रिमझिम रो मत बाबू, चुप हो जा,चल मै तुम्हे बाहर घुमा लाती हूँ,तुम्हे आइसक्रीम भी दिला दूंगी,रिमझिम की नानी उसे चुप कराने की बहुत कोशिश कर रही थी,पर रिमझिम थी कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। बस एक ही रट लगाए हुए थी कि मुझे भी अपनी माँ को लाने पापा के साथ जाना था, पर आपने मुझे रोक लिया। आप बहुत गंदी है।
मुझे आपसे बात नहीं करनी है।रिमझिम के पापा पवन की आज दूसरी शादी होनी है,जो कि एक मंदिर मे होना है रिमझिम की दादी, दोनों बुआ, बड़ी माँ और भी कुछ रिश्तेदार शादी मे सम्मलित होने के लिए मंदिर गए है। चुकि पिता की शादी मे बच्चो को नहीं ले जाया जाता है
इसलिए रिमझिम को लेकर उसकी नानी घर पर रुकी थी।रिमझिम भी साथ जाने के लिए रो रही थी। उसकी दादी और बुआ ने यह समझाकर कि हम तुम्हारी माँ को लेकर तुरंत लौट आएंगे, मंदिर चले गए थे। रिमझिम की नानी ने जैसे तैसे करके उसे चुप कराया और खाना खिलाकर सुला दिया।
फिर नई बहू के स्वागत के लिए खीर पूड़ी आदि बनाने मे लग गईं। काम खत्म होते होते शाम हो गई। नानी ने रिमझिम को जगाया और मुँह हाथ धुलाकर, नए कपड़े पहना कर तैयार कर दिया। दुल्हन जैसे ही आई नानी रिमझिम को लेकर उसके पास गईं और पूछी, बोल बाबू माँ मीठी की मिठाई? रिमझिम नें कहा मिठाई। सभी हँसने लगे और बोले नहीं बाबू बोलो माँ मीठी।माँ सबसे मीठी होती है।
रिमझिम नें तो यह बात मन मे गाँठ बांध कर रख लिया, पर उसकी नई माँ मीठी नहीं निकली। रिमझिम करीब एक वर्ष की थी जब उसकी माँ की मृत्यु हो गईं थी।उसके माँ पापा एक पार्टी से रात मे लौट रहे थे तभी उनकी बाइक एक कार से टकरा गईं।पवन नें हेलमेट पहना था इसलिए उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई, पर माँ की अत्यधिक खून बहने के कारण मौत हो गईं।
उस वक़्त रिमझिम अपनी दादी के साथ घर पर थी। पवन नें दूसरी शादी से साफ इंकार कर दिया और देखते देखते रिमझिम की माँ को मरे चार वर्ष हो गए। दादी ही उसका ख्याल रखती थी, पर वह भी वृद्ध थी उनसे ज्यादा काम नहीं हो पाता था तो आखिर मे थक हार कर पवन को शादी के लिए हाँ कहनी पड़ी। रिमझिम को अपनी माँ का चेहरा याद नहीं था
इसलिए उसने सौतेली माँ को ही अपनी माँ मान लिया। उसकी सौतेली माँ अंजना सबके सामने तो रिमझिम से बहुत ही प्यार से व्यवहार करती, पर जब उसकी दादी घर पर नहीं रहती तो उससे काम करवाने लगती।दादी को पता चलता तो वे उससे जब कुछ कहती तो उल्टा अंजना ही दादी को सुनाने लगती, आपको तो पता है मै माँ बनने वाली हूँ
तो कभी कभी मन खराब होता है तो उससे पानी माँग लेती हूँ या कुछ छोटे मोटे काम करा लेती हूँ तो आप सुनाने लगती है।सौतेली माँ हूँ सुनना तो पड़ेगा ही। अब दादी के पास कोई जबाब नहीं होता, पर उन्हें यह समझ आ रहा था कि यही छोटे छोटे काम कल बड़े काम मे बदल जाएंगे, पर वे कुछ कर नहीं पाती थी।कुछ दिनों बाद रिमझिम को भाई हुआ।
अब तो रिमझिम के कामों मे काफ़ी बढ़ोतरी हो गईं। भाई छोटा है तो उसके कपड़े छत से उठाकर लाओ। दुध का बोतल पकड़ा दो, भाई का खिलौना गिर गया है उसे उठा दो आदि छोटे छोटे काम।सात वर्ष की बच्ची के लिए यह काम ज्यादा नहीं था,पर बात काम की नहीं थी उसकी माँ की नियत की थी। जानबूझ कर उसे काम मे उलझा देती बच्ची को पढ़ने नहीं देती।
खेलने नहीं जाने देती। दादी कुछ कहती तो कह देती अपना भाई है तो दूसरे के साथ क्या खेलने जाना। भाई के साथ वह भी बहुत खुश रहती।समय ऐसे ही बीत रहा था। रिमझिम पढ़ने मे औसत विद्यार्थी थी। तेज होती भी कैसे?उसकी माँ उसे पढ़ने का कभी मौका ही नहीं देती थी।
एकबार उसकी दोनों बुआ आई थी। रिमझिम का दसवीं का परीक्षा था, पर वह कभी भी पढ़ने नहीं बैठती थी। हर समय बस काम करने मे लगी रहती थी।अब अंजना घर का कोई काम नहीं करती थी। यह बात बुआओ को बुरी लगी। उसने अपने भाई से कहा कि इसका बोर्ड का परीक्षा है और यह घर का काम करती रहती है
पढती नहीं है इसतरह से तो इसका रिजल्ट खराब हो जाएगा। इतना सुनते ही उसकी माँ नें रोना धोना शुरू कर दिया। हाँ, मै तो सौतेली माँ हूँ न, तो मै जो भी करूंगी वह तो बुरा ही करूंगी। अपनी माँ होती तो क्या काम नहीं सीखाती? कल को ससुराल जाएगी तो वहाँ भी इसकी सास मुझे ही सुनाएगी कि सौतेली माँ है ना, भला लड़की को गुण व्यवहार क्यों सिखाती।
हर बार का उसका यही अस्त्र था, सौतेली हूँ ना।उसकी दादी नें अपनी बेटियों से कहा मै कह रही थी ना कि पवन से कुछ भी कहने का कोई फायदा नहीं।यह औरत इतना त्रिया चरितर जानती है की हम तुम इससे जीत नहीं पाएंगे। इसने तो बेटी को भी इतना बस मे किया है कि उसे भी अपनी भलाई बुराई दिखाई नहीं देता। फिर उसने अपनी बहू से कहा
आज एक बात तुमसे कह रही हूँ याद रखना मै रहूँ या ना रहूँ तुम जो कर रही हो उसकी सज़ा तुम्हे जरूर मिलेगी । यह जो तुम इतना झूठ बोलती हो और अवसर देखकर पलट जाती हो, वह सब तुम्हारा बेटा देख और सीख रहा है। बहू वक़्त किसी का सगा नहीं होता, उस वक़्त से डरो जब कही तुम्हारा बेटा तुमसे सीखे दाव पेच को तुम्ही पर ना अपनाने लगे।
रिमझिम की दादी नें गौर किया था कि उसका भाई कुछ गलती करता और अगर उसे डांट पड़ने लगती तो वह तुरंत झूठ बोल देता, कह देता मैंने नहीं दीदी नें किया है। उसकी माँ भी उसका पक्ष लेती और बिना कसूर रिमझिम को पिता से डांट पड़ जाती। कुछ वर्ष और ऐसे ही बीत गए। दादी का निधन हो गया। रिमझिम नें भी किसी तरह से स्नातक कर लिया।
बारहवीं के बाद से ही उसकी दादी कह रही थी कि रिमझिम को जब पढ़ने लिखने मे मन नहीं लगता है तो उसका विवाह कर दो, पर उस समय उसकी माँ यह कहकर मना कर देती कि नहीं लोग कहेंगे कि सौतेली माँ है इसलिए पढ़ाया लिखाया नहीं बस विवाह कर दिया, पर वह मन ही मन सोचती थी कि अभी विवाह किया
तो इसकी दादी इसके विवाह मे बहुत खर्च करा देंगी।थोड़ा और बूढ़ी हो जाएंगी तो ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी। दादी के मरते ही उसने विवाह की जल्दी मचा दी और उसका विवाह बंगलुरु मे रहने वाले एक परिवार मे कर दिया। माँ का सोचना था कि ज्यादा दूर व्याहने से बार बार मायके नहीं आएगी। रिमझिम तो ससुराल चली गईं इधर उसका भाई पूरी तरह से माँ के अत्यधिक लाड़ प्यार से
बिगड गया था।अपने खर्च क लिए तो माँ से अनाप शनाप पैसे लेता ही था,माँ घर के लिए कुछ खरीद कर लाने के लिए पैसे देती तो वह उसे भी खर्च कर देता सामान नहीं लाता। माँ के डांटने पर शिकायत करते हुए कहता जब देखो मुझे काम बोल देती है, जिससे मै पढ़ भी नहीं पाता। यदि मेरा रिजल्ट खराब हुआ तो मै नहीं जानता सारा कसूर माँ का होगा। पापा आप मुझे नहीं डांटेंगे।
पवन भी पत्नी को डांट देता कहता बच्चे को पढ़ने दिया करो। बेटी तो ठीक से नहीं पढ़ी तो काम चल गया। उसका विवाह करके निश्चिंत हो गया, पर बेटा नहीं पढ़ेगा तो कैसे काम चलेगा?इसे कौन कमाकर खिलाएगा?
सदा मै इसे कमाकर खिलाने के लिए जिन्दा नहीं रहूंगा।बेटा ना पढ़ रहा था ना कुछ काम करने को कहने पर अपनी माँ का बात मान रहा था। अंजना और पवन को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। पवन नें कहा यह भी पढ़ नहीं पाया क्या करू? अंजना नें कहा ऐसा करते है इसका विवाह कर देते है जब सर पर जिम्मेदारी पड़ेगी तो स्वयं कमाने लगेगा।
कुछ समाधान नहीं देखकर पवन को अंजना की बात माननी पड़ी और बेटे का विवाह कर दिया। जो बच्चा माँ बाप की बात नही मानता है वह एकाएक पत्नी की बात मानकर कैसे कमाने लगेगा? यह बात माता-पिता सोचते ही नहीं है।बेटा मे कुछ सुधार नहीं हुआ और साथ मे बहू का खर्च भी बढ़ गया। कुछ दिनों बाद एक पोता हुआ अब तो बहू भी पुरानी हो गईं थी
कुछ भी कमी होने पर सास ससुर को खूब सुनाती थी कि अपने बेरोजगार बेटा से विवाह करके आपनें मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। बेटा से कुछ कहो तो वह कहता मैंने विवाह करने के लिए कहा था?जब आपनें विवाह किया है तो वह जो कुछ अपने या अपने बच्चे के लिए मांगती है उसे आपको तो दिलाना ही पड़ेगा। रिमझिम के रहने पर जो अंजना कभी एक भी काम नही करती थी
उसे अब बुढ़ापे मे काम करना पड़ता था और साथ मे बेटा बहू की किचकिच भी सुननी पड़ती थी।रोज़ की किचकिच और अत्यधिक काम से अंजना की तबियत खराब हो गईं। तबियत खराब होने की खबर सुनकर रिमझिम तुरत अपनी माँ से मिलने आई। माँ की दशा देखकर उसके आँखो मे आँसू आ गए, उसने रोते हुए कहा
यह क्या है माँ आपकी हालत इतनी खराब कैसे हो गईं है और भाई भाभी कहा है? यह मेरी करनी का फल है बेटी। ऐसा क्यों कह रही है। हाँ बेटी, सही कहा मैंने, तुम मुझे अपनी गलती स्वीकार करने दो बेटी, पता नहीं अब कितने दिन जिऊंगी,फिर मिलना हो पाएगा या नहीं। ऐसा मत कहो माँ, तुम्हे कुछ नहीं होगा। मै तुम्हारी देखभाल करूंगी, तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी।
मुझे माफ़ कर दो बेटी मैंने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया। तुम्हारी दादी नें सही कहा था कि दूसरे के बच्चे के साथ बुरा करोगी तो तुम्हारे बच्चे के साथ भी बुरा ही होगा।तुम्हारी माँ पढ़ी लिखी नौकरी पेशा औरत थी पर मैंने तुम्हे सही से पढ़ने नहीं दिया, क्योंकि यदि ज्यादा पढ़ लिख गईं तो कही सम्पति मे अपना हिस्सा मांगने लगोगी।पढोगी लिखोगी नहीं तो समझदार नहीं बनोगी हम जहाँ चाहेंगे
विवाह करके विदा कर देंगे,, पर मै भूल गईं थी कि बड़ा बच्चा पढ़ा लिखा रहेगा तो छोटे का मदद भी करेगा और उसके देखा देखी छोटा भी सही ढंग से पढ़ जाता है। मुझे माफ़ कर दो बेटी तुम तो अच्छी बेटी बन गईं, पर मै अच्छी माँ ना बन सकी। यह कहकर अंजना फुटफुट कर रोने लगी। माँ मै आपको एक शर्त पर माफ़ करूंगी बोलो मानोगी? हाँ, बेटी तुम जो कहोगी वह मै मानूंगी। तो सबसे पहले तो
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यह वादा करो कि यह सब बात तुम पापा को नहीं बताओगी। तुमने जानबूझ कर मुझे पढ़ने नहीं दिया यह जानने पर उन्हें कैसा लगेगा?उन्होंने एक ऐसी औरत को अपनी बेटी सौंप दी जिसने उसका सही से ख्याल नहीं रखा यह सोचकर क्या वह अपनेआप को माफ़ कर पाएंगे? और तुम मेरे साथ मेरे घर
चलोगी। भाई को पैसो की जरूरत होंगी तो वह पापा से उस तरह से नहीं माँग पाएगा जिस तरह से तुमसे जिद्द करके ले लेता है।जब तुम नहीं रहोगी तो बहू को भी काम करना पड़ेगा तब उनदोनो को तुम्हारी क़ीमत पता चलेगी। उसके बाद यदि सुधर जाते है तो ठीक है नहीं तो तुम्हे मन करा करके
उन्हें घर से अलग करना होगा।तुम अपना मन कड़ा करोगी तभी तुम्हारा सही वक़्त आएगा। बोलो मंजूर है? कहकर रिमझिम चुप हो गईं। अंजना नें कहा आज मेरी बेटी कितनी समझदार हो गईं है। अब मुझे वक़्त से नहीं डरना है।मेरी बेटी बुरे वक़्त को भी अच्छा बना देगी।
लतिका पल्लवी