सेंधमार – प्रियंका सक्सेना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “तारा बहु, नितिन को भेजना मेरे पास।”

“जी मम्मी जी। “

कुछ मिनटों में नितिन माँ के पास आ गया।  माँ से रविवार के लिए सभी कुछ समझकर नितिन ऑफिस के लिए निकल गया। इधर हाथ का काम पूरा कर तारा भी तैयार होकर ऑफिस के लिए जाने लगी।  

“तारा बहु ,आज घर जल्दी आ जाना।  तुम्हारे चाचा ससुर के यहां से सभी लोग रात तक पहुंचने वाले हैं।  भैय्याजी की बड़ी  बेटी निधि को दिखने का प्रोग्राम रविवार का है।” शांतिदेवी ने ऑफिस जाती हुई बहू से ऊंची आवाज़ में कहा

तारा, “जी मम्मी जी, मैं समय से आ जाऊँगी। ” कहकर ऑफिस चली गई

पीछे से आती शांतिदेवी ने दरवाजा बंद किया और कामवाली को कुछ काम रसोई में बताने रसोई में चली गईं। 

तारा सास-ससुर को चाय नाश्ता करवा कर जाती है।  वह प्राइवेट कंपनी में लेखाकार की पोस्ट पर कार्यरत है।  तारा  का पति नितिन मल्टीनेशनल में मार्केटिंग डिवीज़न का प्रमुख है।शांतिदेवी और आनंदमोहन जी  बेटे बहु के पास ही रहते हैं।  आनंदमोहन जी को  रिटायर हुए चार वर्ष हो चुके हैं।  तारा कार्यकुशल होने के साथ व्यवहार कुशल भी है।  घर में दोनों वक़्त के लिए खाना बनाने वाली लगा रखी है। 

तारा सुबह सब्जी, दाल बना जाती है या पीछे से शांतिदेवी बना लेती हैं।  हालांकि घर आने के बाद तारा शांतिदेवी  के सारे काम खुद से ही करती है जैसे कि सब्जी कुक के हाथ की पसंद नहीं तो स्वयं ही बनाती है।  कामवाली सब्जी कटाई में  मदद करने के साथ गर्मागर्म रोटी सबको खिलाती है।  बर्तन, झाड़ू पोंछे वाली और कपडे धोने वाली दो और सहायक हैं। कुल मिलकर शांतिदेवी को भी ऊपरी काम नहीं करना पड़ता और तारा भी मन मुताबिक रहती है।

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शांतिदेवी अपने नाम के अनुरूप ही शांत स्वभाव की हैं , सौम्यता उनके मुखमण्डल की आभा को इस उम्र में भी मानो द्विगुणित करती जान पड़ती है। उनको तारा से कोई शिकायत कभी से नहीं रही है । उनकी जोड़ी देखकर लोगों को लगता है कि माॅ॑-बेटी हैं, मातृत्व और प्यार का खूबसूरत स्रोत हैं शांतिदेवी! तारा भी उनका दिल से आदर सम्मान करती है।

थोड़ी देर बाद पड़ोसन कोकिला जी शांतिदेवी के पास बैठने आईं। कोकिला जी को पूरी कॉलोनी की खबर रहती है  तो वह हर सुबह कॉलोनी के किसी न किसी घर में पाई जाती हैं।  कुछ घरों में उनका स्वागत अपनी हमजोली या हमराज की तरह किया जाता है तो कुछ घरों में कोकिला जी  नापसंद की जाती हैं।  शांतिदेवी अपने स्वभाववश कोकिला जी से अच्छे प्रकार से बात करती हैं। इधर कोकिला जी को ये लगता है कि  शांतिदेवी के घर में सब शांतिपूर्वक कैसे रह लेते हैं, इतना अपनापन इनके घर में कैसे बरकरार है? तो यही जानने की इच्छा से वह शांतिदेवी को टटोला करती हैं। ये अलग बात है कि अपनी बात से कोकिला जी हर पल यह जताया करती हैं कि वह शांतिदेवी  की शुभचिंतक हैं। 

आने के थोड़ी देर बाद कोकिला जी ने बातों बातों में तारा की बात शुरू की। 

“भाभी जी, आपकी बहू तो बहुत गुणवान है! कितनी अच्छी तरह से घर और बाहर दोनों में सामंजस्य स्थापित किया है। नौकरी के साथ ही घर को पूरा समय देती है।” पड़ोसन कोकिला जी ने शांतिदेवी से तारा की तारीफ करते हुए कहा

ना! ना ! ये मत समझ लीजियेगा कि कोकिला  जी वास्तव में दिल से तारा की तारीफ़ कर रही हैं।  वह तो शांतिदेवी  के मन में बहू  के लिए जलन पैदा करना चाहती हैं। दरअसल कोकिला जी ने सुबह शांतिदेवी  की तारा से ऊँची आवाज़ में कही घर जल्दी लौटने की बात सुन ली थीं तो वो रिश्तों में आग सुलगने के उद्देश्य से आई हैं। आखिरकार आज पहली बार तो सास को ऊँची आवाज़ में बहु को आर्डर मारते सुना था कोकिला जी ने तो वह इस सुनहरे अवसर को कैसे हाथ से जाने देती भला ?

कोकिला जी की आशाओं पर तुषारापात करती हुई शांतिदेवी ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा, “हां बहनजी, सही कह रही हैं आप। तारा सब कुछ अच्छे से मैनेज करती है। “

“भाभी जी, तारा के बाहर नौकरी पर जाने के बाद लेकिन आपको घर की चौकीदारी तो करनी पड़ती ही है। आपका निकलना-बढ़ना , बाहर जाना तो अब तारा बहु की इच्छा पर निर्भर है। और तो और कोई आये-जाये तो उसकी भी आपको देखना पड़ता है, सही कह रही हूँ ना मैं?” कोकिला जी ऐसे हार मानने  वाली थोड़ी हैं, सुबह की बातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ कर उन्होंने थोड़ा मसाले का तड़का लगाया

“बहनजी, घर हमारा है तो देखभाल भी हम सभी मिलकर करते हैं। हम सभी आपस में एक दूसरे को कामों में सहयोग करते हैं। तभी तो घर का वातावरण खुशनुमा रहता है। हमारी बहू तारा को हमारे काम में सहायको को सम्हालने की कला आती है। कभी खाना बनाने वाली को नये कपड़े बनवा कर देती है तो कभी झाड़ू पोंछा वाली को एडवांस देती है और तो और बर्तन और कपड़े धोने वाली को तो उसकी बेटी की शादी में पसंद की साड़ी खरीदवाई। ” शांतिदेवी  ने सहजता से खुले दिल से तारा की प्रशंसा की

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तारा की प्रशंसा शांतिदेवी के मुँह से कोकिला जी को हजम नहीं हुई, वह बोली “अब हमसे तो इन कामवालियों की इतनी मक्खनबाजी होती नहीं! तारा बहु तो फालतू आपके बेटे की गाढ़ी कमाई इन नौकरों के ऊपर बर्बाद कर देती है।”

शांतिदेवी को कोकिला जी का इस तरह से तारा के लिये बोलना सही नहीं लगा।  उन्होंने प्रत्युत्तर में बस इतना ही कहा,” बहनजी, तारा हमारी आँख का तारा है।  उसे दूसरों की तकलीफ से फर्क पड़ता है और वह आगे बढ़कर सबकी मदद करती है। धन-माया का क्या है, वो तो आनी-जानी है! और हाँ तारा बहु हमारी खुद भी बहुत अच्छी पोस्ट पर है शायद आप भूल रही हैं!”

खाने बनाने वाली गंगा बेन ने आकर चाय-नाश्ता रखते हुए कहा,” बहूजी का दिल बड़ा है आंटी जी। हम सभी के दुख दर्द को समझती हैं, सभी का दिल जीत लेती हैं !”

अपनी दाल न गलती देख कोकिला जी तपाक से बोली ,” हाँ-हाॅ॑! वो ही तो मैं कह रही हूँ कि तारा तुम लोगों के लिए बहुत करती रहती है। “

गंगा बेन और शांतिदेवी, कोकिला जी के जवाब से मुस्कुरा भर दिए।

इसके बाद चाय पीने के बाद झेंपी हुई कोकिला जी सीधे अपने  घर को रवाना  हो गई। शायद कोकिला  जी समझ चुकी हैं कि इस घर की एकता को तोड़ना उनके लिए सम्भव ‌नहीं है। लेकिन अपनी कोकिला जी कमाल की हिम्मत वाली महिला हैं कल उन्होंने एक और घर में जाने का प्रोग्राम की रूपरेखा अपने खुराफ़ाती दिमाग में बना ली है जहां बड़ी बेटी काफी दिनों से अपनी माँ के घर ही रह रही है , दो महीने से ऊपर हो गया है।  अब कोकिला जी को हकीकत मालूम कर अपने जैसी पराये घरों की परेशानियों में रस लेने वालों के साथ चर्चा करने के लिए मैटर (विषयवस्तु) का जुगाड़ तो करके रखना ही होगा ना .. 

ध्यान रखियेगा कहीं किसी दिन कोकिला जी आपके घरों में सेंध लगाने ना पहुँच जाए। यहाँ तो शांतिदेवी की समझदारी से कोकिला जी को बैरंग उलटे पैर  वापस लौटना पड़ा। शांतिदेवी जैसी स्नेहमयी सास जहां हों उस ससुराल में बहू का सम्मान सुरक्षित है , ये कोकिला जी जैसे सेंधमारों को भलीभांति जान लेना चाहिए। सास बहु की जुगलबंदी से पल्लवित ससुराल में सास और बहु दोनों की मर्यादा और सम्मान सुनिश्चित है।

दोस्तों, आशा है आपको मेरी कहानी और उसमें निहित संदेश पसंद आया होगा। आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इंतज़ार रहेगा। आप चाहें तो अपनी ससुराल के खट्टे-मीठे अनुभव भी हमारे साथ साझा कर सकते हैं। उपरोक्त कहानी पसंद आने पर कृपया लाइक, कमेंट व शेयर कीजिएगा।

धन्यवाद।

#ससुराल

-प्रियंका सक्सेना

(मौलिक व स्वरचित)

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