अरे!! अमित आज तो तुम्हारा रिजल्ट आने वाला था न क्या हुआ..रिजल्ट आया या नही..? मुझे पता है वैसे भी तुम्हारा रिजल्ट क्या रहा होगा..? मानसी ने अपने बेटे अमित से कहा।। हां माँ!! ये लो मेरी मार्कसीट आप खुद ही देख लो मेरा रिजल्ट अमित ने मार्कशीट आगे बढ़ाते हुए कहा।। मानसी अपने बेटे का रिजल्टदेख …अमित के ऊपर चिल्ला उठी ये क्या कोई पास होना है, बस 89℅ प्रतिशत ही नम्बर आये हैं तुम्हारे, मैने तुमसे कहा था ना कि इस बार तुम्हें 99.9% लेकर लाने हैं, लेकिन तुम्हे तो खेलने, औऱ मोबाइल से फुर्सत मिले तभी तो तुम पढ़ाई पर ध्यान दोंगे, मिसेज शर्मा के बेटे निखिल को देख रात दिन बस पढाई ही करता रहता है, औऱ हमेशा ही अव्वल नम्बरों से पास होता हैं, अब मैं अपनी सहेलियों से क्या कहूंगी की मेरा बेटा सिर्फ 89%प्रतिशत नम्बरों से पास हुआ..तुमने तो मेरे अरमानी पर पानी फेर दिया…। मानसी अपने बेटो को बस डांटे ही जा रही थी।।
मानसी की आवाज पूरे घर मे गूंज रही थी,तभी ससुर महेश जी वहाँ आये ,औऱ मानसी से कहने लगे..क्या हुआ बहू..? तुम मेरे पोते को क्यो डांट रही हो,आखिर उसने ऐसा क्या कर दिया…?
अरे !! पिताजी यह पूछो इसने क्या नही किया…? इसने तो हमारे अरमानो पर पानी फेर दिया..मात्र 89% नम्बरों से पास हुआ है….
89℅ यह सुनकर महेश जी ने अपने पोते को गले लगा लिया औऱ उसे आशीर्वाद देने लगे कि,वो खूब तरक्की करें, औऱ आगे बढ़ता रहे…।
लेकिन अमित ने अपने दादू से कहा- गर दादाजी आपको भी मेरे से कोई शिकायत हो तो कह लीजिए.. क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपके लिए भी यह पास होना कोई मायने नही रखता हैं…!! आप भी अपना शिकायतों का पुलिंदा खोल कर बैठ जाइए जैसे मम्मी बैठी हुई है… अमित ने मासूमियत भरे शब्दो मे कहा!!
नही नही!! मेरे बच्चे मुझे तुझ से कोई शिकायत नही है, मुझे तो गर्व है कि मेरे पोते ने 89 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं,जो शायद ही परिवार के किसी भी व्यक्ति के आये हो..! क्यो बहू मैने सही कहा ना।।
क्या पिताजी आप अमित को डांटने की बजाय उसे सिर पर चढ़ा रहे हैं, इतने अच्छे भी उसके नम्बर नही आये है…!! मानसी ने गुस्से से कहा।।
जा बेटा अमित तू अपने दोस्तों व सभी को यह खुशखबरी सुना कि तू अव्वल नम्बरों से पास हुआ है, महेश जी ने अमित से कहा।।
अमित को दूसरे कमरे में भेजने के बाद…महेश जी ने मानसी से कहा-” देख बहू हम सभी जानते है कि आज बच्चों के घर 99.9 प्रतिशत अंक भी आ जाये तो हमे कम ही लगते है। लेकिन बच्चो पर इस बात का प्रेशर डालना भी गलत हैं ना।।
वैसे बहू एक बात बता क्या तूने अमित के पास बैठकर उससे कभी पूछा कि पढ़ाई केसी चल रही,या उसके साथ जागने की कभी कोशिश की..क्या तुमने कभी उससे यह कहा कि बेटे पढ़ाई का ज्यादा लोड मत लिया कर…जैसे भी नम्बर आएंगे हम उन नम्बरों से संतुष्ट होंगे,क्या तुमने कभी अमित से कहा कि कभी भी अपनी तुलना किसी से मत करना, तुम बस पढ़ाई में अपना सौ फीसदी देना।।
औऱ एक बात क्या तुमने कभी 89प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं..? औऱ बहू अंत मे तुमसे यही कहना चाहूंगा कि,अमित के ऊपर पढाई को लेकर ज्यादा प्रेशर मत दे…बल्कि उसका हमेसा उत्साह बढ़ा,उसकी खुशी में खुश हो। क्योंकि कभी ऐसा न हो तेरी ये शिकायतें अमित को हम सभी से दूर करदे क्योंकि आजकल बच्चे जल्दी हताश हो जाते हैं, जब हम उनकी तुलना किसी औऱ से करते हैं, या फिर अच्छे अंक लाने पर भी उन्हें डांटते है, तब वो गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं, इसलिए अमित के साथ ऐसा कुछ न हो तू मेरी कहि हुई बातो को जरा दिल से सोचना।। यह कहकर महेश जी अमित के पास गए औऱ उसके साथ खेलने लगे।।
ससुर के सवालों को सुनकर मानसी स्तब्ध रह गई…?
ससुर जी ठीक ही तो कह रहे हैं, मैने तो हमेशा बस अमित को यही बोलती हूँ कि बस पढ़ाई कर,तुझे स्कूल में अव्वल आना है, कभी अमित से ये पूछा ही नही की स्कूल में क्या पढ़ाया क्या नही…पढ़ाई कैसी चल रही,कभी उसे खुलकर खेलने भी नही दिया…मैं उससे इतनी शिकायते करती रही लेकिन उसने मुझसे कभी भी शिकायत नही की की मम्मी तुम मेरे साथ कभी तो प्यार से बोलिये, कभी तो मेरा उत्साह बढ़ाइए कभी तो मुझे भी खेलने दीजिये…।।
मानसी को आज अहसास हो रहा था कि,वो कितना गलत कर रही थी।। सच मे हम अपनी मर्जी लादकर बच्चों का बचपना ही छीन लेते हैं, हम चाहते है कि बच्चे हमारी इच्छाओ के अनुसार ही अंक प्राप्त करें… हर वक्त हम बच्चो को पढ़ाई के लिए डांटते रहते हैं, यहाँ तक कि टीचरो से भी शिकायत कर देते जबकि यह जानते हुँ की हमारा बच्चा पढाई में अच्छा है फिर भी हम ये ही कहेंगे कि पढ़ता ही नही है..?
सच जो बेटा आज 89℅अंक से पास हुआ है मैं उसको गले लगाने की बजाय उसे डाँटने लगी…एक माँ होने के नाते मुझे तो उसकी खुशी में खुश होना चाहिए था..औऱ मैं खुश होने की बजाय उसके ऊपर गुस्सा कर बैठी।। मानसी को अपनी गलती का अहसास होने लगा।।
आँखों से आँसू बहने लगे…वह तुरंत अपने बेटे अमित के पास गई औऱ उसको गले लगाकर ,माथा चूमकर, उसे बहुत सारा प्यार करने लगी…औऱ आशीर्वाद देते हुए कहा…मुझे माफ़ कर दे बेटा…।।
बस तू हमेशा ऐसे ही आगे बढ़ता रहे… अमित के चेहरे पर भी एक चमक आ गई थी..अपने माँ के मुंह से उत्साहवर्धन शब्द सुनकर।।
दोस्तो यह कहानी अमित की ही नही शायद पढ़ने वाले उन सभी बच्चो की हैं जो 99.9℅ प्रतिशत अंक लाने पर भी उनके माता पिता की बच्चो से शिकायतें खत्म नही होती है, औऱ वो खुद ही अपने बच्चो को मजबूर कर देते हैं,गलत कदम उठाने के लिए.. या फिर डिप्रेशन में लाने के लिए…इसलिए इस कहानी के माध्यम से मेरा सभी माता पिताओं से अनुरोध हैं कि वह बच्चो पर पढाई के लिए ज्यादा प्रेशर न डाले, औऱ उनकी मेहनत से मिले अंकों से संतुष्ट होकर उनका उत्साहवर्धन करें।।
धन्यवाद।।
गर आप सभी को मेरी कहानी पसन्द आये तो जरूर अपने विचार देना,लाइक व फ़ॉलो करके मेरा भी उत्साह बढ़ाना
ममता गुप्ता
अलवर राजस्थान