सौतेले पिता के सफ़ेद झूठ की मिठास – ऋतु यादव
मृगतृष्णा-संचय एवं मिष्ठी और चकोर उनके दो बच्चों का हंसता खेलता परिवार था।आज मिष्ठी के बैंक पी.ओ में चयन की पार्टी में ऋषि ने आकर उसके पिता होने का अधिकार जताया तो परिवार में खलबली मच गई। खासतौर से मिष्ठी के जीवन में, जिसे पता ही न था कि उसके पिता कोई और हैं। पर जब ऋषि ने संचय पर हावी होने की कोशिश की कि संचय ने मिष्ठी को उससे दूर किया और उसके जीवन का असल सच मिष्ठी से भी छिपाया तो उसका उठकर ये कहना कि मेरे पापा की इस सफ़ेद झूठ की मिठास ने मेरा जीवन संवार दिया, उनके समर्पण और प्रेम के कारण ही आज मैं इस मुकाम पर हूँ।उसकी इस बात से संचय की आँखों में पिता होने के गुरूर के साथ खुशी के आंसू लुढ़क आए।
ऋतु यादव
रेवाड़ी (हरियाणा)
दोगलापन – दिक्षा बागदरे
रिया ऑफिस में कैशियर की पोस्ट पर काम करती थी। वह बहुत ही मिलनसार महिला थी। ऑफिस में किसी को भी कोई काम में समस्या हो सबकी मदद करती थी।
पिछले कुछ दिनों से उसके काम की फाइलों से कुछ कागज गायब हो रहे थे, कभी वह फाइल जहां रखती अगले दिन वहां मिलती ही नहीं।
कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अचानक से यह सब क्या हो रहा है।
इसी सब की वजह से उसे अपने बॉस से कई बार डांट पड़ चुकी थी।
उसे लग रहा था कि यहां तो सब अपने हैं ऐसा उसके साथ कौन करेगा ??
तभी उसने अचानक प्यून को बुलाकर पिछले दो हफ्तों के सीसीटीवी फुटेज चेक किये।
यह देखते ही उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसकी बहुत अच्छी सहेली बनने वाली उसकी सहकर्मी रवीना उसके जाने के बाद उसकी फाइलों से छेड़छाड़ करते साफ दिखाई दे रही थी। सब कुछ जानते हुए भी दिया रवीना को एक मौका देना चाहती थी।
उसने तुरंत रवीना को बुलाया इस बारे में पूछताछ की।
रवीना साफ मुकर गई। रवीना का यह दोगलापन रिया को अंदर तक हिला गया।
रवीना का ऐसा रवैया देखकर उसने तुरंत सारे सीसीटीवी फुटेज अपने बॉस को दिखाए और दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
आज उसे यह सबक भी मिल गया था कि हर कोई अपना नहीं होता कई लोग रवीना की तरह दोगले भी होते हैं। हर किसी पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा सकता।
स्वरचित
दिक्षा बागदरे
#दोहरे चेहरे
# दोहरे चेहरे – सुनीता माथुर
अरे स्मिता तुम्हारी तो फर्स्ट क्लास आई है और गोल्ड मेडलिस्ट भी हो तुम कल से कॉलेज में क्लास लेने आ जाना अन्वी मैडम स्मिता से बोलीं जो की ड्राइंग एण्ड पेंटिंग की हैड मैडम थीं, जी मैडम यह तो बहुत अच्छा चांन्स है! लेकिन अभी तुम्हें कोई सैलरी नहीं मिलेगी बस एक्सपीरियंस मिलेगा!
स्मिता के साथ उसकी सहेली ललिता ने भी एम.ए किया था पर उसके नंबर कम थे इसलिए एक का ही कॉलेज में अपॉइंटमेंट हो सकता था, ललिता स्मिता के मुंह पर तो बहुत तारीफ करती थी लेकिन उसके मन में क्या था यह बाद में ही पता चला।
दूसरे दिन सुबह ही ललिता स्मिता के घर पहुंच गई स्मिता से बोली मैं तुम्हें अपनी पहचान की कंपनी में लगा देती हूं वहां पैसे भी मिलेंगे और स्मिता ललिता की बातों में आ गई और प्राइवेट नौकरी कर ली! कुछ दिन बाद पता चला ललित ने स्मिता की जगह नौकरी कर ली उसका दोहरा चेहरा स्मिता को दिखाई दे गया।
सुनीता माथुर
मौलिक अप्रकाशित रचना
दोहरे मापदंड – (जया शर्मा प्रियंवदा)
दीवाली पर खानदान की परंपरा का पालन करते हुए सास पीतांबरी ने रसोई में बर्तन धो रही बड़ी बहू सुधा और फोन पर बात कर रही छोटी बहू मधु को आवाज देते हुए अपने पास बुलाया सबसे पहले छोटी बहू को नई बनारसी सिल्क की साड़ी देते हुए कहा लो मधु तुम्हारे लिए स्पेशल बनारस से साड़ी मंगवाई है तुम जब अपने कॉलेज में साड़ी पहन कर जाओ तो सब तुम्हारी वाह वाह करें और हां दिवाली पूजा में यही साड़ी पहनना ,मधु भी बनारसी साड़ी देखकर बहुत खुश हो गई और सास को प्रणाम कर साड़ी ले ली ,तभी सासु ने बड़ी बहू सुधा को अपनी पहनी हुई साड़ी देते हुए कहा ले सुधा दिवाली के नाम की साड़ी एक दो बार ही मैंने पहनी है तुझे कहां बाहर जाना होता है घर के कामकाज ही तो करना होता है ,कुछ पढ़ी-लिखी होती तो बाहर की दुनिया भी देखती।
(जया शर्मा प्रियंवदा)
दोहरे चेहरे – पूनम भारद्वाज
पंकज के भाई भाभी अक्सर तंगहाली का वास्ता दे उससे पैसे मांगते रहते। पंकज की इनकम अच्छी थी तो वह पूछता नही था कि पैसा क्यों चाहिए। वो दोनों भी तो उसे बहुत स्नेह करते थे।
इसबार भाई ने घर सुधरवाने के लिए पंकज से मोटी रकम मांगी ।
पंकज ने सोचा,” इसबार पुश्तैनी घर जाता हूं और भाई को पैसे भी दे दूंगा।
पंकज को आया देख भाई भाभी का रंग उड़ गया। जल्दी ही उन्होंने खुद को संयत कर लिया। भाभी उसे बैठने को कह चाय लेने चली गई।।
पंकज ने सोचा जब तक भाभी चाय लाती है वह घर को देख ले। मगर जैसे ही वह किचन के पास गया तो भाई भाभी की बातें उसके कानों में पड़ी।
भाभी भाई से कह रही थी लो अब इसकी खातिरदारी करो। भाई ने कहा धीरे बोलो,सुन लेगा। इससे पैसे लेने है और मैने मकान का कह मोटी रकम मांगी है। अपने भाई भाभी का दोहरा चेहरा देख वह दंग रह गया ।
स्वरचित पूनम भारद्वाज
#किसे छल रहे हैं आप? – डॉक्टर संगीता अग्रवाल
सुधा के मायके में फंक्शन था,इकलौते भाई की सगाई का,पति गौरव संग थे,सब चिरौरी कर रहे थे,जीजाजी!
थोड़ा सा मुंह मीठा कर लीजिए पर मजाल है वो कुछ ले लें। मैं मीठे से परहेज करता हूं,सूट नहीं करता मुझे।
सुधा हैरान थी अपने पति के इस दोहरे व्यवहार से…घर में तो वो हर समय मीठा ही खाते,पीते और न बने तो
व्यंग बाणों से उसे छलनी करते और यहां इतना एटीट्यूड!
माना कि डॉक्टर्स ने उन्हें बढ़ते वजन के कारण शुगर लेने से मना किया था पर इस दोहरे चेहरे का क्या अर्थ
था?घर में कुछ और,दूसरों के आगे कुछ और?किसे छल रहे थे वो आखिर?
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
दोहरे चेहरे – सुभद्रा प्रसाद
” दीदी, मेरे बेटे ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे नंबर से पास कर ली है | अब आगे की पढ़ाई के लिए उसका नामांकन करवाना है, किताबें खरीदनी है | इसीलिए कुछ पैसे उधार दे दिजिए, थोड़ा- थोड़ा करके काट लिजिएगा|” रश्मि की गृह सहायिका ममता ने उनसे विनती की |
” अरे कौन सा उसे अफसर बनना है जो आगे पढाने के लिए परेशान है, उधार मांग रही है | अच्छा है अब उसे किसी काम में लगा दे | तेरी मदद हो जायेगी |” रश्मि ने रूखाई से कहा – ” मैं तुम्हें पैसे उधार नहीं दूंगी |”
यह यही रश्मि दीदी हैं जो अपनेआप को समाज सेविका समझती है ंऔर गरीबों की सहायता, सम्मान, उत्थान , नैतिकता इत्यादि पर जोरदार भाषण देती रहती हैं | यह सोचकर और उनका दोहरा चेहरा देखकर ममता दंग रह गई |
# दोहरा चेहरा
स्वलिखित और अप्रकाशित
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |
#दोहरे चेहरे – कुमुद मोहन
सर्वेश सर काॅलेज के हर छात्र की पसंद थे! सजीले ,सौम्य और मृदुभाषी!
पूरे काॅलेज में उनकी शालीनता के चर्चे हुआ करते!
अपने सब्जेक्ट पर उनकी पूरी पकड़ थी!
कोई भी छात्र -छात्रा कभी भी उनके पास जाकर अपना कठिन से कठिन प्रश्न का जवाब चुटकियों में हासिल कर लेता!
लड़कियों से बात करते समय तो उनकी नजरें मानो ऊपर उठती ही नहीं थी!
एक दिन सना को उनके कमरे से भागकर रोते हुए निकलते देखा तो पता चला एकांत पाकर उन्होंने सना के साथ बदतमीज़ी करने की कोशिश की थी!
सर्वेश सर से ऐसी घिनौनी हरक़त की उम्मीद किसी को भी नहीं थी!
सबके मुँह से निकला
“क्या मिलिये ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे!
नकली चेहरा सामने आऐ
असली सूरत छुपी रहे!”
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक
“दोहरा चेहरा” – पूजा शर्मा
क्या हो गया है तुम्हें ममता? ऐसा दोहरा चेहरा तो तुम्हारा मैंने आज तक नहीं देखा अपनी दोनों भाभियों को एक दूसरे के खिलाफ भडकाती रहती हो और दोनों की भली बनी रहती हो। तुम्हें तो खुश होना चाहिए तुम्हारी दोनों भाभियों आपसमें इतने प्यार से रहती हैं। वह तो आज मैंने तुम्हारी बात सुन ली अलग-अलग जब दोनों भाभियों से कर रही थी। दोहरे चेहरे की क्या बात है जी आप जानते भी हो उनके साथ रहने से मेरा ही नुकसान है अलग-अलग रहेगी तो मेरा लेना देना भी अलग-अलग करेगी। सुमित बोला तभी मैं कहूं तुम्हारी आज तक ना माँ से बनी और ना भाभी से।
मैं आज ही तुम्हारे दोनों भाइयों से बात करूंगा।
अपने पति सुमित की बात सुनकर ममता घबरा गई और हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी अब मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी। आप भैया से कुछ मत कहना।
सुमित उसका यह रूप देखकर हैरान था।
पूजा शर्मा स्वरचित।
मुफ़्त की चाय -अर्चना खंडेलवाल
दिलीप आया है, चाय तो बनाना, सुधीर ने अपनी पत्नी से कहा।
अभी तक दूसरी नौकरी नहीं मिली है अभी मै परेशान हूं, दिलीप ने उतरे चेहरे से कहा।
कोई ना सब ठीक हो जायेगा,चाय पीकर दिलीप जैसे ही गया।
‘ दिलीप रोज-रोज मुफ्त की चाय पीने आ जाता है,
तभी दिलीप अंदर आया, दोस्त मोबाइल भुल गया था, मै तुझे अपना समझकर तेरे घर आता था, मुफ्त की चाय पीने नहीं।
सुधीर और उसकी पत्नी के दोहरे चेहरे दिलीप के सामने आ गये थे।
#दोहरे चेहरे
अर्चना खंडेलवाल