समय बड़ा बलवान – मोना शुक्ला

मिश्रा जी ..आपको लड़की की शादी कर देनी चाहिए  आए दिन मोहल्ले में उसके बारे में बातें होती  रहती है  लोग बाग कहते हैं, कि मिश्रा जी की लड़की का चाल चलन ठीक नहींl  हम सुनते हैं हमें अच्छा नहीं लगता इसीलिए आपसे कह रहे हैं वैसे भी वह 18 की तो हो ही गई है शादी कर दो  जमाना भी खराब है इसलिए मेरी तो आपको यही राय है कि चट मंगनी और पट ब्याह

मीणा जी यह सब बातें मिश्रा जी से घर के दरवाजे के बाहर कह रहे थे  । मिश्रा जी बहुत ही ईमानदार इज्जत दार और मेहनती सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति थे । उनकी बड़ी लड़की रानी के बारे में ऐसी बातें सुनना उनके लिए बहुत ही हृदय विदारक हो रहा था , जैसे किसी ने 50 किलो का पत्थर छाती पर रख दिया हो पर कहते हैं ना की मारने  वाले की तो तलवार पकड़ी जा सकती है किंतु शब्दों के तीर को तो सहन करना ही पड़ेगा  ।वे भली-भांति जानते थे कि किशोरावस्था में कुछ बच्चे भटक जाते हैं

पर इसका मतलब यह नहीं की समझाने की वजह आनन-फानन में उनका रिश्ता कर देना , किंतु मीणा जी ने तो आदत ही बना ली थी जब भी मिश्रा जी उनको दिखते उनसे जले कटे शब्दों से उनकी लड़की के बारे में कुछ ना कुछ कहते ही रहते थे  । अब तो मिश्रा जी ने घर के बाहर जाना भी कम कर दिया था चूंकि मिश्रा जी बहुत ही समझदार और धैर्य वान व्यक्ति थे , ओर किसी बात से अनभिज्ञ नहीं थे ।  रानी के 18 वर्ष होने के बाद से वह लड़का देख रहे थे  लड़का देखते-देखते 2 वर्ष हो चुके थे ,और आखिर योग्य वर मिल ही गया और  बीस  वर्ष की उम्र पर रानी का विवाह हो गया , मिश्रा जी उस रात बहुत गहरी नींद में सोए ।

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इधर समय का पहिया आगे बढ़ता गया  ।इधर मीणा जी के तीन लड़के थे मीणा जी को बड़ा अभिमान था कि उनके लड़की नहीं है । पर कहते हैं ना विधाता के लिखे लेख कोई नहीं बदल सकता “अभिमान तो रावण का भी नहीं रहा हम तो इंसान हैं

” मीणा जी के दो लड़के सरकारी सेवा में बाहर चले गए थे और वही बस कर  अपने अपने मकान बना लिए थे , छोटा लड़का उनके पुश्तैनी मकान में जो कि काफी बड़ा था रह रहा था मीणा जी भी बेफिक्र थे कि अब तो दोनों लड़कों ने मकान बना लिए तो वह छोटे के साथ आराम से यहां जीवन बिताएंगे पर अचानक दोनों सरकारी सेवा वाले लड़के एक दिन घर आए और उन्होंने मकान में से  अपना अपना हिस्सा मांगा  मीणा जी को ऐसी आशा नहीं थी  । पर यह तो  प्रकृति का  नियम है , जायदाद का बंटवारा तो करना ही पड़ेगा

दोनों सरकारी सेवा वाले लड़कों ने अपनी पसंद के हिस्सों  पर ताला लगा दिया  और मकान के पीछे का हिस्सा छोटे भाई को दे दिया । छोटा भाई रवि को वह पीछे वाला हिस्सा पसंद नहीं था  ,क्योंकि उसके बिल्कुल सामने धागा फैक्ट्री थी ।  दिनभर होने वाली आवाज  सीधे  उसके दरवाजे पर ही  होगी  ऐसा सोच कर बहुत दुखी था ।  दूसरे दिन मीणा जी के दोनों बाहर वाले लड़के एक कार में से उतरे ,उनके साथ कुछ लोग भी थे पूछने पर पता पड़ा कि यह वह लोग थे   जिनको दोनों बेटों ने अपना अपना हिस्सा बेच दिया था, क्योंकि  अपने हिस्से वाले स्थान को बेचकर वापस शहर में जाना था

मीणा जी की आंखें अब गीली हो चुकी थी । छोटे बेटे का हिस्सा भी उसे रास नहीं आ रहा था  , ऐसे में यही निर्णय लिया गया कि पूरा मकान ही बेच दिया गया।  और मीणा जी ने भी छोटे बेटे के साथ कहीं और जगह मकान लेकर रहना स्वीकारा




ऐसे में उनकी आंखें नहीं अपितु दिल और आत्मा भी रो रहे  थे l आज वह मिश्रा जी से कह रहे थे कि आप कितने भाग्यशाली हो कि आपने एक नहीं तीन तीन लड़कियो को जन्म दिया

ये सुनकर मिश्रा जी की छाती गर्व से चोडी हो गई

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क्यों कि रानी अपने सुसराल में बहुत खुश थी ।और एक बड़ी लेखिका बन गई थी ।

पर मिश्रा जी आज भी पहले जैसे सहज और सरल थे ।

और मीणा जी के अश्रु पोछ रहे थे 

और मीणा जी याद कर रहे थे अपने अभिमानी दिनों को ………

#अभिमान 

            मोना शुक्ला झालावाड़ राजस्थान

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