मां चरण स्पर्श – विनती झुञ्झुंवाला 

बहुत समय से आपको ये पत्र लिखना चाहता था परन्तु हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था लेकिन आज जब ईनू ने वही प्रश्न मुझ से किया जो हमेशा मैं आपसे पूछना चाहता था तो मैं खुद को रोक नहीं पाया, हुआ

ऐसा कि ईनू पार्क में खेलते हुए गिर गया और उसके घुटनों पर चोट लग गई वो रोने लगा तब मीताली ने उसे कहा मैं दवा लगा दूंगी और चोट ठीक हो जायेगी चुप हो जाओ # लड़के थोड़ी ना रोते हैं!!इसी

बात पर उसने मुझसे पूछा पापा , लड़कियों को लड़कों से ज्यादा दर्द होता है क्या चोट लगने पर, लड़की को दर्द हो तो कोई क्यों नहीं कहता चुप हो जाओ लड़कियां रोती नहीं हैं ? मैं हैरान रह गया उस मासूम सवाल पर ।

 मां बचपन से आज तक तुमने मेरी और गुड्डो की बहुत अच्छी परवरिश करी लेकिन अब मुझे लगता है

तुमने बहुत भेदभाव किया, जहां गुड्डो को तुमने सब सिखाया मुझे कुछ नहीं सिखाया हम दोनों बराबर के थे,एक ही स्कूल गए, बाजार से कुछ आता तो दोनों के लिए बराबर आता,खाने पीने में भी कभी

कोई फर्क नहीं रहा लेकिन क्यूं मां तुमने मुझसे कभी पढ़ाई छोड़ कर पानी लाने को नहीं कहा ,मुझे तो सदा हाथ में ही पकड़ाया, थोड़ा बड़ा होने पर गुड्डो और मुझे दोनों ही को बाजार का काम करना

सिखाया तुमने फिर क्यों घर का काम सिर्फ गुड्डो को सिखाया तुमने ,क्या मुझे जरुरत नहीं थी, क्योंकि मैं लड़का था? नहीं मां जिंदगी में कई बार लगता है काश # मुझे भी खाना बनाना आता…

अगर अंधेरे कमरे से कुछ लाना हो आप कह देती गुड्डो डर जायेगी तुम जाकर ले आओ,मां कभी सोचा मुझे भी अंधेरे से डर लगता था लेकिन मैं लड़का था ,मुझे डरने का अधिकार नहीं था ठीक वैसे ही जैसे दर्द और तकलीफ में रोने का अधिकार नहीं था।# लड़का होके डरते हो ?

आज गुड्डो अपने जीवन में सफल है क्योंकि तुमने उसे सर्वगुणसंपन्न बनाया है सही भी है ,जमाना बड़ी तेजी से बदल रहा है लड़कियों को घर-बाहर दोनों मोर्चे संभालने पड़ते हैं और तुमने सही किया वक्त

के साथ चल कर लेकिन क्या जमाना सिर्फ लड़कियों के लिए बदला है?लड़कों को बदलाव की जरूरत नहीं है ? लड़कों के कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाली लड़कियां क्या उनसे घर आकर

मदद की उम्मीद नहीं कर सकतीं ? मां ,आप जैसी कई मांओं ने बेटियों को मजबूत बनाया उन्हें आगे बढ़ाया पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया उन्हें इस लायक बनाया कि वो किसी भी

परिस्थिति में कमजोर नहीं पड़ें तो मां ,लड़कों को समय के साथ चलना क्यों नहीं सिखाया ? उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार क्यों नहीं किया? जैसे आपने गुड्डो को परवरिश दी ,आज की ज्यादातर मांऐ

करती हैं, मीताली की मां ने भी दी है, वो मेरे बराबर कमाती है,घर भी संभालती है लेकिन अगर किसी दिन उसे दफ्तर जल्दी जाना हो तो मैं उससे कह नहीं सकता ,तुम फ़िक्र मत करो मेड से काम मैं करा

लुंगा क्योंकि “काम करवाने के लिए काम आना भी तो चाहिए” यही कहती थीं ना आप गुड्डो से? मां जब तक लड़कियां अकेली सर्वगुणसंपन्न रहेंगी उन्हें हर रोज “काम से काम पर लौटना पड़ेगा ” जैसे

लड़कियों को सिखाया जाता है ये तुम्हारा घर है इसकी सारी जिम्मेदारी तुम्हारी है” वैसे लड़कों को क्यों नहीं सिखाया जाता की ये तुम्हारा घर है इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है तुम घर का काम कर के कोई अहसान नहीं करते।

             आपने हम दोनों को ही अच्छे संस्कार दिए ,मुझे पूरी आजादी दी किसी भी समय कहीं आने-जाने में नहीं रोका लेकिन गुड्डो को आप शाम के बाद अकेले बाहर नहीं जाने देती थीं ,सही भी है आज

कल के माहौल में डर लगता है कदम कदम पर खतरा है पर मां ,ये खतरा है किससे ? मेरे जैसे लड़के

जिन्हें वक्त बेवक्त बाहर जाने की आजादी है , आमतौर पर वापस आने का कोई समय भी तय नहीं है,उनसे ही तो खतरा है , फिर मां रोकना किसे चाहिए जिसको खतरा है या जिससे खतरा है? फिर आप हम पर अंकुश क्यों नहीं लगाते ?

         आपने गुड्डो को गुड टच और बैड टच सिखाया पर मां क्या आपको पता है कई बार भीड़ में या घर पर आने वाले कुछ मेहमानों में कुछ लोग मुझे गलत तरह से छू लेते थे मैं किसी को क्या बताता

मुझे पता ही नहीं था लड़कों के साथ भी गलत हो सकता है क्योंकि # लड़कों को सुरक्षा की जरूरत नहीं होती , मां मैं आपको आरोपित नहीं कर रहा हूं संभव है आप को भी समाज की सभी विसंगतियों

का आभास ना हो , परन्तु इतना अवश्य कहूंगा ,पुराने समय की परवरिश भी गलत नहीं थी लेकिन आज समय बदल रहा है,बेटीयों की सुरक्षा, विकास ,आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बहुत ज़रूरी है

लेकिन अगर बेटों को पूराने सिद्धांतों पर और बेटियों को नये मूल्यों के साथ पाला गया तो टकराव और विरोधाभास ही बढ़ेगा इसलिए समय है बराबरी का,बेटों और बेटियों को समान रूप से सब कुछ

सिखाया जाए, बेटियों के साथ बेटों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाए, मैं ये सिर्फ कहने को नहीं कह रहा बल्कि मैं ईनू की परवरिश में कोई भेद भाव नहीं रखूंगा,मेरा बेटा अपनी भावनाएं जैसे चाहे व्यक्त करेगा ये वादा है मेरा मुझसे ।

प्यारे पाठको मैं अपनी नई रचना के साथ प्रस्तुत हूं , कृपया अपनी राय इस लेख पर अवश्य दें , रचनात्मक विचार आमंत्रित हैं

मेरी नयी रचना

शीर्षक है : # कल आज और कल 

 विनती झुञ्झुंवाला 

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