माँ का समर्पण – महजबीं  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: नीता ने जब सरकारी बंगले की चाबी अपनी माँ ममता को दी तो माँ के आँसू रुक नहीं पाए। वो फफक् – फफक् कर रो पड़ीं। उन्होंने नीता को गले से लगा लिया। आज उनके सारे सपने जैसे साकार हो गए थे।जीवन के 20 कठिन वर्ष उनकी आँखों के सामने सिनेमा की रील की तरह घूमने लगे।

नीता जब पाँच वर्ष की थी तब उसके  पिता अचानक बीमार पड़े और उनका देहांत हो गया । नीता अपने पापा की लाडली थी।पापा का सपना था कि वह अपनी लाडली को खूब ऊँची शिक्षा दिलाएँ।वह अक्सर ममता से कहते,”ममता ,हमारी बेटी बड़ी ऑफिसर बनेगी।इसको पढ़ाने में मैं कोई कमी नहीं छोड़ूँगा।” पर समय ने उनका साथ नहीं दिया।एक दिन अचानक ही वो बीमार पड़े और चल बसे।

ममता पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा था। ससुराल वालों ने भी कुछ अधिक साथ नहीं दिया ममता का। ममता के माता पिता चाहते थे कि ममता दूसरा विवाह कर ले। पर ममता ने इंकार कर दिया। और अपनी बेटी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह दिन वह कैसे भूल सकती थी। जब नीता तीन वर्ष की थी।

और उसे बहुत तेज बुखार आया था। तभी चेक -अप कराने पर पता चला था। कि नीता के दिल में एक छिद्र था। जो पैदाइशी था। नीता कमज़ोर थी इसलिए उसका आपरेशन अभी होना मुश्किल था। डॉक्टर ने सलाह दी कि उसका आपरेशन  उसके थोड़ा बड़ा होने पर करेंगे। नीता के पापा उसका अच्छे से अच्छा इलाज कराना चाहते थे पर न करा सके।ममता के पास अब एक ही लक्ष्य था अपनी बिटिया का अच्छे से अच्छा इलाज कराना तथा उसे उच्च शिक्षा दिला कर आत्मनिर्भर बनाना।

पति की मृत्यु के बाद वो बिल्कुल अकेली और लाचार हो गयी थी। पर उसने हिम्मत नहीं हारी। अपनी बेटी को देख कर उसमें नई शक्ति, नई ऊर्जा आ जाती थी। एक साड़ी के शोरूम में उसे सेलस् गर्ल की नौकरी मिल गयी। नीता का उसने अच्छे स्कूल में नाम लिखाया। नीता बुद्धिमान थी। कक्षा में सदा प्रथम आती।

हालाँकि बीच बीच में उसकी तबियत बिगड़ जाती और वह स्कूल न जा पाती। पर ममता उसे और मेहनत से पढ़ाती। उसे कभी पीछे न होने देती। नीता भी पूरी लगन से अपनी शिक्षा पर ध्यान देती। ममता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। नीता के इलाज के लिए भी उसे पैसा चाहिए था।  सारा दिन शो रूम में नौकरी करती। घर आकर सिलाई का काम करती।

तब कहीं वो अपना घर चला पाती। पति का छोड़ा हुआ कुछ पैसा था जो उसने नीता के आपरेशन के लिए रख दिया था। नीता शिक्षा में आगे बढ़ती गयी। वह बहुत मेहनती तथा होनहार थी। स्कूल की अध्यापिकाएं भी सदा उसकी प्रशंसा करती थी। और ममता से कहती थी, “आपकी बेटी  ज़रूर माता- पिता का नाम रौशन करेगी।

और समाज में एक ऊँचा स्थान पायेगी। ” ये सब जान कर ममता की आँखे सपने देखने लगती और  वह नीता को और अधिक प्रेरित करती आगे बढ़ने के लिए। कक्षा दस तथा बारह में नीता  का नाम मेरिट सूचि में आया। उसको सरकारी छात्रवृत्ति भी मिलने लगी। इसी बीच ममता ने नीता का अच्छे डॉक्टर से आपरेशन भी करवा दिया।

जो सफल रहा और नीता का स्वाथ्य सुधरने लगा। नीता को अब शहर के बहुत बड़े कॉलेज में दाख़िला मिल गया था। नीता को अपने माता पिता का तथा अपना सपना पूरा करना था। और उसका सारा ध्यान केवल इसी पर केंद्रित था।  तभी नीता की ज़िंदगी में एक लड़का आया। सुमित नीता का सीनियर था तथा नीता को बहुत पसंद करता था। 

सुमित भी बहुत अच्छे परिवार का था और बहुत प्रतिभाशाली था। जब उसने नीता के सामने  विवाह का प्रस्ताव रखा। तो नीता ने कहा, “मैं तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करती हूँ, पर मैं अभी केवल  अपने कैरियर पर ध्यान देना चाहती हूँ, मुझे बहुत आगे बढ़ना है तथा अपना और माँ- पापा का सपना साकार करना है। ” सुमित ने कहा,”मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा। ” 

नीता ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के  सिविल् सर्विसेस के लिए जी जान से मेहनत की और सफलता पायी। वह  I.A.S ऑफिसर बन चुकी थी। आज उसको सरकारी बंगले की चाबी मिली थी। जो उसने सबसे पहले अपनी माँ  के हाथ में सौंपी। पिता को याद कर के उसकी आँखों में आँसू थे।

ऐसा लग रहा था जैसे वह उसको आशीर्वाद दे रहे हों। ममता का अपनी बेटी को समर्पण आज निखर कर रंग लाया था। खुशी के आँसू उसकी आँखों से रुक नहीं रहे थे। सुमित भी अब एक बहुत सफल साइंटिस्ट बन गया था। उसने नीता को सुंदर से गुलदस्ते के साथ बधाई दी  जिसे नीता ने मुस्करा कर स्वीकार कर लिया।

लेखिका: महजबीं

 

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