अरे निशा कहाँ हो तुम!!!
जी !अभी आई।…सुनो- जल्दी से एक कप चाय पिला दो। क्या बात है राजेश!!बहुत खुश नजर आ रहे हो। हाँ एक अच्छी खबर है, मुझे आफिस से छुट्टी मिल गई है और हमारे यूरोप टूर के टिकट आ गई है।
अरे वाह!! यह तो सच में बहुत अच्छी खबर है, यूरोप टूर!!! फाईनली हम सब यूरोप जा रहे हैं।
विकास भैया को भी छुट्टी मिल गई ना ??
हां हां मिल गई उसे भी छुट्टी..अब हम अपनी 10वीं एनिवर्सरी यूरोप में मनाएंगे निशा, हमारे साथ विकास व उसका परिवार भी चलेगा तो बहुत मजा आयेगा। बच्चे भी बराबरी के हैं तो अच्छी कंपनी रहेगी। चलो मैं मम्मी पापा को भी हमारे यूरोप के प्रोग्राम के टिकट व छुट्टी मिलने की खबर सुना देता हूँ। तुम चाय भी वही ले आओ सबकी। यूरोप जाने का सुनकर निशा बहुत खुश हुई और यूरोप टूर की कल्पना करने लगी।
रात को निशा की ननंद शशी का फोन आया उसने भी यूरोप जाने की बधाई दी और कहने लगी अब जल्दी-जल्दी शॉपिंग कर लो भाभी। हाँ शशी वहाँ कैसा मौसम है, यह पता करना पड़ेगा, उस हिसाब से साड़ियां व स्वेटर वगैरह सब पैक करूंगी।
साड़ियां!!! क्या भाभी आप भी। आप यूरोप जा रहे हो …यूरोप, साड़ियां पहनोगे वहाँ! अब तो जींस-टी शर्ट, सलवार कुर्ते एवं गाउन लेकर जाओ।
क्यों मजाक करती हो शशी, सर से पल्लू तो हटा नहीं सकती मैं और तुम जींस और टीशर्ट की बातें करती हो, मेरी हँसी मत उड़ाओ, मेरा तो बहुत मन करता है यह सब पहनने का, पर शशी रानी, तुम्हें पता है ना मम्मीजी-पापाजी को साड़ी ही पसंद है, उन्हें तो सलवार कुर्ता पहनना भी पसंद नहीं है बहू का। जीजू तो तुम्हारे ससुराल के शहर से दूर जॉब करते हैं इसलिए तुम वहां सब तरह के कपड़े पहन सकती हो। अरे पर ऐसी कोई बात नहीं है, तुम चिंता मत करो, मुझे अब आदत है साडी पहनने की, मैं तो साड़ी में ही आराम से लूंगी यूरोप।
अरे सुनो ना भाभी!! मैंने कल ही फोन पर बात करते हुए पापा-मम्मी से बातों बातों में कहा कि आपको घर में भी रोज सलवार सूट में पहनने का कहे। तो उन्हें बुरा लगा। कहने लगे बहू को बहू की तरह रहना चाहिए, आँख में शर्म होनी चाहिए।
मैंने कहा सम्मान, शर्म तो नजर में होनी चाहिए मम्मी। साड़ी पहनने व पल्लू सिर पर लेने के बाद भी अगर कोई सम्मान न दे फिर कैसा लगेगा…आप जानती हो मम्मा कि सलवार कुर्ता पहनकर भी भाभी द्वारा आपके सम्मान में कोई कमी नहीं आएगी। आप इतने सालों से भाभी के साथ रह रही हो ना। अब तो भाभी स्कूटर व कार चलाना भी सीख गई है, तो ड्राइविंग करते समय भी साड़ी के बजाय सलवार कुर्ता ज्यादा सुविधाजनक रहता है। साड़ी का पाँव में उलझनें से एक्सिडेंट का भी डर रहता है। इसलिए अब साड़ियों की छुट्टी करो और सलवार कुर्ते पहनने की इजाजत दे दो भाभी को।
आप की क्या राय है पापा इस बारे में…
कह तो तू ठीक रही है बेटा, मैंने कुछ घरों में अब बहुओं को सलवार कुर्ते पहने देखा है। अच्छी तो पोशाक है यह।
देखो मम्मी-पापा समय के अनुसार बदलना हमारे लिए अच्छा होता है। नए जमाने के अनुसार चलोगे तो आपको भी अच्छा लगेगा और आप के सम्मान में कोई कमी नहीं आएगी। आप खुद भी खुश रहो और सब को खुश रखो। जिंदगी के हर पल का मजा लो मम्मी ।
सोचो जरा कैसा हो अगर आपको बिना बताए, आपके बिना कहे ही खुद से भाभी सलवार कुर्ता पहनना शुरु कर दे। तब आपको ज़्यादा बुरा लगेगा ना। तो इससे पहले आप उन्हें अपने मुंह से सलवार कुर्ता पहनने को कहो तो ज्यादा अच्छा लगेगा। भैया भाभी की शादी की दसवीं एनिवर्सरी आ रही है। यूरोप जाने का प्लान कर रहे हैं ना, भैया-भाभी एनिवर्सरी पर…मौका अच्छा है आप खुद ही भाभी को सलवार कुर्ते पहने का कह दो, हो सके तो आप ही सलवार कुर्ता लाकर उन्हें दे दो वह खुश हो जाएगी।
बात तो शशी बेटा तू ठीक ही कह रही है। अब तुम नए जमाने के बच्चे हो। बडे दिल से बडी बडी बातें सोचते हो, हमारी भी सोच बदल सकते हो। पर कह तो तू ठीक रही है। मेरी बहू निशा बहुत समझदार और अच्छी बच्ची है हम दोनों का बहुत सम्मान करती है परिवार को जोड़े रखना का पूरा प्रयत्न करती है, मैं कल ही निशा को सलवार कमीज पहनने के लिए कह दूंगी…।
क्या बात कर रही हो!!!सच में!! शशि, ऐसा कह रहे थे मम्मी पापा…
हां भाभी !! कल ही ये सारी बातें मेरे व पापा-मम्मी के बीच हुई है। आपके यूरोप टूर टिकट्स आ गए हैं इसका तो पता मुझे अभी चला है।
ठीक है ना मेरी प्यारी भाभी अब मैं दो-तीन दिन में आ रही हूँ। फिर मिलकर शॉपिंग करेंगे आपके यूरोप जाने की और अब ” साड़ी से छुट्टी ” और सलवार कुर्ता शुरू। अरे सुनो …सुनो भाभी हमारे बीच हुई इन बातों की भनक अभी मम्मी-पापा को मत लगने देना। मम्मी कल आपको सलवार कुर्ता पहनने का कहने वाली है।
अरे वाह शशी कमाल कर दिया तुमने, तुम मेरी प्यारी ननद रानी हो। बहुत ऊँचे विचार हैं तुम्हारे, बहुत बड़ा दिल है तुम्हारा और बहुत समझदार हो तुम। मैं बहुत किस्मत वाली हूँ जो इतना प्यार करने वाली ननंद पायी है मैंने। भगवान ऐसी ननंद सबको दे।
नीना-कमलेश माथुर