पहचान – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

परिवार , समाज और साहित्य  जगत में , अगर महिलाओं की पहचान उनके अपने व्यक्तित्व , उनकी कीर्ति और उनके रचनात्मकता की वजह से बनी है और वह सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुंच गई हैं तो यह समाज के लिए भी गौरवान्वित होने की बात है । इस पुरुष प्रधान समाज में जब स्त्रियों का अपना कोई वजूद है

कोई निजी पहचान है और उनके घरों और फ्लैटों में उनके स्वयं के नाम का नेम प्लेट लगा हुआ है तो क्या यह सिर्फ उनकी अपनी उपलब्धि है ? यहां तक पहुंचने में क्या उन्हें किसी पुरुष का सहयोग और साथ नहीं मिला होता है ? क्या वो अकेली ही इस मुकाम पर पहुंच गई हैं ? वो आर्थिक और मानसिक रूप से आत्मनिर्भर हैं तो क्या बिना किसी के सहयोग का ही उन्हें सम्मान मिला ,

ओहदा मिला और मिली उन्हें निजी पहचान ?  नहीं ऐसा नहीं है । जिस तरह यह माना जाता रहा है कि पुरुषों के सफलता के पीछे कोई न कोई स्त्री जरूर होती है । चाहें वो मां हो , बहन हो , मित्र हो , प्रेमिका या पत्नी हो । कोई न कोई स्त्री उनकी प्रेरणा श्रोत जरूर होती हैं । कुछ दिलेर पुरुषों ने इस बात को स्वीकारा भी है और मंच पर सराहा भी है

आभार भी प्रकट किया है । व्यक्तिगत रूप से मैं यह मानती हूं कि जिस तरह पुरुषों के सफलता के पीछे स्त्री का हाथ होता है ठीक इसी तरह स्त्रियों के सफलता के पीछे में किसी न किसी पुरुष का साथ जरूर होता है । चाहें वह पुरुष उनका पिता , भाई , गुरु , पति या पुत्र हों । मेरे सफल , सम्मानित , समृद्ध और खुशहाल जीवन में भी पुरुषों का सहयोग

उड़ान – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

और समर्थन मिला है । मैं बचपन में अगर शिक्षित हुई तो पिता , भाई और गुरु के सहयोग से । विवाह के बाद अपने शिक्षा , दीक्षा और ज्ञान का साकारात्मक उपयोग करने का अवसर पति ने दिया । मुझे अपनी निजी पहचान बनाने के लिए एक प्लेटफार्म मेरे पति ने ही दिया जहां पूरी आज़ादी से मैंने अपने आपको साबित किया ।

खुद को साबित करने का अवसर देना भी कम बड़ी बात नहीं है । खास कर भारतीय परिवेश में जहां पुरुषों का परमेश्वर समझा जाता है और जाहिर है कि महिलाओं का स्थान निम्न होगा । इस पुरुष प्रधान समाज में अगर मिलता है उन्मुक्त आकाश स्वच्छंद उड़ान भरने के लिए तो क्या यह पुरुषों की महानता नहीं है ?

अपनी परम्पराओं और रूढ़िवादिता को तोड़कर अपने समकक्ष खड़ा किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और मार्गदर्शन देकर राह सुगम किया । मानसिक स्तर पर वैचारिक सहयोग देना भी वही मायने रखता है जो प्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने का होता है । 

स्त्री  सक्षम है , समृद्ध है , आत्मनिर्भर है । आर्थिक , मानसिक और सामाजिक रूप से भी मगर इस बात से इंकार नहीं कर सकती हैं कि उनके सफलता के पीछे एक पुरुष का साथ है ।

 

आत्मानुभूति 

लिटरेरी जनरल सरिता कुमार , Saritakumar 954 , फरीदाबाद

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