उनका आक्रोश… – Moral Story In Hindi

“मिसेज मेहरा को देखा, इतनी उम्र हो गई फिर भी चटख लिपस्टिक लगाती है,हमेशा जीन्स, स्कर्ट, गाउन में ही दिखती है, मानो ये सब करने से उनकी उम्र कम दिखेगी..”शिखा ने से कहा।

   “हाँ, जब देखो अपनी बत्तीसी दिखाती रहती, ऐसा लगता है जैसे हम लोगों का मजाक उड़ा रही है,अरे इस उम्र में भजन -कीर्तन करना चाहिए, मंदिर जाना चाहिए, उनको देखो, हमेशा कभी पहाड़ पर कभी समुन्दर के किनारे घूमती है, कितनी तो पिक्स अपडेट करती है..”राधा जी ने मुँह बनाते कहा..।

   मंदिर में बैठी ये महिलाये, पांच दशक पार वाली थी, जिन्हे मिसेज मेहरा यानि विम्मी को देख बहुत जलन होती, कहाँ तो वे सब जिंदगी के दिन गिन रही और कहाँ विम्मी जी मस्त -मौला घूम रही,मोहल्ले की इस महिला -मण्डल को समझ में नहीं आता, मिसेज मेहरा इतनी अलग क्यों है…, वे कभी अपनी बहू की, या घर परिवार की कोई चर्चा नहीं करती, वे तो अगला ट्रिप कहाँ का होगा ये सर्च करती रहती…, उन लोगों की तरह गप्पे नहीं मारती थी..।

   मिसेज मेहरा हमेशा चुस्त -दुरुस्त रहती है, उनको मेन्टेन देख, बाकी महिलाये आक्रोश से भर जाती, क्योंकि उनके घरों में मिसेज मेहरा का गुणगान होता..।

     इन सबसे परे मिसेज मेहरा अपने में मस्त रहती, उनको कभी उदास नहीं देखा गया… आखिर उनके खुशमिजाज और बिंदास स्वाभाव का कुछ तो पता चलना चाहिए .

     “हेलो मिसेज मेहरा, कैसी है,”मैंने पौधों में पानी देती, मिसेज मेहरा को देख कर कहा।

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       “बहुत अच्छी हूँ, तुम बताओ कनक क्या चल रहा मंदिर नहीं गई आज….”मिसेज मेहरा ने मुझसे पूछा।

         “कल से कमर में दर्द हो रहा, घुटने भी जाम हो रखा है, इसलिये घर पर ही आराम कर रही हूँ…”मैंने थोड़ा संजीदा होते कहा।

       “मेरे साथ सुबह वाक पर चला करो, सब दर्द ठीक हो जायेगा ..”मिसेज मेहरा बोली।

        “अब उम्र हो चली, शरीर में ताकत कहाँ, अब तो बस दिन गिन रही हूँ…”उदासी से मैंने कहा।

         “कनक मन में उमंग हो तो उम्र तो वैसे भी कम हो जाती है, जिंदगी को जीने का नजरिया बदलो, सारी शारीरिक कष्ट तो दूर होंगे, जीवन भी सार्थक लगेगा …, कल सुबह तुम्हे मेरे साथ चलना ही होगा….”मिसेज मेहरा बोली..।

     घर आ मैंने पति को बताया तो वे बोले “तुम्हे उनकी बात माननी चाहिए, एक बार वाक करके देखो..”।

       अगले दिन मै सुबह साड़ी पहन, तैयार थी, मिसेज मेहरा ने मुझे देखते कहा “ये क्या चप्पल पहन कर वाक करोगी, जूते पहनने से वाक अच्छे से हो पाता है..,..”।

    उनके साथ वाक करने निकली पर मै ज्यादा वाक नहीं कर पाई… घर आ मैंने अपने पुराने जूते निकले, अगले दिन जूते पहन तैयार हुई…।

     “ट्रक सूट पहना करो, वो वाक के लिये सूटेबल होता है..”मिसेज मेहरा ने कहा 

   “मै साड़ी में भी वाक कर लेती हूँ… मुझे ये सूटेबल है…”मै अपनी जिद पर थी..।

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      एक दिन वाक करते समय मैंने अपनी चाल तेज कर दी और साड़ी की प्लेट में उलझ कर गिर पड़ी, आगे वाक करती मिसेज मेहरा वापस आई, सहारा देकर उठाते बोली,”इसीलिये मै तुम्हे ट्रक सूट पहनने के लिये बोल रही थी…”

    मुझे भी समझ में आया,जो कपड़े जिस अवसर के लिये होते वही पहनने में भलाई है…., मुझे वाक करते महीना भर हो गया, कुछ फर्क शरीर में दिखने लगा, शारीरिक कष्ट भी कम होने लगा .. आखिर जंग पड़ी मशीन एक्टिव जो हो गई…,उनके प्रति मेरा आक्रोश और नजरिया बदलने लगा,..।

    अब मिसेज मेहरा के संग मै भी अकसर समाज सेवा में दिलचस्पी लेने लगी, महिला गोष्ठी में समय के अभाव में जाना कम हो गया .., शिकायतों का दौर खत्म होने से मन प्रसन्न रहने लगा…।

     एक पार्टी में उनको देख मै हैरान हो गई, कुछ लोग मुँह छुपा हँस रहे, कुछ उनके गरिमामयी व्यक्तित्व से प्रभावित थे… कुछ उनकी जिजविषा से नतमस्तक थे..।

मेरे पास आ वो बोली, “कनक जीवन तो सभी जीते है,इस उम्र तक जिम्मेदारियाँ कम जरूर होती है लेकिन खत्म नहीं होती है, थोड़ा बहू के कामों में मदद कराती हूँ, बदले में वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती है, मै अपनी पसंद के कपड़े पहनती हूँ, जो मुझे खुशी देते है, इन सफेद बालों में भी मै लहंगा पहनी हूँ, क्योंकि मुझे पहनने का मन था, मुझे पता है सब मजाक उड़ाते है, पर मै जानती हूँ ये उनका आक्रोश है… क्योंकि वे अपने लिये कदम नहीं उठा पाती है,..।

      आज मुझे उनके खुश रहने और दूसरों के आक्रोश का राज मिल गया…।

    सच है,एक उम्र में आ महिलाये अपने बहुत से शौक मार देती है, वही शौक दूसरा कर रहा होता तो वे उसकी आलोचना कर अपना आक्रोश व्यक्त करती है..।

   दोस्तों, जीवन का हर दशक महत्वपूर्ण है, उसे सार्थक बनाने की कोशिश करें, हौसलों की उड़ान को कम ना करें, बल्कि मजबूती से आगे बढ़े… उम्र शरीर की जरूर बढ़ती है लेकिन मन युवा है तो सब कुछ युवा है…।

                             —-संगीता त्रिपाठी

     #आक्रोश 

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