ये क्या कह रहा है बेटा अपने घर की इज्जत अब काम करने जायेगी लोग क्या कहेंगे की अपनी बेटी को खिला नही पा रहे तो उसको कमाने भेज दिया शायद हमारे घर की नियति ही यही है की बेटी का घर बसना नही लिखा
पहले तेरी बहन जल्दी विधवा हो गई और मायके रह रही है अब बेटी के साथ भी ऐसा ही हुआ पर ये सब करके समाज को और बोलने का मौका नही दे सूरज की अम्मा सूरज से बोली बाबूजी भी साथ दे रहे थे की अम्मा सही कह रही है
घर के बाहर की दुनियां बड़ी जालिम है जहां अकेली लड़की देखी तो जाल बिछाए बैठे रहते है अम्मा बोली
सूरज बोला मां जब जीजी के साथ ऐसा हुआ तब मैं छोटा था तो कोई निर्णय नहीं ले पाया लेकिन बड़े होने पर मैं उनका अकेलापन समझ सकता हूं माना वो परिवार के साथ खुश है लेकिन अपनी जिंदगी जीना भूल गई है एक विधवा की पहचान उनसे जुड़ चुकी है समाज भी उनसे भेदभाव करता है इसलिए उन्होंने खुद को घर मैं सीमित कर लिया लेकिन मैं बेटी के साथ ऐसा नहीं होने दूंगा वो पढ़ी लिखी है थोड़ी कोशिश मैं नौकरी मिल जायेगी जिस से वो दुनियां से मुकाबला कर पाए माना नियति हमारे हाथ मै नही है पर हम हालात से लड़कर अपना जीवन तो बदल सकते है
मेरी बेटी को मैं काबिल बनाऊंगा और अगर कोई अच्छा लड़का उसके लिए मिलेगा तो दूसरी शादी भी कर दूंगा सूरज गर्व से बोला
ये लड़का तो हमे समाज मैं मुंह दिखाने के लिए नही छोड़ेगा है भगवान ये दिन दिखाने से पहले मुझे उठा लेना
तभी सूरज की बहन निशा बोली अम्मा भाई सही कह रहे है जितनी फिक्र तुम्हे समाज की है उतनी अपनी बेटी की होती तो मैं आज ऐसे घुट घुट कर नही जी रही होगी कभी समाज मेरी मदद करने आया बल्कि इसने तो मुझे अपनी खुशियों मैं शामिल करने लायक भी नही समझा पर प्रीति के साथ ऐसा नहीं होगा मै भाई के साथ हूं
थोड़े दिन मैं प्रीति नौकरी करके खुश थी उसमे आत्मसम्मान आ गया था और एक साल बाद ऑफिस के लड़के से शादी करके खुश थी आज दो साल बाद बच्चे के जन्म पर सब मिलने गए उसका खुशहाल परिवार देख अम्मा सोच रही थी काश उन्होंने भी नियति को किस्मत मान कर नही बैठती और हालात से लड़ती तो उनकी बेटी भी खुश रहती .!!
स्वरचित
अंजना ठाकुर
#नियति