मेरा हौसला –   मृदुला कुशवाहा

आज जो मैं लिख रही हूँ, लिखना नहीं चाहती थी, फिर मैंने सोचा शायद इससे कोई प्रेरित हो l 

दस साल पहले ही मैंने बीएड करके पढा़ई छोड़ दी थी, एक दो बार मैंने यूपी टीईटी और सी टीईटी की प्रतियोगी परीक्षा दिया लेकिन असफल रही।

मैंने परीक्षा देना भी छोड़ दिया, और मैं अपने घर -परिवार और बच्चों के देखभाल में व्यस्त हो गयी l

 लोगों ने ताना मारना शुरू कर दिया कि टीईटी पास नहीं कर पा रही हैं, जिंदगी में और क्या कर पायेंगी l

बहुत दुख होता था, अपने करीबी ही मुझे यह दर्द दे रहे थेl 

मुझे खुद पर यकीन था कि यदि कोचिंग करके परीक्षा दूँगी तो पास हो जाऊँगी, वजह यह थी मैं टीचिंग क्षेत्र में नहीं जाना चाहती थी, पहले शर्म आती थी अपनी कमजोरी सबको कैसे बताऊँ, लोग सच जानकार और ताना मारेंगे, लेकिन अब मुझे कोई डर नहीं है l 

वजह यह थी कि मेरी सुनने की क्षमता कम होनाl

टीचर बनकर बच्चों को कैसे पढा़ती ?

मैंने कहानियाँ लिखनी शुरू कर दिया और जब थोड़ी बहुत सफलता मिली तो और ताना मारे जाना लगा कि ! अरे सिर्फ कहानियाँ ही लिखने आती है या और कुछ भी गुण हैl 

मेरा हौसला लोग तोड़ देते थे, मेरे कम सुनने का भी मजाक बनाया जाने लगा l 

शायद जो होता है, अच्छे के लिए होता है मैं खुश हूँ अपनी जिंदगी में फालतू लोगों की बातें तो कम सुनती हूँ, यही बहुत हैl

फेसबुक पर ही एक साल पहले Vikas Addhyax भैया मिले, जो मेरे ही गाँव से है पहले तो हम अनजान थे लेकिन जब पता चला भैया मेरे ही साथ पढ़ने वाली दोस्त से शादी हुयी हैं, तो हम लोग की रिश्ता और मजबूत हो गया, और यही भैया मुझे प्रेरित किए ममता मेरे लिए टीईटी पास कर लो ,और सबको जबाब दे दो l 

मैं तैयार नहीं थी, भैया हर रोज हौसला बढा़ते थे, मैं सोचती थी कि यदि आफलाइन कोचिंग कैसे करूंगी ?,जब सही से सुन ही नहीं पाऊँगी l



मेरे पति  जी ने बहुत समझाया, एक बार पास कर लो, तुम ऐसा कर सकती हो, बिना कोशिश किए ही हार कैसे मान सकती हो । 

मैंने भी सोचा, अब अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान के लिए अपनी मंजिल पाकर दिखाऊँगी , भले ही नौकरी नहीं पाऊँ, लेकिन आलोचकों का जबाब देना है.

मैंने यूट्यूब से ही आनलाइन क्लास करना शुरू कर दिया, दस  साल पहले पढा़ई छोड़ चुकी थी, सब भूल चुकी थीl

मैंने शून्य से शुरूआत कियाl 

सुनने में दिक्कत आती थी, ईयर फोन लगाने से कान और सर दोनों दर्द होने लगता था, 6 से 5 घंटे की क्लासl

उसके लिए भी मैंने उपाय खोज ली, ब्लूटूथ स्पीकर से पढ़ने लगी l

पढ़ने की ऐसी जूनून कि रसोई में खाना बनाते वक्त भी क्लासl

और मेहनत का परिणाम मैंने सी टीईटी और यूपी टीईटी दोनों पास कर लियाl 

और मैं अपनी मंजिल तक पहुँच कर रहूँगी, जब जीवनसाथी अच्छा हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाकी लोग क्या सोचते हैं मेरे लिए? 

भगवान का आशीर्वाद है मेरा ससुराल अच्छा मिला, सबका सपोर्ट मिलता रहाl 

अपनी कमजोरी से साथ जीना ही जिंदगी का नाम है

काश यदि किसी में कोई कमी है तो लोग उसे , उसी कमियों के साथ जीने देते, उसका साथ देते l 

 स्वरचित 

  मृदुला कुशवाहा 

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