कम ज़्यादा – के कामेश्वरी
माँ की डाँट से दुखी शिवानी सोच रही थी कि आज प्रूव हो गया है कि माँ भाई से ज़्यादा प्यार करती है ।सागर माँ तुम्हें डाँटती हैं पर यह सही नहीं है कि वे तुमसे कम और भाई से ज़्यादा प्यार करती है । पापा माँ मुझे प्यार नहीं करतीं हैं आपको नहीं मालूम है भाई को कुछ भी होता है तो कहती है कि तुम्हारी नज़र लग गई है।
सागर सोचने लगे थे कि सुगता को एहसास नहीं हो रहा है अपने इस कम ज़्यादा प्यार के चक्कर में वह बेटी के दिल को ठेस पहुँचा रही है।
के कामेश्वरी
*मान का तो पान ही बहुत होता है* – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’
“दीदी, ये रख लीजिए…इस बार कुछ ही रुपए है..” मायके आई ननद सीमा के हाथ में विदा के समय शगुन के तौर पर 501 रुपए रखते हुए मीनू ने कहा।
“अरे भाभी … आप मुझे हर साल बुलाती हो, इतना प्यार और सम्मान देती हो मेरे लिए यही बहुत है और वैसे भी मान का तो पान ही बहुत होता है इसमें कम और ज्यादा क्या…”कहते हुए(केवल 1 रुपया लेकर बाकी वापिस करते हुए) सीमा ने मुस्कुराते हुए मीनू को गले से लगा लिया।
दोनो की आखों से प्रेम के आंसू छलक रहे थे।
प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’
मथुरा (उत्तर प्रदेश)
#गागर में सागर
कम और ज्यादा – संगीता अग्रवाल
#कम -ज्यादा
” भगवान जिंदगी मे इतने ज्यादा दुख और इतनी कम खुशियां क्यो देता है !” बेटे के अस्पताल मे भर्ती होने से आहत रेनू अपनी बहन मीनू से बोली।
” दी ईश्वर कुछ भी कम -ज्यादा नही देता बस हम अपना नजरिया ऐसा बना लेते है की हमें गम ज्यादा लगते है वरना तो आप सोचिये शानू ( रेनू का बेटा ) के जो गांठ है वो कैंसर भी बन सकती थी पर सही समय पर इलाज होने से वो कुछ दिनों मे ठीक हो जायेगा । अब आप उसके कैंसर ना होने का सोच खुश होने की जगह इस छोटे से ऑपरेशन से दुखी है क्योकि आपका नजरिया इस वक्त यही है !” मीनू ने समझाया।
” सच कहा तूने मुझे तो ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए कि मुझे बेटे की बीमारी का जल्द पता लग गया !” रेनू ये बोल सामने रखी मूर्ति के पास जा हाथ जोड़ने लगी।
संगीता अग्रवाल
इति – डाॅ उर्मिला सिन्हा
सीधी सरल परिश्रमी साधारण शक्ल सूरत की इति सरकारी स्कूल में शिक्षिका हो गयी।
घर के लोगों का मुँह खुला रह गया, “जिसे हमने कम समझा था ,वह कुछ ज्यादा ही होशियार निकली। “
“मुफ्त की नौकरानी हाथ से निकलने का दुख हो रहा है ताई “इति धीरे से बोली।
फिर सिर उठाकर अपनी उपेक्षिता मां का हाथ पकड़ अपनी पदस्थापना पर चली गई ।
इधर उसकी मजबूरी का फायदा उठाने वाले कम-ज्यादा की व्याख्या करते रहे।
मौलिक रचना
डाॅ उर्मिला सिन्हा
#प्रदत्त शब्द – कम-ज्यादा
काबिल – अंजना ठाकुर
क्या हुआ तुम इतनी उदास क्यों हो पिंकी ,मां रीना ने पास बैठाते हुए पूछा। मां इस बार नई लड़की आई है ना नीलम , इस बार उसने बाजी मार ली ।अभी तक हमेशा मैं प्रथम आती थी देख लूंगी उसे अपनी सहेलियों से कह दूंगी कोई उस से बात नही करे अपने आपको बहुत काबिल समझती है पिंकी गुस्से मै बोली ।रीना बोली काबिल तो वो है पर तुम भी कम काबिल नहीं हो लेकिन ऐसी हरकत करके जरूर उस से नीचे हो जाओगी ,परीक्षा कोई भी ही कम -ज्यादा तो चलता रहता है ।पर हमें अपनी हरकतें हमेशा सही रखनी चाहिए ।
पिंकी बोली सही कहा मां मैं ये सबक हमेशा याद रखूंगी और अपनी मेहनत से आगे बढूंगी किसी से बदला लेकर नहीं ।।
स्वरचित
अंजना ठाकुर
कम -ज्यादा
निर्णय – प्राची अग्रवाल
#गागर मे सागर
सुधीर जी के माता-पिता शुरु से गांव में ही रहते थे। सुधीर जी उच्च नौकरी पर थे इसलिए उनके बीवी बच्चे सदैव उनके साथ शहर में ही रहे। पिताजी की मृत्यु के पश्चात सुधीर जी अपनी माता जी को अपने साथ शहर ले आये, क्योंकि गांव में माँ अकेली कैसे रहेंगी।
लेकिन उनके परिवार में उनकी माँ की उपस्थिति सभी को खटकती थी।
आज तो मधुमती ने कसम खा ही ली थी माँ को सीधे वृद्ध आश्रम भेजने की।
डोरवेल बजती है वकील साहब अंदर आते हैं। सुधीर जी निर्णय कर चुके थे कि माँ उनके साथ ही रहेगी। जिसको भी है घर छोड़कर जाना है वह चला जाए। उनके इस बदले व्यवहार को देखकर उनके पूरे परिवार के होश फाख्ता हो गए।
प्राची अग्रवाल खुर्जा उत्तर प्रदेश
#निर्णय
निर्णय – मीनाक्षी सिंह
#गागर मे सागर
बहुरिया… अब मैने निर्णय ले लिया हैं…कल से घर में बर्तन, झाडू, पोछा के लिए काम वाली आयेगी… अभी तक तो ठीक था… पर अब तेरे दो छोटे छोटे बालक हैं… घुटनों के दर्द की वजह से मैं भी तेरा हाथ ना बंटा पाऊँ हूँ…. पर लोकेश पर तो इस बात का कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा… देखा मैने कल करवाचौथ पर कैसे तुझ पर गुस्सा कर रहा क्यूंकि तू नई नवेली दुल्हन की तरह सजी नहीं थी… उसे क्या पता इस त्योहार में कितने काम होते हैं… आदमी भौरे के स्वभाव का होता हैं…. उसे अपनी पत्नी रंगी चुनी ही अच्छी लागे हैं चाहे कोई उम्र हो… तू भी बिल्कुल सजी धजी रहा कर .. मुझे भी अच्छा लगता हैं पगली….. देख घर के काम में कैसे
मुरझा गयी हैं… यह सुन बहू सपना अपनी सास के गले लग गयी…. उधर पतिदेव भी खड़े सपना से दोनों कान पकड़े
माफी मांग रहे थे…
मीनाक्षी सिंह की कलम से
#निर्णय
निर्णय – पूजा शर्मा
सुधा, पापा की मौत के बाद मां बिल्कुल अकेली हो गई है, मैं उन्हें अपने पास लाना चाहता हूं, लेकिन निर्णय तुम्हारा होगा क्योंकि मां ने कभी तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। सोचना क्या राजीव? निर्णय तो हो चुका, सुधा बोली, “हमसे पहले इस घर पर मां का अधिकार है हम मां के साथ रहेंगे ना कि मां, मां बाप का व्यवहार जैसा भी हो वह हमेशा औलाद का भला ही चाहते हैं। वो हमारी जिम्मेदारी है।” सुधा की सहृदाता के सामने आज राजीव भी नतमस्तक था। – पूजा शर्मा
#गागर मे सागर
#निर्णय
निर्णय – संगीता अग्रवाल
” तो क्या निर्णय लिया है तुमने ?” पति सिर झुकाये बोला।
” देखो राघव बाँझ होने का धब्बा पांच साल से झेल रही हूँ मैं और अब जाकर पता लगा कमी मुझमे नही तुममें है ये एक बहुत बड़ा आघात है मेरे लिए !” पत्नी बोली।
” तभी तो निर्णय तुम पर छोड़ रहा हूँ तुम चाहो तो मुझे छोड़ दूसरी शादी कर सकती हो !”
” राघव कल तक भी मैं बच्चा गोद लेने के पक्ष में थी आज भी वही चाहती हूँ। वो बात अलग है तुम और तुम्हारे घर वाले कल मेरे साथ नहीं थे पर मैं तुम्हारे साथ हूँ !” पत्नी ने अपना निर्णय
सुनाया।
” औरत सच मे महान होती है ये तुमने साबित कर दिया!”
– संगीता अग्रवाल
#गागर मे सागर
#निर्णय
निर्णय – हेमलता गुप्ता
#गागर मे सागर
अरे भुवनेश… तुम्हारा बेटा शिशिर तुम्हारी शादी की बात कर रहा है! इसे थोड़ी भी समझ है..? तुम्हारी उम्र 50 साल है, समाज क्या कहेगा, सारी जाति बिरादरी में हमारी हंसी हो जाएगी! जैसे ही चाचा ने यह सब कहा.. तभी शिशिर बोल पड़ा.. क्यों चाचा जी क्या पापा को इस उम्र में खुश रहने का अधिकार नहीं है, सामने वाली रजनी आंटी भी बिल्कुल अकेली है! अगर यह दोनों अच्छे दोस्त हो सकते हैं, तो क्या अच्छे जीवनसाथी नहीं हो सकते ! रही समाज की बात बनाने की, तो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता ! जब मैं और पापा इस रिश्ते से खुश हैं, तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता ! मैंने निर्णय कर लिया है कि पापा और रजनी आंटी एक दूसरे के पूरक होकर रहेंगे,! उम्र के इस पड़ाव पर ही अकेलापन सबसे ज्यादा सताता है!
हेमलता गुप्ता (स्वरचित)
#निर्णय