Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

राखी – नीलू कंसल

अनीता आज काम करने अपनी बेटी राधा को लेकर आई थी।राधा की उमर १० साल के आसपास थी।उसकी उदास आंखें मेरे से छुप नहीं पति।मैंने अनीता से इसका कारण पूछा।अनीता ने बताया की मेरे एक ही बेटी है राधा।उसका न कोई भाई है और न बहन।अब राखी आने वाली है।जब तक चोटी थी तो बहका देती थी लेकिन अब जिद करने लगी है की मुझे भिबापने भाई को राखी बांधने है।अब इसे कैसे समझाऊं। मैं बहुत देर तक सोचता रही फिर मैने एक तरकीब निकाली।शाम को मेरा बेटा जब जॉब से आया तो मैंने उससे इस बारे में बात करी।वो यह सब सुनकर बहुत उदास हुआ क्योंकि मेरे भी एक ही बेटा है बेटी नहीं है।फिर वो मुझसे बोला की की मेरे भी कोई बहन नहीं है।में राधा को मुंहबोली बहन बनाना चाहता हूं।उसने मेरे मूंह की बात छीन ली।२ दिन बाद राखी थी।अनीता राधा को लेकर हमारे काम करने आई मेरे बेटे ने अनीता को बोला की आंटी मेरी कोई बहन नहीं है और राधा के भाई।में राधा को अपनी बहन बनाना चाहता हूं।यह सुनकर अनीता और राधा बहुत खुश हुऐ।मैने राधा को कपड़े बदले के लिए दिए और राखी दी।राधा ने मेरे बेटे को राखी बांधी और जिंदगीभर रक्षा करने का वचन दिया।अब राधा की शादी हो चुकी है और अभी भी वो मेरे बेटे को हर रक्षाबंधन पर राखी बांधती है।

नीलू कंसल 

 

*राखी का गिफ्ट* – बालेश्वर गुप्ता

      लो भैय्या मैं ही आ गयी,राखी बंधवाने।

    अरे गुड़िया तुम,हाँ-हाँ,आ ना,बांध ना राखी।बोल गिफ्ट में क्या लेगी,तेरी पसंद का गिफ्ट दूंगा तुझे।

    सच, भैय्या, मेरी पसंद का गिफ्ट,क्या सचमुच?

     क्यूँ नही,तू मांग तो सही,जो भी मांगेगी आज तुझे वही मिलेगा।

      राखी बांध गुड़िया ने भैय्या का हाथ अपने हाथ मे ले माथे से लगा कर कहा,भैय्या, आज इतना मांगती हूँ कि अगली राखी बंधवाने आप मेरे घर आइयो।भैय्या आपके आने से ससुराल में मेरा मान बढ़ेगा।मेरा सर गर्व से ऊंचा होगा। दोगे ना मुझे यह गिफ्ट।

    गुड़िया के मासूम से चेहरे को देख भैय्या सोच रहा था, उनकी गुड़िया कितनी बड़ी हो गयी है।आगे बढ़ भैय्या ने गुड़िया को सीने  से लगा लिया।गुड़िया को राखी का गिफ्ट मिल चुका था।

      बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

     मौलिक एवम अप्रकाशित।

एहसास भरी मिठाई – संध्या त्रिपाठी

इस बार राखी में कुछ नया सोचती हूं.. काजू कतली, रसगुल्ला नहीं नहीं..

 ये तो हर साल ले जाती हूं..

 इस बार कुछ नया बनाती हूं..

 काफी सोच विचार के बाद..

 मुंग का हलवा फाइनल हो पाया.. शुरू हुई तैयारी मेहनत देखकर.. पतिदेव ने छेड़ा मेरे लिए तो कभी नहीं बनाया..

 मैंने भी रोज के उपकार को खूब जताया..

 वर्ष भर तुम्हें खिलाती हूं..

 एक दिन भैया की बारी है.. अपने हाथों की बनी मिठाई खिलाकर.. राखी बांधने की तैयारी है..

 इसमें प्यार परवाह एहसास और कुशल छेम का भाव होगा ..

इस मिठाई में रिश्तों में आई खाई.. और स्वार्थ का अभाव होगा.. भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती का प्रभाव होगा ..!!  

स्वरचित 

संध्या त्रिपाठी, 

छत्तीसगढ़

# राखी

 

पश्चाताप – शुभ्रा बैनर्जी

मां ने हर बार की तरह  इस बार भी फोन पर पूछा”कितने दिन के लिए आएगी बेटा राखी में ?स्कूल से थोड़ा ज्यादा छुट्टी ले लेना।मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती अब।तेरे हांथ का सूप पीने का बहुत मन करता है।” शिखा ने झल्लाकर कहा”,अभी नहीं, भाई -दूज में ही आऊंगी।तुम तबीयत की बात कहकर ब्लैकमेल मत किया करो।”

मां चुप हो गई थी।भाई -दूज के पहले ही चली गई मां।सूप बनाकर कहां पिला सकी उन्हें।अब माफी मांगे भी तो कैसे और किससे?राखी तो आती है हर बार पर मां कहां रह गई अब।

शुभ्रा बैनर्जी 

माफी – डाॅक्टर संजु झा

भरा -पूरा परिवार  रहने के बावजूद पत्नी के अभाव में रमेश जी के मन के अन्दर निष्क्रियता और सन्नाटा पसरा हुआ  है।पत्नी की फोटो की ओर देखकर कहते हैं -“सुधा! तुम्हारे जाने के बाद से  जैसे जीवन का रुख ही बदल गया।जिन्दगी बहुत मुश्किल और बेरंग लगने लगी है।जीवित रहते न तो कभी मैंने तुम्हारी भावनाओं को समझा और न ही कभी तुम्हारी कद्र की।तुम्हारे जाने के बाद ही मेरी जिन्दगी में तुम्हारी अहमियत समझ आई।अब एहसास हो रहा है कि जीवन की सांध्यवेला में जीवनसाथी के बिना जिन्दगी अत्यंत कठिन और दुखदायी है। सुधा!हो सके तो मुझे माफी दे दो।मैं पश्चाताप की अग्नि में झुलस रहा हूँ।

समाप्त। 

लेखिका-डाॅक्टर संजु झा (स्वरचित)

माफ़ी – अर्चना खंडेलवाल

मां, हमें माफ कर दो, ये कहकर दोनों बेटे मां के चरणों से लिपटकर रोने लगे।

“बंद करो अपनी ये नौटंकी!!! रमेश बाबू चिल्लाये, अब वो इस दुनिया से जा चुकी है, तुम दोनों अपनी बीमार मां से मिलने तक नहीं आयें और अब मगरमच्छी आंसू बहा रहे हो।’

तभी शवयात्रा निकाली जाती है, पर रमेश बाबू दोनों बेटों से कांधा देने का हक भी छीन लेते हैं, और सब रिश्तेदारों के सामने ये ऐलान करते हैं कि मेरे दोनों बेटों से मैं मुखाग्नि का अधिकार भी आज छीन रहा हूं,, मुझसे इन दोनों को कभी माफ़ी नहीं मिलेंगी।

अर्चना खंडेलवाल

“माफी – नहीं -कभी नहीं” – दिक्षा बागदरे 

रचना हर रिश्ते को जोड़े रखना चाहती थी। एक नहीं कई बार उसका अपमान किया गया था। हर बार उसके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती थी। विनय हमेशा ही मुक-बधिरों की तरह चुपचाप सब कुछ देखता रहता था। ना कुछ सुनता, ना कुछ कहता। 

अपनी गलती ना होने पर भी “माफी” मांगते-मांगते थक गई थी रचना। समाज के ये खोखले रिश्ते, अब और इनका बोझ नहीं उठा पाएगी वो। 

सोच रही थी “मैं” के अहंकार में जीने वाले ये लोग, क्या इन्हें कभी अपनी गलती का एहसास नहीं होता ? क्या कोई ऐसा दिन आएगा जब ये लोग भी अपने किए की “माफी” मांगेंगे ???

चलो कभी इन्होंने “माफी” मांगी भी तो क्या मैं  इन्हें “माफ” कर पाऊंगी ???

“माफी” शब्द है तो बहुत छोटा सा पर इसके मायने हैं बहुत गहरे। क्या ऐसे अहंकारी लोगों को माफ कर पाना इतना आसान है???

उसके मन ने उसको जवाब दे दिया था, “नहीं-कभी नहीं”। 

स्वराजित 

दिक्षा बागदरे

माफ़ी – रश्मि प्रकाश

“ भाभी आपने मुझे माफ कर दिया है ना?”अचानक से कृतिका ने रमा से पूछा 

“ किस बात के लिए कृति…. तुम अब भी उन पुरानी बातों में उलझी हुई हो… पगली अब तुम माँ बनने वाली हो…. खुश रहो जो मन करे खाओ पियो…. फ़िज़ूल की बातों पर ध्यान मत दो…. मैंने तो कभी तुमसे कोई शिकायत नहीं की है…फिर किस बात की माफ़ी?”रमा कृतिका की ओर देखते हुए बोली 

“ सब समझ रही हूँ भाभी आपको….. साल भर पहले वाली मेरी भाभी इतनी ज़िम्मेदार बन जाएगी कोई सोच ही नहीं सकता है…. माँ के जाने के बाद आप मेरी माँ ही बन गई है मैंने आपको कितना परेशान किया माँ से शिकायत भी की पर तब भी आप कुछ नहीं बोली।” कृतिका ने कहा 

“ कृति तुम इस घर की बेटी हो माँ ने कभी हम दोनों में भेदभाव नहीं किया..फिर मैं कैसे कर सकती हूँ हमारे बीच बस प्यार की जगह रहे माफ़ी की नहीं ।” कहते हुए रमा मे कृति को गले से लगा लिया 

रश्मि प्रकाश

 

माफी – के कामेश्वरी

सविता दो दिन से घर में मुँह फुलाकर बैठी हुई थी । किसी से भी बातचीत नहीं कर रही थी और ना ही किसी की बातों का जवाब दे रही थी । रमेश को बार बार माँ से माफी माँग कर बात करने के लिए उकसाते हुए देख बेटे से रामदेव जी ने कहा रहने दे घर में इसी तरह से थोड़ी शांति बनी रहेगी वर्ना इसने तो बहू का जीना हराम कर दिया है । तुम्हें नहीं मालूम है उसने मौन धारण क्यों किया है । मैं सब इसकी हरकतों को देख रहा हूँ । दो दिन पहले बहू अपनी छोटी बच्ची को सुला रही थी और तुम्हारी माँ ने बहू से चाय की फ़रमाइश की थी । वह बच्ची को सुलाकर चाय लाई तो कहने लगी कि मुझसे माफ़ी माँग । बहू ने पूछा कि किस बात पर ? तो कहने लगी कि मेरे लिए देर से चाय लाई है ना इसलिए । बहू के माफी ना माँगने पर मौन व्रत धारण किए हुए है तू भी चुप रह अपने आप ठीक हो जाएगी । जब पति बेटे और बहू की तरफ़ से कोई बात नहीं बनी तो वह धीरे-धीरे सबसे बात करने लगी । सबने देखा कि उस दिन के बाद से सविता में कुछ परिवर्तन आया है । पति ने सोचा कि चलो देरी से ही सही सविता में परिवर्तन तो आया है ।

के कामेश्वरी

 

 माफी – मनीषा सिंह

दादाजी—-! दादाजी—-! दादी मां , मुंह फुला के बालकनी में बैठी है।

8 साल की पीहू  ओलंपिक के मैच का मजा लेते हुए रमेश जी से  बोली।

 उतेरीकी—! ” मैं तो भूल ही गया था कि तेरी दादी मां मुंह फुला के बैठी होगी।

 सर को खुजलाते हुए रमेश जी  बोल पड़े।

जाता हूं –!जब तक “माफी” नहीं मांगूंगा तब तक पगली बाहर ही बैठी रहेगी।

पर दादाजी मां ने खाना लगा दिया है पहले खा लीजिए पीहू ने डाइनिंग टेबल पर लगे खाना की तरफ इशारा किया ।

ना– !ना –! पहले दादी मां को मनाऊंगा फिर इकट्ठे दोनों बैठकर खाना खाएंगे !

ये  लड़ाई फिर रूठना-मनाना इसी कारण से तो हमारी शादी के 45 साल इतनी हसीन और जवा  है!

 कहते हुए रमेश जी बालकनी की ओर चल पड़े।

मनीषा सिंह

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