सफ़र पीहर का  – पूनम वर्मा

सुबह आँख खुली तो सामने तांबे-सा लाल  सूरज अपनी आँखें खोल रहा था । यही वक्त था जब उसकी आँख से आँख मिलाई जा सकती थी । हमारी नज़रें मिलीं भी । कुछ जाना-पहचाना-सा लगा सूरज । आज सूर्योदय देखकर मुझे अपना बचपन याद आने लगा । इतने करीब से सूरज को तभी देखा था … Read more

दुल्हा बिकता है -मीनू जायसवाल

आज जो मैं लिखने जा रही हूं, वो एक सामाजिक कुरीति हैं                         “दुल्हा बिकता है” जी हां जनाब दुल्हा बिकता है अच्छा खरीदार होना चाहिए…. अब आप सब सोच रहे होंगे कि आज मुझे क्या हो गया है मैं ऐसा क्यों कह रही हूं, तो सुनिए जनाब कभी-कभी अपने ही आसपास देखने को मिल जाता … Read more

कोहिनूर – सुनीता मिश्रा

मेरे कॉल बेल बजाते ही दरवाजा खुला,दोस्त ने ही दरवाजा खोला,देखते ही बोला”आओ ,अंदर आओ।बड़े दिनो बाद आना हुआ।कुछ काम होगा।बिना काम के तो तुम आते ही नहीं “ अंदर आ,सोफे पर बैठ ,मैने बहुत संकोच के साथ कहा”याद है,करीब छह,सात,महिने पहिले तुम और भाभी जी मेरे घर आये थे।भाभी जी , शरत चंद का … Read more

फकीर – विनोद सिन्हा “सुदामा”

ऐसा कोई दिन नहीं होता था कि उस मस्जिद वाली गली से नहीं गुजरती थी मैं… मेरे ऑफिस का रास्ता उसी गली से होकर गुजरता था और थोड़ा नजदीक भी पड़ता था इसलिए ऑफिस जाने के लिए अमूमन उसी रास्ते का उपयोग करती थी .. मेरा रोज़ का आना जाना था इसलिए..गली के बहुत से … Read more

Crush – अनु ‘ इंदु ‘

बात उन दिनों की है जब मैं अमृतसर से M.A.B.Ed करने के बाद अपने घर आई थी । मैंने आकर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया । मेरे पास 9th और 10th के बच्चे पढ़ते थे । 10th क्लास का एक स्टूडेंट विवेक था। सब उसे विक्की कहते थे । वो मेरे छोटे … Read more

women lib. – अनु ‘ इंदु ‘

उस दिन कॉलेज में पेपर रीडिंग कॉन्टेस्ट था । सुहासिनी का बी. ए. का दूसरा साल था । सुहासिनी को women lib.  पर बोलना था । बहुत सी लड़कियों ने इस के हक़ में अपने विचार रखे थे ।उसने भी पूरी तैयारी की थी। सुहासिनी की बारी आई तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा … Read more

रम गई – कंचन श्रीवास्तव

आश्चर्य हो रहा रेणुका को देखे अम्मा को , मजबूर हैं सोचने पर क्या ये वही रेणुका है जो वर्षों पहले चीखती चिल्लाती तड़पती थी। आंसू तो जैसे कोर पर रखे हो कोई जरा सा बोल भर दे तो भरभरा पड़ते थे। उन्हें अच्छे से याद है जब पहले पहल उसके दिल को चोट लगी … Read more

रोली – चेतना

रोली, तुम्हें इनमें जो भी ड्रेस पसंद हो ले लो…” रोमिला ने अपनी भतीजी से कहा जो उसके साथ बाजार आई थी। “क्या सच बुआ जी, मैं ये ड्रेस ले सकती हूँ…” बुआ की बात सुनते ही रोली के चेहरे पर चमक आ गई। “हाँ, क्यों नहीं ले सकती। मैं तुम्हें इसीलिए तो अपने साथ … Read more

व्यथा – नीलिमा सिंघल

बीना आज बहुत उदास थी कोई भी नहीं था जो उसके दिल की व्यथा समझ पाता, कितना भरोसा किया था उसने शिखा पर,  8 साल की दोस्ती…… लगता था जैसे कल की ही बात हो,  बीना ब्याह के बाद एक बार मायके से दूसरी बार ससुराल से विदा होकर नोएडा से अहमदाबाद आयी थी विदा … Read more

लोटा और बेटा – नीरजा कृष्णा

आज पूरे गाँव में कानाफूसी चल रही थी। सूरज बाबू का बड़ा बेटा हिमालय पर कठोर तपस्या करके ढेरों सिद्धियां प्राप्त करके अचानक लौट आया है। हल्की फुल्की खबर ये भी है कि सूरज बाबू उसके इस तरह लौटने से जरा भी खुश नहीं है…चौपाल में मंडली जमी थी। गिरधारी बाबू कह रहे थे,”सुना है…मानस … Read more

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