेजें। कह देती हूं एक बार जो विदेश चला गया तो वापस लौटकर तुम्हारे पास तुम्हारी देखभाल करने नहीं आएगा। दोनों पति-पत्नी हाथ मलते रह जाओगे, हमारे बेटों को देखा है, साथ होते हुए भी हमें नहीं पूछते, फिर विदेश के तो कहने ही क्या।”
पल्लवी समझ रही थी कि आजकल का चलन ऐसा ही है लेकिन उसे अपने बेटे राघव पर पूरा भरोसा था। उसके विश्वास की डोर अटूट थी। साथ ही उसे अपने संस्कारों पर भी भरोसा था।
अगले दिन जेठ जी का फोन पल्लवी के पति प्रणव के पास आया। वह प्रणव से कह रहे थे,-” देखो प्रणव मैं तुम्हें सचेत कर रहा हूं, राघव को बाहर मत भेजो, माना कि कंपनी आने-जाने का खर्चा दे रही है, ट्रेनिंग दे रही है, पर तुम उसकी सफलता के लिए इतना क्यों मरे जा रहे हो,, वैसे भी वह कौन सा तुम्हारा सगा बेटा है, गोद ही तो लिया है तुमने, उसे बाहर भेज कर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मत मारो। यहां तो हमारे सगे बेटे भी हमें नहीं पूछते। ”
प्रणव -” भाई साहब क्यों बड़प्पन भूल कर छोटी बातें कर रहे हैं, हमें तो यह बात याद भी नहीं रहती कि हमने उसे गोद लिया है, आप और भाभी ही बार-बार याद दिलाते रहते हैं, समय आने पर हम उसे यह बात जरूर बताएंगे लेकिन अभी यह समय उसकी तरक्की का है, हमें अपने संस्कारों पर पूरा भरोसा है। वह हमें छोड़कर नहीं जाएगा। ”
उधर से फोन बंद हो गया। राघव को सिर्फ एक साल के लिए ट्रेनिंग करने के लिए विदेश जाना था। वह बहुत ही उत्साहित था। 15 दिन बाद वह लंदन चला गया।
पल्लवी और प्रणव उसके बिना बहुत उदास हो गए थे। उन्हें लग रहा था कि 1 वर्ष का समय इतना लंबा है कैसे बीतेगा?
राघव रोज वहां से उन्हें वीडियो कॉल करके बात करता था। उसे भी अपने मम्मी पापा की बहुत याद आती थी।
धीरे-धीरे 1 साल व्यतीत हो गया और राघव वापस आ गया। वापस आने पर उसने बहुत ही चहकते हुए पल्लवी और प्रणव को यह खुशखबरी सुनाई कि-” मम्मी पापा मैं जल्द ही लंदन में जॉब करने चला जाऊंगा। मेरे सर मुझसे बहुत खुश है। ”
उसने देखा कि यह बात सुनकर मम्मी पापा बहुत खुश हुए लेकिन अगले ही पल उदास हो गए।
6 महीने बाद राघव लंदन चला गया। उसने कहा वहां सेटल होने के बाद आप लोगों को भी मैं बुला लूंगा। पल्लवी और प्रणव बहुत उदास हो गए थे, लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में राघव पर पूरा भरोसा था।
जेठ और जेठानी, उनके ऊपर हंस रहे थे। एक बार प्रणव राघव की याद में, बहुत बीमार हो गया। जब राघव ने वीडियो कॉल किया, तो उसने देखा कि पापा बहुत ही कमजोर लग रहे हैं और मम्मी उदास लग रही है। उसने पूछा कि “क्या हुआ? पापा इतने कमजोर क्यों लग रहे हैं?”
उसे चिंता ना हो जाए इसीलिए पल्लवी ने कहा-” कुछ नहीं बेटा सिर्फ बुखार है। दवाई ले ली है, तुम चिंता मत करो। ”
अगले दिन जेठानी जी ने राघव को फोन करके हाल-चाल पूछने के बहाने, उसे गोद लिया गया है यह सच्चाई बातों ही बातों में बता दी। दरअसल उसके मन में ईर्ष्या थी और वह चाहती थी कि राघव अपने माता-पिता के पास वापस ना आए।
राघव को सच्चाई सुनकर बहुत धक्का लगा, लेकिन वह अपने मम्मी पापा के प्रति श्रद्धा से भर उठा। वह सोचने लगा कि आज तक कभी भी मुझे एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वह मेरे मम्मी पापा नहीं है। मुझे ना जाने की मजबूरी में मेरे माता-पिता ने छोड़ दिया होगा। मम्मी पापा ने सहारा दिया और मैं उन्हें छोड़कर अच्छी नौकरी की लालच में यहां लंदन जाकर बैठ गया हूं। मुझे तो उनकी सेवा करनी चाहिए। मैं उनकी जितनी भी सेवा करूं, कम है। इन दोनों ने मुझे गोद ना लिया होता,तो न जाने मेरा क्या होता। उसके बाद तो उसका लंदन में मन ही नहीं लग रहा था और वह पल्लवी और प्रणव को वीडियो कॉल करके रोने लगा।
राघव-” मम्मी पापा मुझे आपकी बहुत याद आ रही है। ”
पल्लवी और प्रणव ने उसे समझाया, ” राघव बेटा इतना बड़ा हो गया है, अकेला लंदन में रह रहा है और इतना कमजोर होकर रो रहा है, रोज वीडियो कॉल पर बात तो करता है बेटा, ऐसे रो मत, जब मन करे मिलने आ जाना, और फिर हम भी तो आएंगे तेरे पास। ”
तब कहीं जाकर वह मुस्कुराया। एक सप्ताह बीता था। पल्लवी और प्रणव सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक घंटी बजी दरवाजा खोलने पर देखा,तो राघव अपने सामान सहित वहां खड़ा था।
आते ही राघव ने दोनों के चरण स्पर्श किए और उनके गले लगा कर फूट फूट कर रोने लगा। उन दोनों की आंखों में भी आंसू आ गए।
जब तीनों का मन शांत हुआ,- तब पल्लवी ने पूछा” राघव तुम यहां कैसे अचानक? ”
राघव-” मैं आप दोनों के बिना नहीं रह सकता, मैं नौकरी छोड़ कर आ गया हूं, मैं यहीं रहूंगा आपके पास यहां किसी अच्छे कंपनी में जॉब मिल जाएगी। ”
फिर अगले दिन जेठानी शारदा का फोन आया।
शारदा ने कहा-” पल्लवी,, बुरा मत मानना एक बात कहूं, जब तुम अपने बेटे को बताओगी ना कि तुमने उसे गोद लिया है तो वह लंदन से कभी वापस नहीं आएगा, और सच बात तो यह है कि मैंने उसे बता दिया है। ”
पल्लवी यह सुनकर हैरान रह गई, उसे अपनी जेठानी पर बहुत गुस्सा आ रहा था,तभी उसके हाथ से राघव ने फोन लेकर कहा -” नमस्ते ताई जी,कैसी हैं आप? ”
उसकी आवाज सुनकर शारदा भौंचक्की रह गई। हड़बड़ा कर बोली -” राघव तू तो लंदन में था, यहां कैसे, कब आया? ”
राघव-” ताई जी जब आपने सच्चाई बताई, अच्छा किया आपने सच बता दिया वरना मुझे बहुत बड़ा अपराध हो जाता। ”
शारदा ने गुस्से में फोन काट दिया। पल्लवी और प्रणव की विश्वास की अटूट डोर, और अधिक अटूट हो गई थी।
अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली