Moral Stories in Hindi : “अरे कमला!, आज इतनी देर क्यों लगा दिया? घर में पूजा है और तुम इतनी देर से आई हो?” मैंने उसकी तरफ बिना देखे हुए झुंझलाते हुए कहा ।
“भाभी जी माफ कर दो।थोड़ी दिक्कत हो गई थी?”
“क्या हो गया था?”
तभी मेरी नजर उसके माथे पर पड़ी।
“अरे यह क्या हो गया? तुम्हारी माथे से खून क्यों बह रहा है?”
“क्या कहूं भाभी..बड़ा दिक्कत है..!गीता का बापू रोज दिन दारू पी के आता है और मारपीट करता है।”
“मगर इतना मारपीट क्यों करने लगा भला ?”
“यह तो उसकी रोज की बात थी,.. लेकिन अब उसकी नजर गीता पर पड़ गई है ।
वह उसे बेचने के लिए तैयार हो गया है!”
“अच्छा यह क्या बोल रही हो भला.. अपनी बेटी को कोई बेचता भी है !”
“भाभी, क्या बताऊं छोटेजातियों की कोई जाति नहीं होती …अब जल्दी से मुझे किसी तरह से कोई लड़का ढूंढ कर उसकी शादी करनी होगी… मैं इधर काम पर आती है… उधर उसके साथ कुछ गलत ना कर दे!
वैसे भी दारू पीकर वह हैवान ही बन जाता है!”
मैं चिंता में पड़ गई। ना तो मुझे कुछ कहते हुए बना ना करते हुए!
आज घर में पूजा थी और भंडारा भी।
मैंने उससे कहा” तुम अपनी बिटिया को लेकर आया करो वह भी काम में मदद कर दिया करेगी।”
कमला कुछ देर मेरा चेहरा देखती रही फिर बोली
” आपकी तरह हर कोई तो नहीं होता ना भाभी! पर आप ठीक कर रही है उसे लेकर ही बाहर आना ठीक रहेगा।”
पूजा का समय हो चुका था। पंडित जी आ चुके थे। मैंने कमला को कुछ निर्देश दिया काम करने के लिए और फिर पूजा में बैठने चली गई।
दो-तीन घंटे के बाद जब सारे मेहमान चले गए थे तब तक कमला ने पूरे घर को,सारे बर्तनों को चमका कर रख दिया था।
एक-एक बर्तन करीने से रखा हुआ था।
“भाभी अब मैं चलती है!” उसने कहा।
“अरे नहीं कमला, तुम भी खाना खा लो और घर के लिए खाना ले जाना।”
“ठीक है।” उसने कहा। उसकी आंखें संतोष और खुशी से चमक गई थी।
अचानक यह मुझे याद आया कि मेरे ब्यूटी पार्लर में एक हेल्पर की जगह खाली है ।
मैं कमला से कहा
” कमला, तुम अपनी बिटिया को कल से रेगुलर लाया करो। उसे मेरे ब्यूटी पार्लर में छोड़ दिया करो। मैं उसे काम सिखाऊंगी।”
“यह तो मुझे बहुत दिनों से मन था, कमला की आंखें चमक गई .. उसने आगे कहा… लेकिन कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी क्योंकि इतने पैसे देने लायक मेरे पास है नहीं!”
“अरे पैसे की छोड़ो। मैं उसे ऐसे ही सिखा दूंगी ।आगे उसके काम ही आएगा।”
दूसरे दिन से कमला के साथ उसकी बेटी गीता लगातार आने लगी।
तीन-चार महीने में ही वह बहुत ही ज्यादा काम सीख चुकी थी।
बहुत ही ज्यादा अनुशासित, शांति प्रिय और मधुरभासी थी, जिसके कारण जो भी कस्टमर आते उनका दिल वह जीत लिया करती थी।
लगभग 6 महीने होते होते गीता का हाथ सभी चीजों में पकड़ने लगा था।
चाहे वह पेडीक्योर, मैनीक्योर हो, आइब्रो बनाने की कला हो या फिर फेशियल की मसाज।
वह कस्टमर को अकेले ही डील कर लेती थी।
जब भी मैं उसे महीने की तनख्वाह पकड़ाती थी।
उसकी आंखों में आंसू आ जाते थे वह कहती थी
“आंटी, आपने तो मेरी किस्मत ही बदल दी।”
मैं हंसकर करती
“मैं कुछ भी नहीं किया गीता। यह सब तुम्हारी मेहनत ने किया है।यह तो तुमने सुना है ना की मेहनत से तकदीर बदल ही जाती है। वही आज तुमने हासिल किया।
कल को जब तुम्हारी शादी होगी और तुम दूसरे जगह चली जाओगी तो तुम्हें यहां के सारे अनुभव काम आएंगे।”
गीता शर्मा जाती।
कुछ दिनों बाद कमला ने एक लड़के का पता ढूंढ कर निकाला और कहा
“भाभी, एक लड़का देखकर आए हैं अच्छा घरबार वाला है। छोटा परिवार है, पढ़ा लिखा हुआ है।
वह तो यह सुनकर ही खुश हो गया की लड़की ब्यूटी पार्लर में काम करती है। गीता की शादी पक्की हो गई है!!”
“अरे वाह कमला तुमने क्या अच्छी खबर सुनाई पर अच्छे से पता तो की हो ना लड़के के बारे में।”
” जी भाभी, बहुत अच्छी तरह से। मेरी छोटी बहन के गांव से ही है। उसका पड़ोसी है। बहुत अच्छा लड़का है ।
जानती हैं भाभी, उसने गीता का हाथ क्यों मांगा क्योंकि वह ब्यूटी पार्लर में काम करती है।
उसने कहा कि वह गांव में एक ब्यूटी पार्लर खोल लेगी तो वह बहुत ज्यादा चलेगा फिर उन दोनों के साथ काम करने से घर चलाना आसान हो जाएगा।”
” हां वै तो है!, मैंने कहा कब कर रही हो शादी?”
” बस दिवाली के बाद भाभी ।मुझे गांव जाना होगा।”
“हां ठीक है। चली जाना ।”
दो महीने बाद कमला हाथों में बड़े से डिब्बे में मिठाई का पैकेट लेकर मुस्कुराती हुई आई, साथ में गीता भी थी।
उसकी खुशी उसके चेहरे से झलक रही थी।
गीता मुझसे लिपट कर ही रो पड़ी।
” आंटी, आज जो जिंदगी आपने दी है वह मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी। आपने तो मेरी किस्मत बना दी। गांव में ससुराल में सब लोग कहते हैं नौकरी करने वाली बहू आई है।”
“मैं नहीं रे, तुम्हारी मेहनत ने। पुराने लोग कहते हैं ना कि मेहनत करने से ही किस्मत बदल जाती है! और तुमने अपनी किस्मत बदल डाली।”
मैंने उसे मुस्कुराते हुए गले से लगा लिया।
प्रेषिका– सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
#किस्मत