न्याय- डॉ संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “आन्या,उठो बेटा,देखो दूधवाला कितनी देर से डोरबेल बजा रहा है…प्लीज ,जल्दी से ले कर आ जाओ,मुझे देर हो रही है…” ,नीति मनुहार करती कितनी देर से अपनी बेटी को आवाज़ दे रही थी पर वो तो घोड़े बेचकर मीठी नींद सोई पड़ी थी मानों…।
“लाओ भैया,जल्दी करो”,दूध लेकर उसे उबलने चढ़ा नीति ,बेटी को उठाने आई…
प्यार से उसे निहारने लगी,देखते ही देखते कितनी बड़ी हो गई थी कल की नन्हीं गुड़िया…
उसने आन्या को हिलाया,”उठो,मुझे लेट हो जाएगा,अभी नाश्ता भी बनाना है…”।
आन्या ने उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ खींच लिया..”अरे मम्मा…आप क्यों इतनी जल्दी उठ जाती हैं और सारा घर सिर पर उठा लेती हैं..थोड़ी देर आप भी और सो जाओ,आओ…।”
नीति को बरबस,गौरव,अपने पति की याद हो आई,वो भी बिल्कुल ऐसे ही करते थे,बिल्कुल अपने पापा पर ही गई है…उसके होठों पर मुस्कराहट और आंखों में आंसू आ गए पल भर को…
तब और अब में कितना फर्क आ गया था,सिंगल पैरेंट बनकर जवान होते बच्चे को पालना कितना कठिन होता है,नीति बखूबी महसूस कर रही थी ।
नीति की जिंदगी में गौरव का आना भी किसी फिल्मी कहानी सा ही था…।
गौरव ,कॉलेज का मोस्ट डैशिंग,पढ़ने में होशयार,अमीर घर का इकलौता वारिस,मस्तमौला लड़का था,जो किसी भी लड़की से हंस के बात कर ले तो उसका दिन बन जाता था और नीति बिल्कुल छुईमुई,पढ़ाई में घुसी रहने वाली,सीधी सादी,सांवली सी लड़की थी।उसकी मुलाकात गौरव से वाद विवाद प्रतियोगिता में हुई थी,उस दिन स्त्री अधिकारों पर बोलते हुए गौरव ने कब उसका दिल चुरा लिया था,वो नहीं जान सकी थी पर कहते हैं न इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते।
जब गौरव को ये अहसास हुआ तो वो भी खुद को रोक न सका था उससे करीब आने को,नीति जानती थी कि उनका मिलन बहुत मुश्किल है,देखने में भी उनका कोई मेल नहीं,स्टेटस में तो नहीं ही था पर गौरव बहुत आज़ाद ख्याल का नेक दिल व्यक्ति था,उसने घर परिवार से लड़कर अपने प्यार को अंजाम दिया और जल्दी ही नीति उसके प्रतिष्ठित परिवार की बहू भी बन गई।
सब कुछ इतना अप्रत्याशित हुआ कि नीति को ये सब कोई सपना सच होने जैसा ही लगता…अपने अच्छे व्यवहार से उसने घर में सबका दिल जीत लिया था पर गौरव के माँ पिता के दिल में एक अनजानी कसक दब गई थी,बेटे के सामने वो सामान्य दिखते पर उसके पीछे वो नीति को प्रताड़ित करने से कभी न चूकते।
पति के बेमोल प्यार में बिकी नीति उन बातों को नजरअंदाज करती रही।पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था,उसकी ये खुशी ज्यादा दिन न टिक पाई,एक दिन गौरव,जो बहुत तेज़ गाड़ी चलाने के शौकीन थे,किसी सड़क दुर्घटना में अपनी नीति को सारी जिंदगी अकेले छोड़ कर चले गए कभी न लौटने के लिए।
नीति पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा,एक तो प्रेग्नेंट थी,ऐसे में गौरव उसे तन्हा कर गए और उसके परिवार वालों ने सारी मानवीयता भूलकर उसे इस हादसे का जिम्मेदार ठहरा के अपने कर्तव्यों की इति श्री कर ली थी,जब आन्या का जन्म हुआ तो बेटी की पैदाइश देखकर नीति को घर से भी बेदखल करने में जरा न हिचकिचाये।
तब से आज तक वो अकेली इस मासूम की माँ पापा दोनों बनी समाज की विषमताओं,जटिलताओं से जूझ रही थी…ओह..दूध उफ़न के बाहर गिरने को तैयार था,उसने झट गैस ऑफ की और फिर चल दी आन्या को उठाने।
देखा,वो वाशरूम में थी,नीति मुस्कराई और डाइनिंग टेबल पर, जल्दी ,नाश्ता लगाने लगी।
थोड़ी देर में,दोनों माँ बेटी आमने सामने थीं।
नीति:”बेटा,मेरे जाने के बाद,तुम मन लगा कर पढ़ाई कर लेना..”।
आन्या(बुरा सा मुंह बनाते हुए)”मैं कोई बच्ची नहीं हूं जो आप कहेंगी तो पढूंगी।”
नीति:”ये मोबाइल इस समय भी क्यों चलाती हो,कम से कम खाने के वक्त तो इसे दूर रखा करो बेटा..”
आन्या:”कितना टोकाटाकी करती हैं आप,हर वक्त हाथ धोकर मेरे पीछे लगी रहती हैं।”
नीति:”ऐसे बात करते हैं माँ से..सारे दिन मेहनत करो..”
आन्या:”बस ,बस,ये इमोशनल ब्लैक मेलिंग बन्द करें,काश मैं पापा के संग होती…”।
नीति की आंखे गीली हो गईं,वो चुपचाप उठकर चली गई और बिना बोले ही घर से निकल गई,उसे देर हो जाती ऑफिस के लिए नही तो।
उदास तो आन्या भी हो गई थी पर उसे मां का इस कदर टोकना जरा न सुहाता,उसकी फ्रेंड बिन्नी अपने मम्मी पापा,भाई के साथ कितनी मस्ती करते थे,अभी सोच ही रही थी कि बिन्नी का फोन आ गया…
बिन्नी:”मूड क्यों उखड़ा है दोस्त?”
आन्या:”मां से सुबह ही झगड़ा हो गया,सारे दिन दिमाग खाती रहती हैं,पढ़ो,पढ़ो,मैं कोई दूध पीती बच्ची हूँ..”
बिन्नी:”वैरी बैड डिअर,आंटी तेरे भले के लिए ही तो कहती हैं,मेरे पेरेंट्स हमेशा तेरी मम्मी के हौसले की तारीफ करते हैं…सुन तूने एग्जाम की तैयारी कर ली।”
आन्या:नहीं,”अभी नहीं,और तूने?”
बिन्नी:”हां यार,मेरा तो रिवीजन बचा है बस…”
आन्या,फोन काट देती है,उसे खुद पर गुस्सा आने लगा ,मम्मी भी तो बस ये ही चाहती हैं मुझसे कि मैं मन लगाकर पढूं,मैंने आज उनका दिल दुखा दिया…।
ओह!अब क्या करूँ?उन्हें फोन भी नहीं कर सकती ,उनका बॉस कितना खडूस है,बहुत चिकचिक करता है,लंच में बात करती हूं मम्मा से,बहुत प्यारी हैं,देखना झट मुझे माफ कर देंगी।
ये सोचते सोचते वो अपनी किताबें कॉपी निकाल लाई,शाम को मम्मी के आने से पहले सब पढ़ लूंगी..मम्मा खुश हो जाएंगी।

रात के आठ बजे चुके थे,नीति अभी तक नहीं लौटी थीं,आन्या बार बार घड़ी देखती,बेचैनी से कमरे के चक्कर लगाती,फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था उनका।
आन्या को कुछ नहीं सूझ रहा था,भूखी प्यासी,दिल मे अपराध बोध लिए,अकेले यूँही बैठी रही,मम्मा ज्यादा नाराज हैं आज,पहले तो जब देर होती थी,फोन पर बता देती थीं…ये सोचते कब उसकी आंख लग गई,पता ही न चला,बड़ी तेज फोन की घण्टी बजी…।
आन्या चौंक के उठी,देखा तो बारह बज गए थे,मम्मा का फोन था और आन्या बरस पड़ी:”कहाँ चली गई थीं मम्मा मुझे अकेले छोड़कर,आपको नहीं पता मैं ,आपके बिना नहीं रह पाती हूँ…?”
उधर से किसी मर्दाने स्वर को सुन कर वो चौंकी,”हैलो, मैं अंधेरी पुलिस स्टेशन से इंस्पेक्टर वर्मा बोल रहा हूँ”
आन्या कांपती आवाज़ में:”पर ये फोन तो मेरी मम्मा का है…?”
“हां,वेरी सॉरी,आपकी मम्मी का एक्सीडेंट हो गया है,आप पुलिस स्टेशन आ जाएं तुरंत…”
आन्या बदहवास सी हो गई,मैं किसे बुलाऊँ,उसने बिन्नी को फ़ोन किया,कुछ देर में वो बिन्नी के पापा के संग पुलिस स्टेशन थी।
इंस्पेक्टर परेशान था कि इतनी छोटी बच्ची से बॉडी की शिनाख्त कैसे करवाएं,वैसे मोबाइल,पर्स,गाड़ी सब उसकी मम्मी के थे।
आन्या फूट फूट कर रो रही थी और बार बार अपने सुबह के व्यवहार को याद कर सिसक उठती कि मैं मम्मा से माफी भी न मांग सकी,वहां उपस्थित हर आदमी उसकी हालत देखकर और ये जानकर कि इस भरी दुनिया में अब इस बच्ची का कोई नहीं है,दुखी हो रहा था।
बॉडी की शिनाख्त अभी तक पूरी नहीं हो पाई थी,लगता था,रोड एक्सीडेंट में उसकी मम्मी,बुरी तरह घायल हुए थीं जिसमें उनका चेहरा बुरी तरह चोटिल हो बिगड़ चुका था।
घटनास्थल पर पुलिस तफ्तीश में लगी हुई थी,बहुत संकरी सी सड़क थी वो जहां ये घटना घटी थी,अचानक एक पुलिस वाला चीखता हुआ इंस्पेक्टर के पास आया,किसी औरत की बॉडी,घायलावस्था में सड़क पर मिली जिसकी सांसे अभी भी चल रहीं थीं।
आनन फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और डॉक्टर्स के विशिष्ट दल की लगातार मेहनत से वो बच गई,उसके होश में आने के बाद पता चला वो नीति,आन्या की माँ ही थी।
उसने जो कहानी सुनाई,वो अजीब तो थी ही,लेकिन कुदरत का चमत्कार भी थी,उस दिन कुछ देर हो गई थी नीति को घर लौटने में…आन्या की फिक्र करती वो तेजी से गाड़ी चलाती घर आ रही थी कि एक औरत ने,शायद बहुत परेशान थी,उससे लिफ्ट मांगी,दयावश उसने उसे बैठा लिया था,रास्ते में ही उसका गंतव्य है,सोचकर तरस खा कर लिफ्ट दे दी उसने।
कुछ देर में ही वो औरत अपनी असलियत पर आ गई और नीति को लूटने का प्रयास कर बैठी और उसने नीति को मार पीट करके सड़क पर मरने को छोड़ दिया,वो बेहोश हो गई,उसके बाद उसे कुछ नहीं पता।
इंस्पेक्टर ने बताया:शायद,आगे तीव्र मोड़ पर ,उसकी गाड़ी असंतुलित हो गई और पास ही एक पेड़ से बुरी तरह टकरा गई जिसमें उसका मुंह तक कुचल गया और ओन द स्पॉट उसकी मृत्यु हो गई।
कुछ भी हो,आन्या को अपनी मम्मा मिल गई थीं और वो बुरी तरह माँ से लिपट कर रो रही थी,अपनी सारी बदतमीजियों के लिए माफी मांग रही थी,उसे अहसास हो गया था कि उसकी माँ की उसकी जिंदगी में क्या अहमियत है।
उधर नीति भगवान के न्याय के आगे नतमस्तक थी,कौन कहता है कि इस दुनिया में न्याय नहीं होता,कुदरत के अपने कानून हैं जिनके आगे किसी की नहीं चलती।


डॉ संगीता अग्रवाल

#आँसू

 

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