आदित्य और आभा है एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। आदित्य का व्यक्तित्व सुदर्शनी है वह एमबीबीएस कर रहा है। वही आभा डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रही है। आभा और आदित्य की मित्रता अब प्यार में बदलने लगी है।
आभा की मीठी-मीठी बातें आदित्य का मन मोह लेती हैं। आदित्य धनवान परिवार से है उसके पिता डॉक्टर रविंद्र शहर के जाने-माने डॉक्टर हैं उसका कभी खर्चे से हाथ तंग नहीं होता बल्कि वह आभा पर बहुत खर्च करता है। आभा साधारण परिवार से संबंध रखती है।
आभा को पढ़ने में रुचि है और वह आपके पैरों पर खड़ा होना चाहती है हैसियत ना होते हुए भी आभा के पिता आभा को पढ़ने और बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है ।
आदित्य ने एम डी भी कर लिया है और उसकी नौकरी कन्नौज के सरकारी अस्पताल में लग गई है। आभा ने भी अपना कोर्स पूरा कर लिया है ।
आभा और आदित्य आप चाहते हैं कि शादी करके घर गृहस्ती बसा ली जाए। कहीं से कोई भी अवरोध नहीं है आदित्य के पिता ने अपने बेटे के प्रेम का मान रखा है और आभा के परिवार को सहज ही सब कुछ मिल गया है आदित्य के पिता शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टर ही नहीं काफी चल अचल संपत्ति के मालिक हैं।
काफी धूमधाम से शादी संपन्न हो गई सारा खर्च डॉक्टर रविंद्र ने उठाया। आभा ने जब अपने ससुर से कहा की,” पापा मैं अपना क्लीनिक खोलना चाहती हूं।”
डॉ रविंद्र सुनकर प्रसन्न हुए और बोले,” तुम जहां चाहोगी क्लीनिक बन जाएगा पर मेरी इच्छा है आदित्य और तुम मेरे पास आकर रहो और हॉस्पिटल का काम देखो।”
ऐसा सुनकर आभा को अच्छा ना लगा वह नहीं चाहती कि वह लौटकर फिर इसी शहर में आए और संयुक्त परिवार का हिस्सा बने।
आदित्य के दोनों चाचा और उसका परिवार अभी साथ रहते हैं। आदित्य की मां एक स्नेही महिला है उसने सारे परिवार को संभाल रखा है। आदित्य के एक चाचा का पेट्रोल पंप है और दूसरे चाचा का होटल है शहर से लगे फार्म हाउस हैं।
होनी कहे या देवी आपदा कोरोना हाथ फैला दिए हैं। महामारी अपनी चरम पर है डॉक्टर रविंद्र का अस्पताल मरीज से भरा रहता है। एक दिन वह भी इसकी चपेट में आ गए। लापरवाही जानलेवा बन गई। सांसों का अकाल पड़ गया और समय रहते उन्हें बचाया न जा सका। खेत केसिरे का भुट्टा समय से पहले काल कवलित हो गया।
आदित्य से छोटे दो भाई बहन हैं। बहन की शादी हो चुकी है और आदित्य से 14 साल छोटा उसका भाई है। पिता का अस्पताल वीरान ना हो जाए इसके पहले ही आदित्य ने अपना तबादला अपने शहर में करवा लिया । आदित्य को अपने परिवार की जिम्मेदारी का एहसास है
वह अपनी मां से दूर नहीं रहना चाहता और ना ही उन्हें दुखी देखना चाहता है। अब परिवार की स्थिति बिल्कुल बदल गई है। आभा को आदित्य का अपने परिवार के बीच लौट कर आना अच्छा ना लगा। आदित्य के इस व्यवहार से आभा को बहुत कष्ट हुआ। उसके अपने सपने हैं वह किसी बड़े शहर में गाडी़आलीशान कोठी में रहना चाहती है। आभा आदित्य से कहती आप
अपना हिस्सा लेकर बाहर चलिए मैं आपके परिवार के साथ नहीं रह सकती आदित्य उसे समझता अभी चाचा और पापा के बीच हिस्सा बंटवारा नहीं हुआ मेरा कहां से आ गया। अभी मेरा भाई मेरी जिम्मेदारी है।
आदित्य का परिवार संस्कारवान है उसकी अपनी मर्यादाएं हैं और व्यवस्थित जीवन है। डॉ रविंद्र की एक बूढ़ी बुआ भी साथ रहती हैं।
जिनकी उम्र 88 वर्ष है उनके कोई संतान नहीं है पति के मरने के बाद उनके परिवार में उनकी स्थिति एक सेविका की हो गई थी। यह सब उनके भाई से देखा नहीं गया और वह उन्हें अपने घर ले आए थे। अब बुआ का परिवार में पूरा वर्चस्व है।
डॉक्टर रविंद्र और उनकी पत्नी कभी भी उनकी बात की अवहेलना नहीं करते हैं वह बिस्तर में लेटे ही लेटे खाने पीने की फरमाइश करती रहती हैं। आभा की अपनी जीवन शैली है। देर तक सोना ;स्नान के पहले खाना खा लेना; किसी के साथ प्रेम व्यवहार ना रखना;
हर समय अपने कमरे में पड़े रहना एवं बुआ का बार-बार बोलना टोकना उसे पसंद नहीं है। आदित्य उसे समझाता है संयुक्त परिवार का अपना आनंद है -सबके साथ बैठो ,बात करो ,नया सीखो ,घूमो खुश रहो।
आभा की तो बस अपनी जिद है मैं ऐसे माहौल में नहीं रह सकती। आभा अपना रोना अपने माता-पिता से कहती है वह उसे समझाने के बजाय उसे भड़कते हैं और कहते हैं तुम तलाक की धमकी दे दो आदित्य ने तुमसे प्रेम किया है वह तुम्हें कैसे छोड़ सकता है!
और एक दिन सच में आभा ने आदित्य से कहा,” मैं तुमसे तलाक ले लूंगी।”
इतना सुनते ही आदित्य ने कहा,” मेरा मेरे परिवार से जन्म का रिश्ता है मेरा और तुम्हारा साथ कितना! यह मत भूलो यह मेरा परिवार है मैं इसको छोड़कर और अपनी जिम्मेदारी से मुख मोड़ कर नहीं जा सकता तुम आजाद हो।”
दूसरे दिन ही आभा के पिता जी उसे लेने आ गए और 15 दिन के बाद तलाक के कागज भी जिसमें मेंटेनेंस के लिए मांगी गई रकम अपनी चरम सीमा पर थी।
पुष्पा पोरवाल(मौलिक स्वरचित कहानी)