ऋण – अनुपमा 

बंसी जाओ गाड़ी निकाल लाओ साहब तैयार हो गए है , सुषमा ने आवाज दी तो जैसे नींद से जागा बंसी और तेज़ी से अपने कपड़े ठीक करता हुआ सुषमा से गाड़ी की चाभी देने का इशारा किया  साहब आ कर गाड़ी मैं बैठ चुके थे रोज की तरह उन्होंने बंसी काका से हालचाल पूछा … Read more

कर्तव्यबोध – वीणा

चुन्नु देख..नानाजी आए हैं तेरे..देखो तो नानाजी क्या गिफ्ट लाये हैं तुम्हारे बर्थ डे के लिए अरे भाई.. मैं चुन्नु के लिए गिफ्ट लेकर नहीं आया..बल्कि उसके लिए साईकिल यहीं लेना है मुझे..और चुन्नु की नानी ने तुम तीनों के कपड़े खरीदने के लिए कुछ पैसे भिजवाये हैं..कहते हुए रामनाथ जी ने बीस हजार रुपये … Read more

रेवा-उमा वर्मा 

मेरी दीदी,  रेवा को  उसके  मायके से ले तो आया अमन पर उसका पारा गर्म  था, आखिर हुआ क्या, बताओ तो सही? अमन के पूछते ही आग उगलने लगी वह ।अपनी दीदी से कह दो, मेरी जिंदगी में दखल देना  बंद कर दे।चार दिन के लिए मायके क्या गई उनहोंने उपदेश का पुलिंदा भेज दिया … Read more

नया जमाना – प्रीती सक्सेना

आज पड़ोस के खाली घर में काफ़ी हलचल सी दिख रही है, लगता है, कोई आने वाला है, तभी जोर शोर से इतनी सफाई चल रही है, चलो कुछ रौनक बढ़ेगी, बातचीत के लिए पड़ोसन तो मिलेगी, सोचकर हम मन ही मन प्रसन्न हुए, और अंदर आ गए, शाम को पौधों को पानी दे रहे … Read more

गलतफहमी -माता प्रसाद दुबे

दो साल की नन्ही बच्ची को गोद में लिए मालती वकील के चैम्बर में प्रवेश करते हुए अपने अतीत के डरावने सच से भयभीत हो रही थी। “आओ मालती बैठो,कल तुम्हारा तलाक़ मंजूर हो जायेगा?”वकील ने मालती से कहा।”वकील साहब अब आप ही रवि नाम के जानवर से मुझे मुक्ति दिला सकते हैं?” कहते हुए … Read more

स्वर्णा – गीता वाधवानी

आज जब स्वर्णा कंप्यूटर इंजीनियर बन कर मेरे सामने आई तो, मैं खुशी से अपलक उसे निहारती ही रह गई। कितनी प्यारी और सुंदर लग रही थी हमारे स्वर्णा। अपने नाम के अनुरूप उसने गुण भी पाए थे। वह सचमुच सोना है सोना, खरा सोना।       हंसमुख, दयालु, कुशाग्र बुद्धि, थोड़ी चंचल चप्पल, खट्टी मीठी और … Read more

गुमनाम योद्धा –   तृप्ति उप्रेती

आँखों  में सतरंगी सपने लिए सुनीता ने दुल्हन के लिबास में ससुराल में पहला कदम रखा। हंसी खुशी के माहौल में सारी रस्में पूरी हुईं। दो तीन दिन में सभी रिश्तेदार चले गए और घर में सुनीता, उसके पति सुवीर, सास और ससुर  रह गए। बङी ननद की लगभग दस वर्ष पहले शादी हो चुकी … Read more

” माँ का आँचल ” – सीमा वर्मा

‘ अनीता सिन्हा’ बैंक में सीनियर असिस्टेंट की पोस्ट पर काम करती हैं। उनके पति का देहांत हो चुका है।  संतान सुख से वंचित वे घर में नितांत अकेली ही रहती हैं। वे रोज सुबह घर के सारे कामकाज निपटा कर पूजा के नाम पर भगवान् जी को सिर्फ़ अगरबत्ती दिखा कर ८. २० की … Read more

“बहु या बेटी” – ऋतु अग्रवाल

  “अरे चलो भाई! जल्दी बहू को विदा कराओ। अगर देर हो गई तो जगह-जगह जाम मिलने लगेगा।” “हाँ बात तो सही है,” सतीश जी ने कहा और अपनी पत्नी समिधा जी से कहा कि समधन जी को विदाई के लिए बोलो। थोड़ी ही देर में विदाई शुरू हो गई।बहु अवधि सब के गले लग कर … Read more

आभासी सुंदरता – Dr. Parul Aggrwal

आज मैं आप सभी के साथ एक कहानी नहीं विचार साझा कर रही हूं। जो बताने जा रही हूं कहीं न कहीं उससे हम सभी ही रूबरू हुए होंगे आजकल का दौर टेक्नोलोजी का है, सोशल मीडिया से लेकर तरह- तरह के ऐप आज ही उपलब्ध हैं। कई ऐप की वजह से तो हमारी ज़िन्दगी … Read more

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