उम्मीद – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

डाक्टर साहब शुभि कैसी है? अभी होश आने मे टाइम लगेगा। एक्सीडेंट मे काफी खून बह गया है। खून चढ़ाना पड़ेगा। आप खून की व्यवस्था करिए यदि खून नही मिला तो आपकी बेटी की जान खतरा हो सकता है।

डाक्टर साहब की बातें सुनकर सुजाता की धड़कन बढ़ जाती है तो वो कुर्सी पर बैठ जाती है। इस ग्रुप का ब्लड तो कहीं नही मिल रहा, क्या करूं?

तभी उसे याद आता है यह ब्लड ग्रुप तो शेखर का है। मुझे शेखर को फोन करके बताना चाहिए….शेखर मेरी बेटी का पिता है, अपनी बेटी को बचाने के लिए वो अपना खून तो दे ही सकता है।

सुजाता शेखर को फोन करती है….शेखर शुभि की जान खतरे मे है उसे बचा लो। मैने तुमसे कभी कुछ नही मांगा लेकिन आज अपनी बेटी की जिंदगी मांगती हूं ।शेखर तुम आओगे न….प्लिज शेखर बताओ, नेटवर्क बाधा की वजह से फोन कट जाता है।

सुजाता फोन रख देती है और अतीत की धुंधली यादों मे खो जाती है।

चारों तरफ ढोल नगाड़े बज रहे थे घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। सुजाता भी आज चाॅ॑दनी रात की तरह दमक रही थी। सहेलियां हॅ॑ ठिठोली कर रहीं थी।

छोटे छोटे भाईयों के बड़े भईया….गाने की धुन पर नाचते हुए बरात दरवाजे पर आ गई।विधि विधान से शादी सम्पन्न होती है। शेखर सुजाता की जोड़ी ऐसे लग रही थी जैसे सीता राम की जोड़ी हो।

शेखर सुजाता दोनो एक ही विद्यालय मे अध्यापक थे। दोनो एक साथ विद्यालय जाते और एक साथ घर आते। दोनो मे प्रगाढ़ प्रेम था लेकिन इस प्रेम को दमयंती नाम की नजर लग गई।

दमयंती बला की खूबसूरत थी और इसी विद्यालय मे अध्यापिका थी। अपने लटके झटके से किसी को भी अपना बना लेना उसके लिए बाएं हाथ का काम था। मीठा तो इतना बोलती थी जैसे रोज़ चाशनी मे नहाती हो।

“दमयंती शेखर की सुन्दरता और स्मार्टनेस पर फिदा थीं और उसे हासिल करना चाहती थी।”

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दमयंती और शेखर एक ही विषय के अध्यापक थे इसलिए दोनो मे बहुत जल्दी घनिष्ठता बढ़ गई।

इधर सुजाता के माता पिता अस्वस्थ चल रहे थे तो सुजाता ने माता पिता की देखभाल के लिए एक महीने की छुट्टी ले ली।

सुजाता के छुट्टी लेने से दमयंती का काम आसान हो गया। शेखर को अकेला पाकर दमयंती ने शेखर के घर आना जाना शुरू कर दिया। अब तो शेखर को दमयंती की आदत सी हो गई थी उसके लिए दमयंती के बगैर रह पाना मुश्किल हो गया था।

लम्बी बिमारी के बाद सुजाता के माता पिता का देहांत हो गया। सुजाता अपने माता पिता की इकलौती संतान थी इसलिए उनकी सारी सम्पत्ति सुजाता के नाम हो जाती है। सुजाता के पास इतनी दौलत है यह जानकर दमयंती कुढ़ने को लगती है।

दमयंती ने शेखर के कान भरने शुरू कर दिया….शेखर सुजाता को अपनी दौलत का बड़ा घमंड है वो तुम्हे कुछ भी नही समझती…. अपने दौलत के नशे मे डूबी रहती है । शेखर को भी ऐसा ही लगने लगा उसने सुजाता को छोड़ने का फैसला कर लिया, क्योंकि उसे तो अब दमयंती के साथ जीवन गुजारना था।

“शेखर जब सुजाता को छोड़ना ही है तो उसे बिल्कुल पैदल कर दो।” दमयंती ने समझाते हुए कहा

“मतलब !” शेखर ने आश्चर्य से पूछा

मतलब ये है कि उसकी पूरी दौलत अपने नाम करवा लो।

“पर ये सब कैसे होगा?”

सुजाता प्रिगनेन्ट है और अस्वस्थ भी चल रही है,हम उसके खाने मे नशे की दवाई मिला देंगे और उससे प्रौपर्टी के कागजात पर साइन करवा लेंगे।

शेखर दमयंती के प्यार मे इतना पागल हो गया था कि उसने दमयंती की बात मान ली। जैसा दमयंती ने कहा उसने वैसा ही किया। शेखर ने सुजाता के खाने मे नशे की दवाई मिला कर धोखे से प्रापर्टी के कागज पर साइन ले लिया।

दमयंती ने शेखर के साथ भी वही किया उसने भी नशे मे धुत शेखर से प्रापर्टी के पेपर पर साइन करवाकर पूरी प्रापर्टी अपने नाम कर ली और मां की बिमारी का बहाना बना कर छुट्टी लेकर कहीं चली गई।

सुजाता को जब शेखर की घिनौनी हरकत के बारे मे पता चला तो उसने खुद शेखर को तलाक दे दिया और जाते जाते कहा शेखर एक दिन तुम अपनी इस नीचता के लिए बहुत पछताओगे… तुम एक दम अकेले रह जाओगे… तुम अपने आप से भी नजरे नही मिला पाओगे… तुम्हारा साया भी तुम्हारा साथ नही देगा।

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शेखर को जब पता चला कि दमयंती ने उसे अपने प्यार के जाल मे फंसाकर सुजाता की पूरी दौलत अपने नाम कर लिया और नौ दो ग्यारह हो गई तो उसके पैरों से जमीन खिसक गई…उसे अपने आप से ही घृणा हो गई। अब शेखर के पास पछतावे के सिवाय कुछ नही बचा था।

सुजाता को बेटी हुई है जब शेखर को पता चला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नही रहा परन्तु उसकी यह खुशी क्षण भर मे काफूर हो गई, उसका अन्तर्मन उसे धिक्कारने लगा।

“सुजाता….सुजाता….किन ख्यालों में डूबी हो।”सुजाता की सहेली मानवी ने झकझोरते हुए कहा

मानवी मैं शेखर का इंतजार कर रही थी।

“क्या! तू पागल हो गई है।”

तू किससे उम्मीद लगा कर बैठी है उस धोखेबाज जालसाजी से जिसने शादी जैसे पवित्र बंधन का भी मान नही रखा। ये जानते हुए भी कि तू माॅ॑ बनने वाली है फिर भी उसने तेरे साथ इतनी घिनौनी हरकत की। तुझे क्या लगता है वो जानवर आएगा… नही कभी नही आएगा।

मानवी अगर वो जानवर है तो जरूर आएगा क्योंकि जानवर भी अपने बच्चो को मौत के मुॅ॑ह से निकाल लाते हैं। उन्हें कभी मौत के मुॅ॑ह मे नही धकेलते।

“सुजाता जी आपको डाक्टर साहब बुला रहे हैं।” नर्स ने कहा

सुजाता जी आपकी बेटी के लिए खून का इंतजाम हो गया है कोई शेखर जी है जो अपना खून आपकी बेटी को दे रहे हैं।

सुजाता मानवी शीशे के दरवाजे से झांकती है । एक तरफ शुभि और दुसरी तरफ शेखर लेटा हुआ है। 

सुजाता तूने सही कहा था जानवर भी अपने बच्चो को मौत के मुॅ॑ह से निकाल लाते हैं। 

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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