“ससुराल में हक” – मीरा गुप्ता
सीमा की शादी को पांच साल हो गए और शादी के बाद उसका मायके जाना बहुत ही कम हो पाता हैं ।क्योंकि वह अकेली ही बहू हैं ससुर जी का देहांत हो गया हैं। जब भी मायके जाती है अपने मां बाप से मिलकर वापस आ जाती है भाभी और भाई उसे बहुत प्यार से विदा करते है एक बार उसकी मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई तो उसके भाई का फोन आया कि मां की तबीयत ठीक नहीं है तुम देखने जाओ। वह वहां गई तो देखा मां का टाइम से खाना पीना नहीं हो पा रहा है इसलिए मां कमजोर हो गई है अपने पापा से बोल रही थी पीछे से भाभी सब सुन रही थी तो वो बोली दीदी यह बोलने का आपका कोई आधिकार नहीं है ज्यादा चिंता है तो ले जाओ अपने साथ बेचारी सीमा यह सुन चुप रह गई और सोचने लगीं कि अब उसके मायके में अब भाभी का हक ज्यादा है।।
ध्यानवाद,
लेखिका – मीरा गुप्ता
रायपुर छत्तीसगढ़।
सफेद झूठ – सीमा गुप्ता
दो महीने पहले दुल्हन बनकर आई सुरुचि रसोई और घर-गृहस्थी संभालने का भरसक प्रयत्न करती, सबके दिल में जगह बनाने के लिए ससुराल के तौर-तरीके अपनाने की कोशिश करती। लेकिन जब-तब इस व्यंग्य बाण का शिकार होती रहती कि हमसे झूठ बोला गया कि लड़की सर्वगुणसंपन्न है।
सुरुचि की हमउम्र ननद शिखा को अपनी भाभी के लिए बहुत बुरा लगता। “हमारा लड़का तो गलती से भी सिगरेट-शराब को हाथ नहीं लगाता। नशे में पड़े रहने वाले भाई के लिए जो #सफेद झूठ तुमने बोला, इससे भाभी पर क्या बीतती होगी? कभी किसी ने सोचा? मेरे ससुराल वाले भी ऐसे ही निकले तो क्या चाहते हो कि मैं भी भाभी की तरह सहन करूं?” शिखा ने ऐसा कहकर अपने ही घरवालों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
उस दिन के बाद सबने सुधार की दिशा में कदम बढ़ा दिए और सुखद बदलाव नजर आने लगा।
-सीमा गुप्ता (मौलिक व स्वरचित)
#सफेद झूठ
#गागर में सागर
सफ़ेद झूठ
भैया मुझे कुछ 20-25 हजार रुपये की जरूरत है, वो बेटे की कोचिंग और एडमिशन का खर्च एक साथ ही आ पड़ा है न… शहर से रुपये की आस में गांव आये हुए छोटे भाई ने कहा।
इस बार तो हालत बहुत खराब है देवर जी, गेंहू पतला पड़ गया है, बाजार में भाव मिलेगा नही बैंक का कर्जा भी पटाना है। पता नही इस बार साल भर का खर्च कैसे निकलेगा, बड़ी भाभी आंखे मटकाती हुई बोली।
हां छोटे इस बार फसल सचमुच बहुत अच्छी आने वाली थी लेकिन बेमौसम हुई बारिश और तूफान से सब चौपट कर दिया। मुंह लटकाकर बड़े भैया ने भी समर्थन किया।
छोटा शहर वापिस चला गया और अपनी एक एफ.डी. तुड़ाकर बेटे का एडमिशन करा दिया।
इधर रात में रुपयों की गड्डी पत्नी के पास देता हुआ बड़ा भाई. ये ले पूरे दो लाख हैं। हर बार की तरह तेरे ‘सफेद झूठ’ ने बचा लिया वरना आधी रकम छोटे को भी देनी पड़ती।
स्वरचित व अप्रकाशित
सफेद झूठ,गागर में सागर प्रतियोगिता
सफेद झूठ – लतिका पल्लवी
“भाभी आपने मम्मी से झूठ क्यों कहा कि उन्हें पथरी है जिसके कारण उनके पेट में दर्द होता है जबकि मम्मी को तो लीवर कैंसर है? ऐसा क्यों किया? जब उन्हें पता चलेगा कि आपने उनसे झूठ बोला है तो उन्हें कितना बुरा लगेगा।” घर में घुसते ही रीता अपनी भाभी को सुनाने लगी। “उन्हें पता कैसे चलेगा?” रीता की भाभी ने उसकी बात सुनकर कहा। “माँ जी को अंग्रेजी पढ़ने नहीं आती इसलिए रिपोर्ट पढ नहीं सकती। जहाँ तक रिश्तेदारों की बात है मैं किसी का भी फोन आने पर उनसे पहले ही माँ को कैंसर वाली बात बताने से मना कर देती हूँ उसके बाद माँ से बात करवाती हूँ। “दीदी, ऐसे ही कैंसर का नाम सुनते ही व्यक्ति के मन मे एक भय समा जाता है और मैं नहीं चाहती कि माँ अपनी जिंदगी के बचे कुचे पल भय मे बिताये बल्कि यह चाहती हूँ कि इसी भ्रम में चली जाए कि थोड़ा ताकत होने पर डॉक्टर ऑपरेशन करेगा और वे ठीक हो जाएंगी। अगर मेरे इस झूठ से माँ जी के जिंदगी के आखरी पल कम दर्दनाक होंगे तो मैं ख़ुशी ख़ुशी यह झूठ बोलने को तैयार हूँ।” भाभी ने नम आँखों के साथ ननद को जवाब दिया।
नाम – लतिका पल्लवी
दोनों ही हैं झूठे – शुभ्रा बैनर्जी “
राजाराम घर के अंदर आकर शुभांगी को आवाज देने लगे।यहां शुभांगी(बेटी)की मां ,बेटी के शादी के जेवर पहनाकर देख रही थी।
राजाराम ने ,पूछा”शुभांगी,तुमने कब इतने सारे गहने जेवर खरीदें?।”शुभांगी ने कहा “हां ,तो मेरी बेटी की शादी है,कैसे कैसे करके किटी के पैसों से बनाया है।”
अब जब राजाराम जी ने बैग से पैसे निकाल कर शुभांगी जी को देते हुए कहा”ये संभालो,पी एफ से लोन मिला है।इन पैसों से धूमधाम से शादी होगी,हमारी बिटिया की।
शुभांगी ने टोका” पी एफ का पैसा लेकर तो हम घर बनवाए।हमारे सामने सफेद झूठ बोलते शर्म नहीं आती आपको।
शुभ्रा बैनर्जी “
सफेद झूठ – डाॅ संजु झा
पिता के गुजर जाने के बाद खुद से पन्द्रह साल छोटे भाई नवीन को नितिन जी ने बेटे के समान पालन-पोषण किया । नवीन अपने शहर में माॅं के साथ पुश्तैनी घर में रहता था। नितिन जी सपरिवार बीच-बीच में माॅं और भाई से मिलने जाते थे।इस बार माॅं ने उन्हें जो बात सुनाई ,उससे छोटे भाई के प्रति उनका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुॅंचा।
नितिन जी ने भाई पर गुस्साते हुए पूछा -“छोटे! तुम्हें माॅं से धोखे से अपने नाम पर घर के कागज़ात दस्तखत कराने की क्या जरूरत थी?मुझे कहता तो मैं यूॅं ही दे देता!”
नवीन-“भैया !माॅं ने खुद दस्तखत कर दी है।”
माॅं-“नवीन बेटा! कम-से-कम सफेद झूठ तो मत बोलो। तुमने मुझसे नगर-निगम को कर(टैक्स)देने की बात कहकर कागज़ात पर दस्तखत करवाई थी।”
सफेद झूठ पकड़े जाने से नवीन बगले झाॅंकने लगा।
समाप्त।
लेखिका -डाॅ संजु झा (स्वरचित)
व्रत – लतिका श्रीवास्तव
वाह मेरी पनीर की सब्जी बनाई है तूने आज.. मां तू भी अपनी थाली ले आ आज साथ में खाते हैं हॉस्टल से लौटा मोहन जिद कर बैठा ।
वो बेटा आज तो मेरा व्रत है तू अच्छे से खा ले शांता ने उसकी कटोरी में सारी सब्जी और रोटियां रखते हुए कहा।
आज कौन सा व्रत है मां मोहन की सशंकित नजरें सब्जी के बर्तन और कटोर दान को टटोलने लगीं ।
तू पढ़ाई पूरी करके आएगा उस दिन व्रत रहूंगी ये सोचा था मैने जल्दी से खाली पतीली और रोटी का खाली कटोरदान ढकते हुए शांता कह उठी।
मां को खिला कर ही खाना खाऊंगा ऐसा मेरा भी व्रत था .. चल ..मुंह खोल मां मेरे हाथ से खाना पड़ेगा मंद मुस्कान के साथ रोटी का निवाला जबरदस्ती मां के मुंह में खिलाते हुए मोहन ने मां के सफेद झूठ में अपना सफेद झूठ भी मिला दिया था।
लतिका श्रीवास्तव
माँ क्यों झूठ बोलती है – विभा गुप्ता
गणित के अध्यापक के न आने से पाँचवीं कक्षा के विद्यार्थी शोर मचाने लगे।तब प्राधानाचार्य जी ने हिन्दी के अध्यापक को उन्हें पढ़ाने के लिये भेज दिया।
कक्षा में आकर शिक्षक छात्रों को मुहावरे पढ़ाने लगे।तभी एक छात्र पूछ बैठा,” सर, #सफ़ेद झूठ बोलना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?’ शिक्षक ने उन्हें अर्थ बताया और सभी को वाक्य बनाने को कहा।सभी छात्रों ने वाक्य बनाये और एक-एक करके अपनी काॅपी चेक कराने लगे।तभी शिक्षक विमल का वाक्य पढ़ कर चौंक पड़े,” विमल..तुमने ऐसा क्यों लिखा कि मेरी माँ #सफ़ेद झूठ बोलती है।”
तब विमल बोला,” सर..माँ मुझे रोटी खिलाकर खुद भूखी रह जाती है और कहती है कि मुझे भूख नहीं है।दिनभर काम करके थक जाती हैं लेकिन मुस्कुरा कर कहती है कि मैं अच्छी हूँ।पापा दवा के लिये पैसे देने लगते हैं तो कहती है कि मेरे पास है और चुपके-से अपने पैरों की पायल बेच देती हैं।सर..माँ क्यों झूठ बोलती है?” सुनकर अध्यापक निरुत्तर हो गये।बचपन में उनकी माँ भी तो ऐसे ही झूठ बोलतीं थीं।
विभा गुप्ता
स्वरचित, बैंगलुरु
# सफ़ेद झूठ
प्यारा सा सफेद झूठ – रश्मि प्रकाश
“ कहाँ हो?” तनीषा अपने पति विराज से फोन करके पूछी
“ यार और कहाँ ऑफिस में हूँ?” विराज खिझते हुए बोला
“ सफेद झूठ… कैसे इतनी आसानी से बोल लेते हो?” उसकी बात सुन तनीषा को ग़ुस्सा आ गया
“अरे ऐसे क्यों बोल रही हो… ऑफिस में ही हूँ बाबा तुमसे झूठ क्यों बोलूँगा।” विराज को तनीषा की बात सुन थोड़ा अजीब लगा
“ ठीक है तुम काम करो।” कहकर तनीषा ने फोन कटकर दिया
कुछ मिनटों बाद
“ अब बताओ ऑफिस मे हो?” विराज के सामने आकर तनीषा उसे आश्चर्यचकित करते हुए बोली
“ तुम यहाँ… तुम मॉल में क्या करने आई हो?” अब विराज आश्चर्य करते हुए बोला
“तुम्हारे लिए शॉपिंग करने आई थी …हमारी एनीवर्सरी जो आने वाली है पर अब लगता है तुम ऑफिस के बहाने यहाँ…।” तनीषा वहाँ से जाते हुए बोली
“अब झूठ पकड़ ही लिया है तो आओ साथ मिलकर शॉपिंग करते हैं मैं भी तुम्हारे लिए ही गिफ़्ट लेने आया था।” झूठ पकड़े जाने पर विराज को अब सच बताना पड़ा
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#रिश्ते की उम्र – डॉक्टर संगीता अग्रवाल
बहुत मुश्किल से तैयार हुआ था रंजन अपनी मां की अनुनय पर अपने से कम पढ़ी लिखी लड़की शगुन को
अपनी शादी के लिए देखने जाने को।
आपने ट्वेल्थ के बाद ग्रेजुएशन तीन साल बाद क्यों की?रंजन ने आश्चर्य से पूछा शगुन से।
कंपटीशन की तैयारी कर रही थी…वो बेफिक्री से बोली।
कंपटीशन,वो तो ग्रेजुएशन के बाद होते हैं,रंजन ने विरोध किया पर शगुन सफेद झूठ बोलती रही।
रंजन ने घर आकर, उससे रिश्ते के लिए मां से इनकार कर दिया।
मां ने सारी कहानी जानकर शगुन की मां से पूछा तो वो बोली, बैक लगी थी उसकी,शर्म के मारे कह न पाई
होगी उनसे।
लेकिन रंजन दृढ़ था अपने निर्णय पर…सफेद झूठ बोलना और अपनी बात पर अड़े रहना उसका स्वभाव
बताता है,ऐसे झूठ की बुनियाद पर बने रिश्ते की उम्र ज्यादा लंबी नहीं हो सकती। मैं इससे शादी नहीं
करूंगा,कभी नहीं।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली