अनकहा बंधन   – रचना कंडवाल

“हां मुझे मोहब्बत है उससे” सतीश बहुत जोर से चिल्लाया।  ये सुनकर सावी तो जैसे किचन में जम कर पत्थर की मूरत बन गई। चाय का कप उसके हाथ से नीचे गिर कर टूट गया। उसकी सास बेहद कर्कश स्वर में छाती पीट पीट कर चिल्ला रही थी। सुनते हो  सतीश क्या कह रहा है???  … Read more

हे मानुष!  – गीता वाधवानी

हे मानुष!  रुक, थोड़ा ठहर और सोच  कहां भाग रहा है तू?  क्यों भाग रहा है तू?  जिंदगी की आपाधापी में  क्या-क्या खो चुका है तू?  और क्या कुछ पाया है तूने?  रुक, थोड़ा ठहर और सोच  मोबाइल हाथ में लेकर  पूरी दुनिया से जुड़ने का दावा करता है तू  पर अपनों से किए वादे … Read more

सही खाया तो कंचन सी काया (हेल्थ) – कुमुद मोहन 

मेहा नई नई शादी करके ससुराल आई तोअपनी सास नीरा के साथ कहीं भी जाती लोग उन दोनों को बड़ी छोटी बहन समझते। सास  की फिगर,उनकी चेहरे की लुनाई,उसपर चमकीले घने रेशम से काले बाल और स्मार्टनेस देख कर मेहा  को अपने ऊपर शर्म सी महसूस हुई! दरअसल नीरा ने खुद को इतना मेंटेन कर … Read more

“कोरोनमा” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा 

मैं एक शिक्षिका हूँ, तो आप जानते ही होंगे की शिक्षक की आदत होती है शिक्षा देते रहना।कोई ले या न ले उसकी मर्जी।सो मैं भी आदत से मजबूर थी। मेरे घर हमेशा एक सब्जीवाली आती थी सबसे अन्त में।  एक दिन मैंने पुछ लिया कि तुम सारे मुहल्ले में घूम लेती हो तो तुम्हें … Read more

बस अब और नहीं! – प्रियंका सक्सेना

“सीमा,ये क्या! तुम फिर किताब लेकर बैठ गई। आज तो तुम्हें ब्यूटी पार्लर जाना है। जाओ तैयार हो जाओ, भाभी के साथ चले‌ जाना।” माॅ॑ ने हाथ से किताब लेने का उपक्रम किया सीमा बोली,”माॅ॑,परसों मेरा बहुत जरुरी व्याख्यान है। तैयारी नहीं करूंगी तो कांफ्रेंस में हड़बड़ा जाऊंगी।” “हर समय काॅलेज दिमाग में चढ़ा रहता … Read more

अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो –  नीतिका गुप्ता

नमिता के आंसू छलक आए… मन की पीड़ा आंखों से बह रही थी और दिल बस एक ही दुआ मांग रहा था “हे भगवान मुझे अगले जन्म में मेरे पापा का बेटा बनाना बेटी नहीं….” आखिर कौन है यह नमिता जो अपने स्त्री रूप को त्याग कर पुरुष होने की कामना कर रही है। स्त्री … Read more

वो एक पल – के कामेश्वरी

बीस साल अध्यापिका की नौकरी करने के बाद मैं घर में बैठी थी क्योंकि पिछले महीने ही मेरा रिटायरमेंट हुआ था । हमेशा सोचती हूँ कि एक शिक्षक रिटायर होकर घर में कैसे बैठ सकता है । उसकी पूरी दुनिया बच्चों के आसपास ही होती है । मुझे बच्चों की शरारतें उन्हें डाँटना फटकारना फिर … Read more

जीवन का एक सफहा – अंजू निगम

आज भी जब ऊँची-नीची सड़कों को नापती हूँ और दूर, ऊबड़-खाबड़ हो गये ठीकरों में बने पुराने बरैक्स देखती हूँ तो जिदंगी के कई पन्नें खुद-ब- खुद खुलते जाते है, अपना अतीत दोहराने। मुझे कभी ये दोहराव बुरा नहीं लगा। कभी कभी मन बेलौस सा मचल उठता , उसी किशोर वय में पहुँच, हिरनी सी … Read more

श्राद्ध की परिभाषा – अनुज सारस्वत

  “बेटा चलो जल्दी नहा धोकर तैयार हो जाओ पंडित जी आने वाले होंगे आज दादा जी के श्राद्ध है ना” अमित ने अपनी 7 वर्षीय बेटी श्रुति को  बोला , पूरा परिवार नहा धोकर तैयारी में लग गया, अमित पंडित जी के द्वारा बताई गई सामग्री के साथ तर्पण की व्यवस्था करने में जुट … Read more

डायरी के पन्ने – नीतिका गुप्ता 

रणदीप काफी देर से मंगला की फोटो को एकटक  देख रहा था….. जैसे कि उसे शिकायत कर रहा हो कि क्यों जीवन के सफर में उसे इतनी जल्दी अकेला छोड़ कर चली गई ….?? रणदीप के हाथ में मंगला की लिखी हुई डायरी थी जो वह अपनी बेटी रुही के जन्म के बाद से लिखती … Read more

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