सबके लिए आँसू नहीं बहते… – रश्मि प्रकाश   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : “ माँ चलो सब तुम्हें बुला रहे हैं ।” बेटी गौरी की बात सुन गिरिजा आँसू पोंछते हुए कमरे से निकल कर बाहर आँगन में आकर बैठ गई

“ इतना काहे रो रही है गिरिजा….ऐसा लग रहा जैसे तेरी माँ मर गई है… अरे सास ख़ातिर इतना आँसू कौनों को बहाते हमने तो ना देखा .. तू बड़ी अनोखी है रे।” एक सहेली समान पड़ोसन ने कहा

“ तू नहीं समझेंगी चंपा।” कह कर गिरिजा सास की फ़ोटो के सामने धूप बत्ती जला दी

“ सुन कितने दिन का मातम मनाएगी… अब तो शहर जाएगी ना ?” चंपा ने पूछा 

“ पता नहीं?” कहकर गिरिजा की आँखों से फिर झर-झर आँसू गिरने लगे 

गिरिजा की एक जेठानी और एक ननद एक कोने में बैठ कर खुसूर  पुसूर कर रही थी ।

“ ये गिरिजा तो ऐसे रो रही जैसे हमारी तो वो कुछ ना लगती थी…. ये महारानी पूरे गाँव के सामने बेचारी बन रही है ।” जेठानी की आवाज़ उसके कानों में सुनाई दी

“ सच कह रही हो बड़ी भाभी… मेरी तो माँ ही थी ना … अब इतनी बीमार थी … तकलीफ़ में थी अच्छा हुआ उसे मुक्ति मिल गई।” ननद ने जेठानी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा 

 गिरिजा ये सब सुन कर वहाँ से चुपचाप उठ कर अपने कमरे में चली गई…

“काहे रोती है रे गिरिजा…. ये सब कभी हमारा रिश्ता ना समझ पाएँगी… तू इनकी बात सुन कर आँसू ना बहा।” गिरिजा को ऐसा लगा जैसे सासु माँ उसे समझाते हुए कह रही हो 

“ आप मुझे फिर से अनाथ कर गई ना माँ… आप तो कहती थी मैं हमेशा तेरा साथ दूँगी…. तू मेरी बहू नहीं बेटी है बेटी।”  गिरिजा आवाज़ सुन रोते हुए बोली 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

मेरे अपने… –  प्रीता जैन

“ ना जाती तो कब तक तुझपे बोझ बन कर रहती … तू भी जानती है कैंसर से कोई कितना लड़ सका है… तुने कोशिश की ना मुझे बचाने की पर होनी तो होकर ही रहती है ना… तू दिल छोटा मत कर…. ना तेरे आँसू नकली है ना मेरे लिए तेरा प्यार ।” ऐसा लग रहा था गिरिजा को सासु माँ फिर से समझाने पहुँच गई है 

 गिरिजा अपने अतीत में पहुँच गई…

बिन माँ बाप की बच्ची गिरिजा को एक बार देखते ही उसकी सास दमयंती जी ने पसंद कर बहू बनाने का फ़ैसला कर लिया था बेटा दिल्ली में नौकरी करता था… उसने माँ कीं पसंद पर मोहर लगा दी… ससुराल आकर गिरिजा हर समय डरी सहमी सी रहती….उसे हर वक्त डर लगा रहता था… जिन चाचा चाची के पास रहकर उसने अब तक ज़िन्दगी जी उनके ताने सुनकर वो बड़ी हुई कहीं यहाँ भी उसे सब ताने ना दे दे…

दमयंती जी को बड़ी बहू के तीखे तेवर पता थे…उन्हें भी लगता था कहीं बिन माँ कीं बच्ची के बड़ी बहू ताने ना दे इसलिए वो हमेशा उसका साया बन कर रहती….

वो गिरिजा की मासूमियत देख कर बहू बना लाई थी और सच में वो बहुत मासूम ही थी …दमयंती जी की बेटी को अपना पैसे वाला घर ही प्रिय था माँ कीं गाहे-बगाहे बीमारी देख वो माँ के पास कम ही आती… गिरिजा ब्याह बाद शहर चली गई इधर सास की तबियत ज़्यादा बिगड़ने लगी तो जेठानी ने हाथ पीछे खींच कर गिरिजा को बुला कर साथ ले जाने को कह दिया ।

गिरिजा , दमयंती जी की सेवा मन से कर रही थी और दमयंती जी के प्यार भरे स्पर्श ने उसे उस माँ से मिला दिया जिसके प्यार से वो सदा मरहूम रही।

दमयंती जी की तबियत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी … गिरिजा उनकी हालत देख कर परेशान होती और रोती हुए बस यही कहती आप जल्दी ठीक हो जाइए माँ जी आप के सानिध्य में मुझे मेरी माँ मिल गई है आप चली गई तो मैं फिर अनाथ हो जाऊँगी ।

दमयंती जी समझाते हुए कहा करती थी,” बहू हमारा साथ जितने दिन का लिखा था उतना ही रहेगा…बस वादा कर मरने से पहले मुझे तुम लोग गाँव ले चलोगे?”

गिरिजा सास को गाँव ले आई… वो जानती थी अब सास ना बचेंगी फिर भी आस ना छोड़ रही थी वही जेठानी तो कहती रहती अब क्या सेवा करती रहती है ये मत सोचना सब तुम्हें दे जाएगी.. हमारा भी उसमें हिस्सा है… ननद तो माँ को देखने तक ना आई…मरने पर आ कर टेसुए बहा ली ..काम ख़त्म …पर गिरिजा को सास से माँ सा प्यार मिल रहा था वो कैसे दुःखी ना होती..इसलिए उनके जाने पर सबसे ज़्यादा आँसू उसके ही बह रहे थे ।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

“परिवार” – ऋतु अग्रवाल 

दोस्तों बहुत बार हम किसी रिश्ते में बस काम भर का ही रिश्ता मान कर उसे निभाते हैं पर कुछ रिश्तों से ऐसे बँध जाते हैं जिसके जाने पर हम चाहे ना चाहे आँसू बह ही निकलते हैं ।

कहानी पढ़ कर अपने विचार व्यक्त करें ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#आँसू 

error: Content is Copyright protected !!