ईमान – उषा गुप्ता #लघुकथा

“भैया,रिक्शा जरा जल्दी चलाओ ना !” मिसेज गोस्वामी उतावली हो रही थी अपने बेटे और पोते को देखने के लिए। ” अरे भागवान ,रिक्शा ही तो है हवाई जहाज नहीं …बस पहुंचने ही वाले हैं।” मिस्टर गोस्वामी ने दिलासा देते हुए कहा। जैसे ही रिक्शा बड़ी सी कोठी के गेट पर रुका ,दोनों ने फटाफट … Read more

लत – कंचन आरज़ू

कहते हैं लत कोई भी अच्छी नही पर लग जाए तो कोई क्या करे ,लाख जतन कर लो पर छूटती नहीं। अब अम्मा को ही ले लो सबके इंतज़ार करने की बुरी बीमारी लगी है , वहीं दलान में बैठे बैठे हर आने जाने वाले पर नज़र रखती है। क्या मजाल कि उनकी नज़र से … Read more

सन्नाटा  – गौतम जैन #लघुकथा

आप दोनों के लाड़ प्यार से बच्चे बिगड़ जाएंगे इसलिए बच्चों को नहीं भेजेंगे । बच्चों पर आप लोगों का कोई अधिकार नहीं है ये आपकी बहू कह रही है और इसमें गलत भी क्या है ? बेटा अपने मां बाप से बोला ।           हम तो यहां सब कुछ छोड़कर बच्चों के लिए ही तो … Read more

नन्हकी – पुष्पा पाण्डेय

अस्सी की उम्र में भी शर्माईन नन्हकी ही कहलाती थी। पता नहीं उनका असली नाम नन्हकी ही था या कुछ और? सास तुल्य उसकी सौत ने जब मंदिर से अपने पति का दूसरा ब्याह कराकर आई तो मुह दिखाई की रस्म में नन्हकी नाम का ही सम्बोधन किया। तभी से सभी उसे नन्हकी चाची, नन्हकी … Read more

अपने बच्चों को ऐसे अंकलों से बचाइए – संगीता अग्रवाल

चार साल की नन्ही टिया भागते हुए अपने प्यारे रवि अंकल की गोद में आकर बैठ गई…रवि अंकल ने भी जेब से चॉकलेट निकाली और टिया को गाल पर किस्सी करने का इशारा किया टिया ने भी झटपट किस्सी कर दी। पर ये क्या अंकल ने जल्दी से चेहरा घुमा लिया और गाल की जगह … Read more

बड़ी बहन भी मां ही होती है,,,-सुषमा यादव

दोनों बहनों में पांच वर्ष का अंतर है,, जहां छोटी बहन गोरी,गोल मटोल, चंचल, मस्त अल्हड़, खूब बातूनी और खिलखिला कर हंसने वाली, साथ ही शैतान भी बहुत थी,,, वहीं पर, बड़ी बहन का रंग थोड़ा दबा हुआ सा,, शांत, गंभीर, प्रकृति वाली,,, बस ख़ामोश भरी निगाहों से सबको ताकती रहती पर बोलती कुछ नहीं,,जब … Read more

स्नेह बंधन – डा.मधु आंधीवाल

आज आप मेरे साथ नहीं हैं पर आपका ममत्व भरा सानिध्य में कभी नहीं भूल पाती हूँ । आज मैं भी उम्र के ढलान पर हूँ पर जब पुरानी यादों में पहुंच जाती हूँ तो लगता है कि अभी भी तुम्हारी  छुटकी बन गयी । आप बड़ी बहन कम और एक मां का दायित्व निभाती … Read more

ढोल – अनुज सारस्वत

“भैया देखो ऐसा है बैंड का हमें ना पता लेकिन ढोल जरूर होना चाहिए।हमारे भैया की शादी में।वरना हम दूसरा इवेंट वाला कर लेंगें” सेठ ने बाल खुजाते हुए इवेंट मैनेजमेंट वाले को कहा।इवेंट मैनेजर आश्वासन देकर चला गया। वह एक बस्ती में पहुंचा वहां जाकर एक झुग्गी में आवाज लगाई  “मोनू.. मोनू..” एक 20 … Read more

आधुनिकता – अनुपमा

बहुत बैचैनी से ऋतु इधर से उधर घूम रही थी , कनखियों से पापा की ओर देखने का प्रयास कर रही थी , शोभा ने ऋतु के इस व्यवहार को नोटिस तो किया पर कुछ कहा नहीं , पापा के ऑफिस जाते ही ऋतु जल्दी से तैयार हो गई और बाहर जाने लगी , शोभा … Read more

कर्ज़- विनय कुमार मिश्रा

“माँ! गाँव की बड़की माई शायद अब अलग खाना बनाने लगी हैं, बीमार भी रहने लगी हैं, सूरज है यहां अपने गांव का, वही बता रहा था” बेटे ने ऑफिस से आते,एक खबर की तरह बड़े ही आराम से कहा था कल, पर मेरे दिल में एक हलचल सी मच गई, उनसे मिलने की “अरुण! … Read more

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