समझदार – रेखा मित्तल

     मां की तबीयत खराब थी। कुछ उम्र का तकाजा, कुछ घुटनों का बढ़ता दर्द। मुझे कल 5/7 दिनों के लिए मां के पास जाना था। 1 सप्ताह से तो बड़ी दी देखभाल कर रही थी परंतु उनकी भी छुट्टी खत्म हो रही थी तो अब मुझे वहां जाना था। प्रोग्राम पहले से ही तय था। … Read more

रूपकुंड झील  – गरिमा जैन

रूपकुंड झील जहां कहते हैं रात बिताने वाला कभी वापस नहीं आता ।हिमालय की सुंदर पहाड़ियों के बीच स्थित यह झील अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं और इन रहस्यों को सुलझाने के लिए पैरानॉर्मल एक्सपर्ट गौरव  सुमित के साथ वहां जाने का प्रोग्राम बनाता है। सुमित और गौरव ने पहले भी कई पैरानॉर्मल … Read more

प्यार की एक कहानी – नीलम सौरभ

वह हल्के कुहासे से भरी एक सुहानी सुबह थी। सवेरे की सैर पर निकले हुए लोगों के लिए अति आनन्द भरी थी। पर उस परिवार के वृद्ध मुखिया बब्बाजी आज बेहद गुस्से में भरे हुए शीघ्र ही घर लौट आये। रोज की नियमित दिनचर्या के तहत वे टहलने गये थे, लेकिन आज अपने पुराने ठिकाने … Read more

मैला आँचल – रंजना बरियार

‘किरण , तुम यहाँ?…’ स्वास्थ्य मंत्री प्रकोष्ठ के बाहर , ऊँची हिल की सैंडल ,कड़क साड़ी  पहनी, गुलाबी लिपस्टिक लगाकर, घूमती किरण को देखकर आश्चर्य से डॉ सौरभ प्रकाश ने पूछा । ‘जी , मैं इन दिनों यहीं काम करती हूँ…’ किरण ने संक्षिप्त सा जवाब दिया । ‘क्या काम करती हो यहाँ ?’डॉक्टर ने … Read more

धरती का स्वर्ग – कंचन श्रीवासत्व

************* ऐ क्या है मां ये….…ये ….. फोटो किसकी है और मुझे क्यों दिखा रही हो। तो मुस्कुराते हुए सुलेखा ने कहा । अरे ! पापा ने लड़का देखा है । तो उसे आश्चर्य से पूछा! किसके लिए – इस पर उसे गले लगाते हुए  बोली तुम्हारे लिए । देखो कैसा है। पर मां…….। मैं … Read more

बेआवाज लाठी – रीटा मक्कड़

इकलौते बेटे को ब्याह कर  सुमित्रा काकी बड़े चाव से बहु ले कर आई।इतनी खुश थी आज कि जैसे सारी खुशियाँ एक ही बार में समेट लेगी। बड़ी देखभाल कर छाँट कर लड़की चुनी। जो बेटे की तरह ऊंची लम्बी हो , सुंदर भी लगे और खानदानी भी हो। सारी जिंदगी लोगों के कपड़े सिलकर … Read more

सुखना – रूद्र प्रकाश मिश्र

बिल्कुल अपनी नाम के मुताबिक था वो । सूखी सी देह , अंदर की ओर धँसी हुई आँखें , बाहर निकला हुआ पेट और सूखे हाथ – पाँव । यही कोई बारह या पंद्रह वर्ष के आस – पास उम्र होगी उसकी ।           उसको आज सुबह से ही पास वाले गाँव के जमींदार के यहाँ … Read more

बिल्कुल तुम पर गई है – पिंकी नारंग

सुधा शिवम को याद कराते हुए कह रही थी, घर की डुपलीकेट चाबी अपने पास रख लेना |आज पापा से मिलने गुड़गांव जाना है, लौटने मे देर हो जाएगी |डिनर भी बाहर से औडर कर देना |मै भी घर आ कर तुम्हारे साथ ही खाऊँगी |शिवम हसँते हुए बोला “दोपहर का खाना भी खा कर … Read more

नहले पर दहला – प्रीती सक्सेना

स्वलिखित   हां तो बात बहुत पुरानी है, हम पुत्र जन्म के डेढ़ माह बाद इंदौर आए, एक तो काम करने की कम आदत, अरे बताया तो था, पापा हमारे एसडीएम, थे न, चपरासियों की फौज रहती थी घर में, कुछ तो इस कारण से काम करने की आदत नहीं पड़ी , और हमें ये … Read more

 मेरी तपस्या

मैं आश्नवी बचपन से ही ‘ बड़ी बहन माँ के समान होती है ‘ सुन कर पली बढ़ी हूँ। कहाँ पता था ?   भविष्य में यह कथन मेरे द्वारा ही चरितार्थ  होने वाली है। कुल चार जनों का छोटा परिवार था मेरा जिसमें मैं, मेरा छोटा भाई, मम्मी-डैडी थे। हंसते -खेलते हम बड़े होते जा … Read more

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