दस्तूर – अरुण कुमार अविनाश

” रमेश बाबू और कितना समय लगेगा ?” – गोविंद जी असहाय भाव से बोले। ” बड़े बाबू आप खुद सिस्टम का हिस्सा रहें है – आपसे क्या छुपा है ! – सरकारी दफ्तर में आवेदन देना – खस्सी को वध स्थल पर पहुचानें जैसा काम है – खस्सी जाना नहीं चाहता और कसाई खींच-खींच … Read more

हमारे पापा – मीनाक्षी सौरभ

मोहल्ले की सारी लड़कियों के हाथ पीले होकर गोद में बच्चा लाने की तैयारी होने लगी थी और हमारे पापा को हम अभी भी बच्ची लग रहे थे। ना,ना… ठहरिए, दिमाग के घोड़े ना दौड़ाइए। ऐसा नहीं है कि हम उम्र में बड़े हो गए थे, बल्कि बाकियों की शादियाँ जल्दी हो गई थी। वो … Read more

मातृभाषा – तरन्नुम तन्हा

लंदन वाली ननद, मोना, के आने के एक हफ्ते पहले ही घर में तैयारियाँ शुरु हो गईं थी। वह हमारी शादी में तो आई नहीं थी, क्योंकि हमने सीधी-सादी कोर्ट-मैरिज की थी। हालाँकि शैलेश, मेरे पति, ने घर के लॉन में रिसेप्शन की छोटी सी पार्टी दी थी, जिसमें सभी आए थे। शैलेश ने ही … Read more

सबूत – प्रीती सक्सेना

मम्मी पापा का फ़ोन,,, रिंकी चिल्लाई, आ रही हूं, क्या बात  है,, फ़ोन कैसे किया, अरे वर्मा ने नई गाड़ी ली है, बोल रहा है, शीतला माता वाटर फाल चलें सब, एक ही गाड़ी से, पिकनिक जैसा हो जाएगा, क्या कहती हो, बिल्कुल चलेंगे, मैं गीता से बात कर लेती हूं, कुछ हल्का फुल्का बनाकर … Read more

काश –डा. मधु आंधीवाल

नाव्या तुम बहुत भाग्यशाली हो तुमको इतनी अच्छी ससुराल और पति मिलें हैं। नाव्या की सारी सहेलियां आज करीब 20 साल बाद आपस में बात करके एक जगह  दो दिन के लिये एकत्रित हुई थी । नाव्या बहुत समझ दार थी क्योंकि वह एक गरीब परिवार से थी । उसको बस ईश्वर ने सुन्दरता देने … Read more

मां, मैं कहीं नहीं गई थी,,, – सुषमा यादव

मैं अपनी बेटी के साथ कोटा में थी, वो वहां के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की कोचिंग कर रही थी,, ठंड का समय था,छत पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी,,, मैं नाश्ता बना कर ऊपर देने गई,, तो गायब,,, किताबें खुली पड़ी पन्ने फड़फड़ा रहे थे,,, मैंने सब जगह ढूंढा,,अगल,बगल‌  पूछा,, … Read more

एक कोना अपना सा – उमा वर्मा

रिनी का ब्याह बहुत बड़े घर में हुआ था ।माँ, बाबूजी  बहुत खुश हुए ।अब तो रिनी राज करेगी ।परिवारभी  छोटा सा था ।सास ससुर और दो ननद, पति दो भाई ।दोनों ननद और जेठ जी की शादी हो चुकी थी ।सब कुछ ठीक चलने लगा ।छोटी ननद जरा तेज स्वभाव की थी ।किसी से  … Read more

अपने जन्म दाताओं का ध्यान रखो। – संगीता अग्रवाल

” मां ये क्या आप परी की प्लेट से पकौड़े खा रही हैं हद है आपकी भी डॉक्टर ने तला हुआ मना किया भूल गई !” प्रदीप अपनी मां शांति जी पर चिल्लाया। ” पापा आप दादी पर क्यों चिल्ला रहे हैं उन्हें पकौड़े मैं ही देकर गई थी आपको पता नही है क्या दादी … Read more

मान-अपमान – तरन्नुम तन्हा

  मैंने शादी के बाद पूरी ज़िंदगी अपने पति और उनके परिवार के नाम लिख दी थी। घर क्या था, सर्कस था, जिनमें हम जानवर थे, और मेरे ससुरजी रिंगमास्टर। वह सभी को नचाते लेकिन कोई उनके खिलाफ न बोलता था। रसोई की जिम्मेदारी धीरे-धीरे सारी मेरी होती चली गई! सासुमाँ तो बस कभी कमर, … Read more

फूल – विनय कुमार मिश्रा

तेरह चौदह साल की वो बच्ची लोगों के घरों में,पूजा के लिए फूल दे जाती है। अपने बाप का हाथ बंटाती और स्कूल जाती है। मुझसे थोड़ा लगाव सा हो गया है “तू कल फूल क्यूँ नही दे गई? मैं दस बजे तक तेरा इंतजार करती रही” “बापू बीमार हैं ना,अस्पताल लेकर गई थी कल। … Read more

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