रणभेदी – रीमा ठाकुर : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi:

बड़े बड़े    सरकंडे ‘घनी घास उसपर दलदल “

जाने कितनी  देर और चलना होगाः ” इनके बीच “

नरकुल के पेड हल्की हवा के साथ ” झूम रहे थे! 

चांदनी रात चांद अपने सौदर्य से ” तारों के बीच मुस्कुरा रहा था! 

पूस का महिना ” पर आकाश बिना परवाह किये ” 

अपनी मंजिल की ओर बढता जा रहा था! 

दूर कही ” उसका इंतजार कर रही थी आकाश की तारा “

खूबसूरत उजली सी चांदनी जैसी ” खूबसूरत इतनी  की चांद भी उसे देखने को तरसे “

पर आज वो एक नजर अपने आकाश को देखने को तरस रही , 

उसका आकाश मातृभूमि की जंग के लिए रणभेदी बनने को अपनी मंजिल की ओर निकल चुका था! 

आकाश और तारा दोनों का प्रेम परवान चढा कुदरत ने उन्हें मिलाया भी ” पर वो मिलन क्षणिक था! 

बस अहसास मात्र ” हर दिन इंतजार ” जितना  तारा ने आकाश को चाहा ” उससे कही ज्यादा चाहत “मातृभूमि के लिए थी ” आकाश के दिल में “

तभी तो तारा को सुहाग की उस सेज  पर” अपने अहसासों के साथ छोड गया था! 

ताजे फूलों  की सेज अभी तक मुरझायी न थी “

न ही मेहंदी का रंग फीका हुआ था! 

दोनों ने मिलकर बार्डर मूवी देखी थी “

उसमें एक सीन थी ” जब सैनिक के रूप में नायक ” नायिका को छोड जाता है”

तारा ने कसकर, आकाश का हाथ पकड लिया था! 

तारा,, छोड तो न जाओगे “

आकाश “”” न न कभी नहीं,  

इस बात को एक वर्ष हो गया ” और सचमुच” आकाश ने वो कहानी दोहरा दी ” 

क्या मै बार्डर की नायिका बन गयी ” वो मन ही मन बुदबुदायी “

नही”” वो तो फिल्म थी, मै कैसे जीऊंगी” आकाश के बगैर ” 

सोचने ” भर से कांप गयी ” तारा “”

रात का दूसरा पहर शुरू हो चुका था! 

लौट आओ आकाश”  तारा सुबक उठी” उसके आंखों से, जलधारा बहकर ताकिये में समा गयी! 

उसने आकाश की ओर देखा ” जहाँ करोड़ों तारे आकाश की बाहों में सुरक्षित टिमटिमा रहे थे! 

तारा ने,   तकिया  बाहों मे भीचं लिया ” और सोने का प्रयास करने लगी”

पर नींद थी वो शायद रूठी हुई थी! 

आकाश बटालियन का सुपर हिरो था! 

उसने खुद चुना था आर्मी को ” माँ बाप का इकलौता बेटा था! 

तो पिता की बिल्कुल इच्छा न थी की आर्मी ज्वाइन करे “

पर माँ के मन में सपना था की मेरा बेटा आर्मी ज्वाइन करे “

पर उसे खोने से डरती थी “

उसका एक ही तो आकाश था ” जिसे वो बांटना नही चाहती थी फिर भी बंट गया “”

माँ को आज भी याद है ” उसका गुल्लक ” जिसके लिए आकाश को माँ की एक कहानी रोज सुननी पडती थी “

उसके बाद एक रूपये का सिक्का माँ देती थी! 

वो भी बचत वाले गुल्लक में डालने के लिए “

जब आकाश बडा हुआ तो उसे समझ आया माँ ऐसा क्यूँ करती थी! 

ताकि उसके अंदर बहुत कुछ बदले “

संस्कार खुद ही जन्म ले उसपर थोपा न जाऐ “

बहुत बाद मे पता चला की आखिर इतने पैसे डालने के बाद गुल्लक भरा   क्यूँ नहीं “

दर असल माँ उन पैसो से ” गरीब बच्चों की फीस भर देती थी! 

और जो कहानियाँ माँ सुनाया करती थी! 

उसमे देशप्रेम के लिए आकाश के मन में समर्पण का भाव जड से बना रहे! 

माँ देश के प्रति समर्पित महिला थी! 

उनकी कहानियों में वीर सपूतों का जिक्र अक्सर होता “

जिसकी वजह से, आकाश के मन मे साहस समार्पण नेतृत्व का कीडा जाग गया था! 

जहाँ बच्चे खिलौने से खेलते ” वही आकाश बंदूको से! 

समय के साथ बालपन बीता फिर युवावस्था में कदम रखा “

खुद चुना था ” 

आकाश ने अपना लक्ष्य “” 

पर तारा से टकरना

महज इत्तेफाक नही था!  वो प्रेम करता था तारा से”

कुछ साल पहले “”

आम के बगीचे मे, तारा उसके नजदीक  आयी थी ” लगा था जैसे सबकुछ थम सा गया था “

आज भी उसकी आंख में, तिर जाती हैं वो तस्वीर “

आकाश,  तुम अभी भी गाँव में ही हो” बाहर जाकर कुछ करो ” तारा ने बोला था”

आकाश “” क्यूँ ” इतनी तो जायदाद है, और मै अकेला वारिस ,  बहुत है” जीने के लिए ”  और हा मेरा लक्ष्य कुछ और है! 

तारा “”” क्या है आपका लक्ष्य”

आकाश ”  समय पर खुद ही सामने आ जाऐगा “

तारा “” कही ऐसा न हो, उस समय का इंतजार करते करते ” मै गुम न जाऊँ “

आकाश ”  तारा पहेलियाँ न बूझाओ”

तारा “” बुद्धू तुम्हे सच मे कुछ समझ मे नही आता या समझना नही चाहते “

आकाश ”  तारा कही तुम्हे प्यार तो नही हो गया “

तारा “” हा हो गया है “

“” सच्ची “”   आंखो में झाकते हुए बोला आकाश “

” देर मत करना ”  वरना ” जान दे दूंगी “

वहाँ से भागते हुए बोली तारा “

उसके अगले दिन ” ही आर्मी ज्वाइन कर ली थी आकाश ने”

और अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए पहला कदम बढा लिया””

बहुत ही जल्दी आकाश ने , सफलता दर सफलता कदम आगे बढा लिया ” और उसका नाम चमकने लगा! 

आकाश ने अपना रास्ता खुद चुना था! 

हालांकि, की  माता पिता ने कभी नहीं सोचा था कि आकाश आर्मी ज्वाइन करे,  और एक दिन “

पिता “”” बेटा देश सेवा बिना सैनिक बने भी की जा सकती है! 

आकाश,,, हा पापा,  पर कफ़न के लिए तिरंगा तो, नही नसीब होगा ” 

माँ “”” बेटा “

उसकी बात सुनकर बिलख उठी थी माँ “””

आकाश “”” माँ चुप हो जा” ये तो मैने बात रखी है, अपनी, जरूरी नहीं की हर सैनिक शहीद ही होता है! 

इतना बडा सौभाग्य सबके नसीब में कहां, आखिरी के शब्द इतने धीरे बोला था की माँ सुन न पायी! 

समय ने करवट ली, तारा आकाश का विवाह धूमधाम से सपन्न हो गया! 

पर आकाश फर्ज के आगे, तारा को छोड़ गया था! 

और वो दिन भी नजदीक आ गया, जहाँ क्षितिज पर तारा अकेली रह गयी! 

रात गहराने लगी ” रात का तीसरा पहर” 

जैसे ही आकाश ने कीचड़ के बाहर पैर रखा, वैसे ही एक गोली, सनसनाती हुई, उसके कान को छू कर निकल गयी “

वो कीचड़ भरे तालाब मे वापस आ गया! 

और वही से स्थिति का जायजा लेने लगा “

उसे समझ मे आ गया ” की जो गोली उसे छूकर गुज़री थी! वो इत्तेफाक मात्र थी! 

दूर कही अब भी रूक रूककर गोलियों की तडतडाहट गूंज रही थी! 

आकाश ने कीचड़ से निकलने का वापस मन बनाया! 

वो बाहर आ गया “

पर अब कही कोई आवाज़ नही आ रही थी! 

शायद दुश्मन ” 

थककर सो गया था  ! 

अब आकाश को थकान लगने लगी थी! 

वो वही पडे पत्थर पर टेका लेकर बैठ गया! 

चांद की रोशनी में उसे सब साफ साफ दिखाई दे रहा था! 

उसने   बूट खींच कर निकल लिया ” 

उसके बूट में बहुत सा कीचड भर गया था! 

और शायद बहुत सारे छोटे मोटे जानवर भी”

कुछ उसके कीचड़ सने हाथों पर रेंगने लगे ” जिसे आकाश ने झटक कर दूर कर दिया! 

फिर वही नर्म घास पर अपने हाथ को साफ करने लगा! 

उसे भूख लगने लगी थी! 

उसने बाहर से ही बैग को टटोला “” टिफिन अंदर ही था! 

माँ “”” उसे माँ की याद आ गयी! 

और माँ के साथ तारा की भी”””

आकाश ने टिफिन बाहर निकाल लिया “

साग पराठे, आचार की खूश्बू हवा में फैल गयी! 

उसके हाथ कीचड़ से सने हुए थे! 

आकाश ने नर्म घास पर ही हाथ रगडकर हाथ साफ  कर लिया! 

फिर हाथ पर थैली बांधकर  , खाने बैठ गया! 

कुछ ही क्षण बीते होगें की कदमों की आहट हुई ” उसे लगा जैसे उधर से कोई आ रहा है! 

उसने वापस सारी चीजे बैग मे डाली! 

और धीरे से, वापस कीचड वाले तालाब में उतर गया! 

कुछ देर बाद, बूटो की आवाजें कम होने लगी! 

आकाश फिर से बाहर निकला और बिना देर किये अपनी मंजिल की ओर बढ गया! 

निश्चित जगह पहुंचने तक सुबह के चार बजने वाले थे! 

किसी ने आकाश के हाथ में कुछ पकडाया “

और वो कही खो गया “

आकाश ने एक गड्ढे में शरण ली “

वो अजगर जैसा रेगंता हुआ गडढे में उतर गया! 

उसने मोबाइल की बैटरी जला ली”

हम बीस मात्र,  उसके माथे पर चिंता की लकीर खींच गयी! 

उसने नक्शे में देखा “

छुपने की जगह भी कम यदि अभी हमला न किया गया तो सुबह होते ही सब पकडे जाऐगे “

आकाश ने पोजीशन संभाल ली “

उसने बैग में टटोला “

अपने पास पचीस, दुश्मन दो सौ , से  ज्यादा की संभावना “

मारो और मरो वो मन ही मन बुदबुदाता”

शी शी”

आकाश ने हवा में बम उछाला”

एक धमाका ” दुश्मन खेमे में अफरातफरी मच गयी! 

वो गड्ढे से बाहर आ गया! 

जैसे साक्षात काल उसमें समा गया हो”

नवीन इस गड्ढे में पोजीशन लो हमे वैसे भी मरना है, तो शान से मरते है”

सामने से जबाबी हमला शुरू हो चुका था! 

सबने पोजीशन संभाल ली थी’

अंधेरे का फायदा उठाकर आकाश ने झंडा हाथ में पकड लिया , 

और उसे सही जगह पर फहरा भी दिया! 

जय हो वंदे मातरम् “

एक सैल्यूट के साथ नतमस्तक हो गया! 

हवा में तिरंगा लहरा रहा था! 

और दोनों तरफ से फायरिंग भी हो रही थी! 

आकाश ने अपना हैलमेट उतारा, और संगीन के नोक पर उसे   टांग कर कुछ कदम पीछे आ गया! 

पीछे पोजीशन जमाकर फायरिंग शुरू कर दी “

पीछे सैनिकों की नजर आकाश के हैलमेट पर थी! 

उनमें हौसलें की कमी न थी! 

एक बम आकाश के बाजू आकर गिरा, उसके शरीर के चिथड़े उड गये! 

पर पीछे मौजूद सैनिक, आकाश के हैलमेट को देखकर, उसके सुरक्षित होने से खुश थे! 

आकाश की ओर से फायरिंग बंद हो चुकी थी”

नवीन को कुछ शक हुआ, वो रेगंता हुआ आकाश के पास पहुंचा, पर वहाँ, मांस के चिथड़ों के आलावा कुछ नजर न आया! 

वो गुस्से से कांप उठा, उसे समझ में आ गया ” की आकाश का हेलमेट सामने क्यूँ दिखाई दे रहा है! 

ताकि पीछे सैनिकों का हौसला टूटे “

यहाँ सब ठीक है, नवीन तेज आवाज में बोला “

सर के पास गोलियां खत्म हो गयी थी! 

हमला “

नवीन पोजीशन बदल बदल कर गोलियां चला रहा था! 

सबको लग रहा था, कई लोग है! 

दुश्मन की नजर, तिरंगे के पीछे हैलमेट पर  पडी ” 

वो सिट् “

एक फायर और हैलमेट नीचे गिर गया! 

लगता है दुश्मन छुप गया’

नवीन हैलमेट के करीब आ गया ” फिर गोलियों की बौछार “

ये दुश्मन कैसा है, उन्हें आश्चर्य हुआ “

नवीन ने घड़ी में समय देखा, उसकी बटालियन नजदीक पहुंच चुकी थी’

भारत माता की जय “

भोर होने लगी थी! 

और  तिरंगा शान से लहरा रहा था! 

सैनिकों ने आते ही हमला बोल दिया ” सामने से दुश्मन भाग खडा हुआ “

पर आकाश धरा की मिट्टी में विलीन हो चुका था! 

ये मिशन एक बार फिर से पूरा हो चुका था! 

तारा के सामने उसके पति का अंश टुकडो में था “

वो मौन थी! 

माँ का आंचल आंसुओं से सरोबार था”

पिता की आंखो में प्रश्न अब क्या होगा “

पर पूरे देश में आकाश अपनी अमिट छाप छोड़ गया “

धरती का लाल धरती में एक बार फिर समा गया! 

जय हिंद, जय भारत”

रीमा ठाकुर “

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