अरे भाभी ये टॉप्स तो पुराने हैं।… परम ने भाभी को ठोकते हुए कहा.. भाभी की आंखों में दुख के आंसू छलक गए। उन्होंने तुरंत पलट करके कहा….
परम सोना चांदी कभी पुराना नहीं होता।ये नये लाये थे कई साल से ऐसे ही रखें थे ।पहने हुए नहीं हैं।
परन्तु परम कुछ सुनना नहीं चाहता था ।परम ने कहा… नहीं मेरी बहू को नया देना हो तो दो, नहीं तो ये ले जाओ और दूसरा दो। भाभी दुखी मन से बहू भोज से वापस आ गई ।
भाभी स्वयं को बहुत अपमानित महसूस कर रही थी। परम की नौकरी के लिए उसके भैया ने रात दिन कर दिया।
आज सारे अहसान भूल कर, परम ने सबके सामने मुझे अपमानित किया था ।भाभी घर आकर बहुत रोई… सभी ने उन्हें बहुत चुप कराया पर वो रोये जा रही थी । उन्होने कभी किसी से ऐसा कभी नहीं कहा।
जब कि परम ने भाभी के बेटे की शादी में बहुत हल्की सी अंगुठी दी थी जो बिल्कुल अच्छी नहीं थी। दूसरे दिन परम के द्वारा भाभी की बहू को दी गई हुई
हल्की सी अंगूठी और एक और अंगूठी बनाकर भाभी परम के घर जाकर दे आई… तब जाकर उन्हें चैन मिला लेकिन उसके बाद से परम से संबंध पूरी तरह टूट गए।
परम की पत्नी और बच्चे भी बात नहीं करते थे परम के अंदर अपने तीनों बेटों की नौकरी के कारण बहुत अहंकार था। वो सभी का इसी तरह से अपमानित करता था।
न भाई भाभी उसे निमंत्रण देते थे न ही परम ने अपने अन्य दोनों बेटों की शादी में निमंत्रण दिया।
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समय पंख लगा कर उड़ रहा था। देखते-देखते दस वर्ष कब बीत गए। पता ही नहीं चला ।दस वर्षों के बाद अचानक एक दिन परम को हार्ट अटैक पड़ गया।
परम की पत्नी नीता ने अपने मायके वालों से मदद की गुहार की… परंतु उन लोगों ने साफ मना कर दिया मदद करने से और तीनों बेटों ने भी मुंह मोड़ लिया ।
परम की हालत बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों ने कहा…… अगर तत्काल बाईपास सर्जरी नहीं की गई तो कुछ भी हो सकता है। परम की पत्नी ने अंत में परम की भाभी को फोन किया…
हेलो भाभी मैं नीता बोल रही हूं…. बहुत सालों बाद नीता की आवाज सुनकर भाभी थोड़ी घबरा गई… हां.. बोलो क्या बात है। भाभी आपके देवर जी को हार्ट अटैक पड़ गया है।
वो अस्पताल में भर्ती है। मुझे कुछ पैसे की जरूरत है। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा है। भाभी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो क्या कहें… भाभी ने तुरंत कहा ….ठीक है।..
हम इंतजाम करके तुरंत आते हैं। भाभी ने भैया से कहा और पैसे का इंतजाम करके तत्काल अस्पताल पहुंच गई। समय से बाईपास सर्जरी से परम का जीवन बच गया।
ऑपरेशन के बाद होश आने पर अपने सामने भैया भाभी को देखकर परम की आंखों में आंसू आ गए और हाथ जोड़ लिए, भाभी की आंखों में भी आंसू आ गए।
इन आंसुओं के साथ टूटते रिश्ते जुड़ने लगे थे। परम कुछ समय बाद अस्पताल से घर आ गया ।भैया भाभी उससे मिलने उसके घर गए तो परम भैया को देखकर गले लग कर रोने लगा।
भैया बहुत बड़ी गलती हो गई थी …..मुझे माफ कर दो। आपने पुनः एक बार मुझे जीवन प्रदान किया है। अब मैं यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा। परम, नीता और भैया भाभी तीनों की आंखों में आंसू थे। पुनः पूरा परिवार आज एक साथ था।
स्वरचित एवं मौलिक
विनीता महक गोण्डवी