Moral stories in hindi : शक एक ऐसा कीड़ा है जो धीरे धीरे रिश्ते को खा जाता है। किसी जोड़े में एक भी व्यक्ति यदि शक से पीड़ित हैं तो एक समय ऐसा आता है कि रिश्ता रहा ही नहीं जाता है और अगर रहता भी है तो तो उसका अर्थ नही रह जाता।शक किस तरह संबंध को नष्ट कर देता है आइए जानें।
जान लेवा है शक,।
अमित अपनी पत्नी नम्रता पर शक करता था। अगर नम्रता किसी दुसरे पुरूष से बात भी कर ले तो अमित उसे शक की निगाह से देखने लगता था। यहां तक कि नम्रता अपने चचेरे ममेरे भाई तक से फोन पर बात कर लें तो उसपर लांछन लगाने लगा जाता था। नम्रता ने अमित को बहुत समझाया पर उसकी शक की बिमारी दूर नहीं हुई। अंत में नम्रता ने हार कर आत्महत्या कर ली ।
तलाक हो सकता है परिणाम
एक और उदाहरण, शिल्पा अपने पति अनिल को हमेशा शक की निगाहों से देखती थी । अनिल अपने आफिस में किसी महिला सहकर्मी से बात कर लें या किसी महिला सहकर्मी का फोन अनिल के पास आ जाएं तो तुंरत शिल्पा के मन में शक की सुइयां चुभने लगती थी। अनिल को कभी आफिस से आने में देर हो जाए तो शिल्पा उसे तरह तरह के ताने देने लगती थी । रोज रोज के झगडे से तंग आकर अनिल ने शिल्पा को तलाक़ दे दिया ।
बच्चों से भी होते हैं संबंध खराब
पति पत्नी के खराब संबंध बच्चों पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं ।जब बच्चों को पता चलता है कि उनके मां बाप में से कोई एक शकी है तो उसके प्रति मन में नकारात्मक भावनाएं जन्म ले लेती है ,जो कि उम्र के साथ बहुत बढ़ जाती है। शादी के बाइस साल बीत जाने के बाद भी दो बच्चों की मां मधु आज तक पति के रवैए से त्रस्त है ।
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यदि वह कभी ढंग से तैयार हो जाए अच्छी साड़ी पहन कर बाजार वगैरह निकले तो उसे थाने मारने लगता कि किसे दिखाने जा रही हो ,जाओ जाओ इतना बनठन के कोई तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा ।पति की इस आदत से परेशान मधु कभी ठीक से पहन ओढ़ नहीं पाती थी ।शक के चलते पति कभी कभी मधु पर हाथ भी उठा देता था ।
मधु हमेशा सहमी सहमी सी रहती थी।वह अपने भाई बहनों और किसी रिश्तेदार से भी मिलने से झिझकती थी । कभी किसी पारिवारिक फंक्शन में पति के साथ आती तो एक कोने में चुपचाप बैठी रहती थी ।उसे किसी से बात चीत की इजाजत नहीं थी । जीवन के इतने साल कठिन परिस्थितियों में बिताने के बाद आज उसको अपने बच्चों का संबल मिला गया है बच्चे बड़े हो गए हैं और अपनी मां के आगे ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं ।
वे मां की बहुत परवाह करते हैं और अत्याचार होने पर लडने को तैयार हो जाते हैं क्यों न हो इतने सालों से मां पर होने वाले अत्याचार को देख जो रहे हैं ।अब एक बार फिर से मधु के चेहरे की हंसी लौट आईं हैं,वह ढंग से तैयार होती है और पास के एक स्कूल में टीचिंग जाब़ भी करती है । हां , एक बात और है कि बच्चों की अपने पिता से संबंध बिल्कुल खराब हो चुके है ।मधु के साथ साथ बच्चों की भी अपने पिता से बातचीत बिल्कुल बंद है ।
एक बिमारी है शक
जरूरत से ज्यादा शक एक मानसिक बिमारी है ।जिसका इलाज संभव है यदि समय पर सही कदम उठाए जाएं तो ।शक नाम का कीड़ा अच्छे खासे इंसान को बीमार कर देता है। अपने आसपास वाले का भी जीना दूभर कर देता है। मेडिकल भाषा में इस बिमारी को आथेलो सिंड्रोम नाम दिया है । जिसमें बेवजह ही लोग एक दूसरे पर शक करते हैं ।
पति पत्नी में से किसी एक का खूबसूरत होना भी शक का कारण बनता है । किसी बिमारी का इलाज असंभव नहीं है जरूरत है सही समय पर मरीज को मनोचिकित्सक के पास ले जाने की ।इस तरह के व्यक्ति अपने आपको बीमार नहीं मानते और चिकित्सक के पास जाने को तैयार नहीं होते ।और इस तरह की समस्या होने पर धीरे धीरे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।और सबको शक की निगाह से देखने लगते हैं ।और बीमारी धीरे धीरे गंभीर रूप ले लेती है ।
शक की वजह से न जाने कितने घर उजड़ जाते हैं , दाम्पत्य जीवन तहस नहस हो जाता है। यदि शक की आदत किसी बीमारी की वजह से है तो उसका इलाज करवाएं लेकिन यदि ऐसे ही फालतू बातें सोचकर कोई खराब आदत पाल ली है तो नासमझी में आकर अपने रिश्ते खराब न करें। विश्वास ही सफल रिश्ते की नींव है ।
किसी से रिश्ता जोड़ने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि अमुक व्यक्ति विश्वास के योग्य है कि नहीं ।और एक बार किसी से संबंध जुड़ जाए तो फिर विश्वास के पहिए पर ही आगे बढ़ता है।न सिर्फ अपने साथी से प्यार करें बल्कि उस पर विश्वास भी करें । नहीं तो देखिए रिश्ता बिगड़ने से बहुत कुछ बिगड़ जाता है।उसे दोबारा ठीक करना बहुत मुश्किल होता है । रिश्तों की कद्र करें ,शक नहीं ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
29 जुलाई 23
रचना पूर्णतया मौलिक और स्वरचित है