Moral stories in hindi: श्याम सिंह जो एक प्राइवेट स्कूल का चपरासी है । जिसे स्कूल में काम करते हुए बीस साल हो गए हैं । आँधी आए या बरसात हमेशा अपने समय पे आकर स्कूल के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करता है । उसकी काम के प्रति इतना समर्पण देख सब उसकी इज्जत करते हैं । आज श्याम सिंह को जल्दी घर जाना है क्योंकि आज उसकी छोटी बेटी का जन्म दिन हैं । जैसे ही वो स्कूल की घंटी बजाता है , तो सब बच्चे अपने बैग उठाय दौड़ जाते है ।
कोई किसी को धक्का ना दे इस लिए उन्हें पंक्ति में चलने को कहा जाता हैं । लेकिन बच्चों को घर जाने की इतनी जल्दी होती हैं कि कोई ना कोई शैतानी कर ही जाता हैं । जब सब स्कूल से चले गए तो श्याम सिंह अपनी साइकिल लिए घर के लिए रवाना होता है ।
तभी एक काली बिल्ली उसका रास्ता काट जाती है , तो वो थोड़ी देर के लिए रुक जाता है और फिर आगे बढ़ता है । देरी होने के कारण वो शॉर्ट कट लेता है और जैसे ही वो रोड़ से मुड़ता है , तो सामने से एक कार आती है और उसकी साइकिल को एक तेज की टक्कर लगती है । श्याम सिंह उछलकर दूसरी तरफ़ गिर जाता है । ये सब देख आस-पास के लोग आते हैं और उस आदमी की कार को रोक लड़ने लग जाते है । श्याम सिंह खून में लत पत पड़े कुछ बड़बड़ा रहा होता है । तभी कोई बोलता है एम्बुलेंस को फ़ोन करो ।
जिस कार से श्याम सिंह की टक्कर होती है । वो कहता है मैं इन्हें अस्पताल ले कर जाता हूँ । तभी एम्बुलेंस आती है और श्याम सिंह को उठा ले जाती हैं । उसके पीछे-पीछे वो कार वाला और वहाँ मौजूद गवाह सभी एक साथ अस्पताल जाते हैं । जैसे ही ऐंबुलेंस हॉस्पिटल पहुँचती हैं । तो श्याम सिंह को स्ट्रेचर पर डाल अंदर ले जाया जाता है और पुलिस को बुलाया जाता है ।
श्याम सिंह का इलाज शुरू हो जाता है और नमन की डर के मारे पसीने छूटने लग जाते है ।वो जानता था कि गलती श्याम सिंह की थी । वो गलत दिशा से एक दम सामने आ गया और ये हादसा हो गया । लेकिन भीड़ क्या जाने वो तो बस घायल को मजलूम समझ सामने वाले पे चढ़ाई कर देते है । हक़ीक़त क्या है ?? ये जानने की कोई चेष्टा नहीं करता ! लेकिन नमन एक सभ्य नागरिक होने के नाते अपना दायित्व निभा रहा था । पुलिस को सब सच बता देने के बाद गवाहों के बयान भी लिखे गये ।
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एक घंटे बाद डॉक्टर बाहर आते है और पुलिस को बताते है कि वो अब ठीक है लेकिन उसका सीधा हाथ टूट गया है । जिसे ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा । ये सुन नमन सुन हो जाता है माना गलती उसकी नहीं थी , लेकिन उसकी वजह से ही एक बेचारा आज लाचार महसूस कर रहा था । उसे लगा अब तो उसे जेल होकर ही रहेगी । तभी कमरें का दरवाज़ा खुलता है और पुलिस बाहर आती है और उसे कहती है कि आप घर जा सकते है आप पे कोई केस नहीं बनता ।
नमन – आप क्या कह रहें है इंस्पेक्टर साहब ?
इंस्पेक्टर -श्याम सिंह ने अपनी गलती क़बूली है कि वो ग़लत दिशा से आ रहा था ।
ये जान नमन को राहत महसूस हुई और वो श्याम सिंह से मिलने अंदर गया । अंदर जाकर उसने माफी माँगी …..
श्याम सिंह ने कहा “इसमें आपकी कोई गलती नहीं है “। मुझे ही घर जाने की जल्दी हो रही थी और शॉर्ट कट लेने के चक्कर में ये सब हो गया । हम बच्चों कों तो टोकते ,रोकते है पर ख़ुद अपने मन की कर ऐसे ही भुगतते है ।
नमन – गलती चाहें किसी की भी हो ! लेकिन मेरी वजह से आज आप की ये हालत है । मैं आपके लिये कुछ कर पाऊ तो बताइए ….. आपने अपने परिवार वालों को बता दिया या नहीं ??
बता दिया है वो बस आते ही होंगे ….
तभी श्याम सिंह की पत्नी रोते हुए कमरे में दाखिल होती है ।
हाय ! हाय ! ये सब क्या हो गया ???अब हमारा क्या होगा ??? कितना खर्च होगा ???
नमन – आप चिंता मत कीजिए ! मैं इनका इलाज कराऊँगा ।
श्याम – नहीं साहब ! इसकी कोई ज़रूरत नहीं हैं ।
तभी श्याम सिंह के स्कूल के कुछ अध्यापक उससे मिलने आते हैं ।
उन्हें देख सर ! अब मैं घंटी नहीं बजा पाऊँगा
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कोई बात नहीं , अब तुम कुछ दिन आराम करो ।
सर घर कैसे चलेगा ये सोच के अब तो आराम भी हराम लग रहा है।
तुम चिंता मत करो ! जब तक तुम ठीक नही हो जाते तुम हम सब की ज़िम्मेदारी हो । ये लो प्रिन्सिपल सर ने कुछ पैसे दिए है और यें पैसे तुम्हारे स्कूल के सब बच्चों ने इकट्ठे कर के दिए है । ये सब देख श्याम सिंह की आँखो से आँसू बह चले ।
अरे श्याम रोते क्यों हो ?? ये सब तुम्हारा स्कूल और अपने काम के प्रति समर्पण का फल हैं । जीवन के इस दर्पण में तुम्हारे समर्पण के आगे ये कुछ रुपयों का अर्पण कुछ भी नहीं हैं । यें सब देख नमन भी खुश हुआ कि आज की दुनिया में मानवता अब भी बाक़ी हैं ।
#समर्पण
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति