आज बस आने में थोड़ी देर हो रही थी । सीमा बार – बार अपनी हमउम्र लोगों को ध्यान से देखते हुए कभी त्योरियाँ चढ़ाती तो कभी मुँह टेढ़ा करती । कभी जब बर्दाश्त से बाहर हो जाता तो अपनी पड़ोसन प्रिया के सामने उनलोगों पर फबतियाँ कसती ।
प्रिया का मूड उस दिन उखड़ा हुआ था । कारण यह था कि उसके रिश्तेदार और जानने वाले लोग सब बार – बार कह रहे थे प्रिया पहले से काफी बदल गयी है । सीमा की संगत ही थी जो कहीं न कहीं प्रिया के बदलाव को विवश कर रही थी । सीमा को शौक बहुत था हर तरह के कपड़े पहनने और फैशन करने का, लेकिन वो खुद को चाह कर भी नहीं बदल पा रही थी । कुछ भी नया पहनने की कोशिश करती तो शीशे में खुद को देर तक देखती फिर खुद ही निर्णय लेती और बुदबुदाती ..”उफ्फ ! पेट ज्यादा दिख रहा है , कभी मेरे जैसे चौड़े कंधे वाले लोगों के लिए ये नहीं है तो कभी मेरी आँखें बहुत धंसी हुई हैं आदि ।
प्रिया ने अपने मन मे सोच रखा था कि जैसे मैं लोगों को देखकर अनर्गल बातें करती हूँ वैसे ही लोग मेरे बारे में भी बातें बनाएँगे । दोनो पड़ोसन की बातें बहुत मिलती थीं । दोनो अपने मन की मरीज थी, कोई किसी वजह से कोई किसी वजह से । कॉलोनी के लोगों को आते जाते देख बस इन पडोसनों के चर्चा का यही विषय था । आजकल कई मकान में शिफ्टिंग हुई थी तो इन दोनों का मिलकर बातें करना बहुत बढ़ गया था । इन्हीं बातों की झलक प्रिया के रिश्तेदारी में दिखने लगा जब प्रिया अपनी
मौसेरी बहन की शादी में गयी तो दूसरी बहन अनिशा ने कहा…”देखो दीदी ! मैं शैडो, और ब्लश करना बहुत अच्छे से सीख गई हूँ । प्रिया ने झट से कहा…”हम जैसे उम्र वाले इसे लगाकर थोड़ी न अलग लगेंगे । ये तीस से कम उम्र के लोगों के लिए सही है । मज़ाक ही उड़ाते हैं सब देखकर । अनिशा अवाक रह गयी प्रिया के मुँह से ये बात सुनकर । उसने सोचा मेरे घर मेहमान है तो मुझे इससे बहस करना ठीक नहीं लगता ।
थोड़ी देर बाद ऊपर के घर मे रहने वाली पूजा आयी और उसका गुलाबी लहंगा देखकर प्रिया दंग रह गयी । मुँह ही खोलना चाह रही थी वो तभी पूजा ने कहा…”तुम तैयार नहीं हो रही प्रिया ? प्रिया ने अंगड़ाई लेते हुए कहा…”साड़ी ही तो लपेटना है, पाँच मिनट लगेंगे । पूजा प्रिया के चेहरे का भाव पढ़ने लगी । फिर पूजा ने मुस्कुरा दिया तो प्रिया भी मुस्कुराते हुए बोली…”प्रिया ! तुम्हारी बातें पहले तो ऐसी
नहीं होती थीं, अब इतनी बुझी – बुझी सी नकारात्मक बातें क्यों करती हो ? ‘अब बीस पच्चीस साल वाली उम्र नहीं रही न ? अब बात को काटते हुए पूजा बोली..”बताओ ! ये लहंगा कैसा लग रहा है? मैंने ऑनलाइन लिया है । “इस उम्र में सब बदल जाता है, कलर ठीक है गुलाबी लेकिन थोड़ा सुर्ख है । तीस साल से कम वालों के लिए सही है ।
हैरान होते हुए पूजा बोली…”अभी हमारी उम्र ही क्या है ? चालीस के तो हैं हम, इसी उम्र में कैसे बुढापा मान लें ।
तभी प्रिया की मामी आईं जो कि पचास साल की होने वाली थीं ।
कितने बदल गए हैं सब ! मन मे बुदबुदाते हुए प्रिया ने नख से शिख तक मामी को निहारा..”आर्टिफिशियल ज्वेलरी, सिर पर चश्मा, स्लीवलेस ब्लाउज और कंधे तक झूमते हुए बाल । जो बाल कभी कमर तक लहराते थे आज कंधे पर अटके हैं, । प्रिया को चुप देख मामी ने छेड़ा..”मुझ में खो गईं क्या ? कुछ तो कहो कैसी लग रही हूँ ।
प्रिया ने हँसते हुए कहा…”आपको क्या हो गया है मामी ? पूरा हुलिया बदल लिया, कुछ बोलते नहीं लोग आपको देखकर ?
मेरे ख्याल से आपकी उम्र में ये शोभा नहीं देता । जो कम उम्र की दुबली पतली लड़कियाँ मेकप करती हैं और ड्रेस पहनती हैं वो बात किसी और में अच्छी नहीं लगती । मामी ने फोन के कैमरे में खुद को देख इतराते हुए कहा…”तो आपके हिसाब से तो जैसे उम्र बढ़ेगी हमें जीने का मोह भी छोड़ देना चाहिए । और ये बाल झड़ेंगे तो बंदर के पूँछ की तरह लम्बा रखना जरूरी थोड़ी न है, छोटे करा लिए ।”अब तो आप पचास की हो ही गईं न मामी ? आधी ज़िन्दगी तो बीत गयी, अब फोकस कम करना चाहिए ।
कमरे में ये सब तमाशा देर से चल रहा था । प्रिया की बुआ की बेटी सुमन दीदी बहुत देर से सबके वार्तालाप सुन कर ऊबने लगीं तो उन्होंने अचानक अपनी आवाज़ से सबका ध्यान भंग किया । सुमन दीदी बोलने लगीं ..”प्रिया ! मुझे लगता है न तुम्हें या तो अपने संगत बदलने की जरूरत है या फिर खुद की काउंसिलिंग कराने की जरूरत है ।मैं देख रही हूँ तुम्हारे अंदर # ईर्ष्या की भावना कूट – कूट कर भरी हुई है । ये बहुत नकारात्मक चीज है और साथ ही साथ घुन की तरह है जो इंसान को अंदर ही अंदर खोखला कर देता है और उसे पता भी नहीं चलता ।
प्रिया बिना बातों का विरोध किये और बगैर विद्रोह दिखाए चुपचाप बात सुन ली और अंदर ही अंदर भर नज़र सुमन दीदी को देखा जो कभी सूट और साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहनती थीं वो पेट निकले हुए होने के बाद भी कुर्ता और शरारा पहनी हुई बालों को सीधा शाइनी करा के पूरी तरह बदली हुई दिख रही थीं ।अब हर दूसरा इंसान प्रिया को पहले जैसा नहीं लग रहा था ।सब बदले हुए दिख रहे थे, सिवाय उसे छोड़कर ।
अब मामी ने कहा…”सच मे प्रिया ! आपको खुद को बदलने की जरूरत है । एक समय के बाद ज़िन्दगी में बदलाव जरूरी है । अगर बदलाव न हो न तो इंसान दिनों दिन चिड़चिड़ापन, #ईर्ष्या और द्वेष का शिकार हो जाता है । आपके ऊपर ये चीजें हावी होती जा रही हैं ।आप किसी चीज में अच्छाई न देखकर सिर्फ बुराई ढूँढोगे तो ज़िन्दगी जीने का लुत्फ कैसे लोगे ?
और ये ज़िन्दगी की हकीकत स्वीकार कर चलो कि हमारी उम्र बढ़ेगी लेकिन हमें इसे बोझिल नहीं बना के खुशी से स्वीकार करना होगा, तभी ज़िन्दगी जीने के लिए जिंदादिली बनी रहेगी ।
“पर मामी एक बात बताइए । प्रिया ने मायूसी से कहा…”मेरी बेटी वसुधा के होने के बाद मेरा पेट इतना बाहर आ गया है कि सब मुझे फिर से कमेंट करने लगे हैं । कितने महीने हुए ? अब सुमन दीदी ने कहा..इतना दिल पर मत लो किसी बात को, मुस्कुरा कर टालना सीखो या फिर खुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए योगा प्राणायाम करो । और हाँ..सबसे जरूरी बात ! टॉक्सिक लोगों से दूर रहो जो हमेशा अच्छाई पर कम और बुराई पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं ।
अब रस्मो की बारी थी । सब बहने, भाभियाँ, मामी और दीदी एक हॉल में ही तैयार हो रही थीं । प्रिया भी साड़ी पहनने लगी और झट से पहनकर तैयार हो गयी । तभी उसने दूसरी बहनों को देखा वो लाइनर लगा रही थीं
आदतानुसार प्रिया ने टोक ही दिया पल्लवी मौसी को…”मौसी ! आपने तो टीनएजर की तरह मोटा लाइनर लगा लिया । पल्लवी मौसी ने आई लाइनर प्रिया के आँख की तरफ बढ़ाते हुए कहा..”तुम्हें भी टीनएजर बना देती हूँ आजा । तभी पल्लवी मौसी को किसी ने आवाज़ दी और वो लाइनर को बिस्तर पर रख के बाहर चली गईं । जब कुछ देर बाद लौटीं तो प्रिया से कहा..”सब तैयार हैं, लाइनर तो लगा लेती तब तक । प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा…”मुझे अच्छा नहीं लगता ।
सुमन दीदी ने हँसते हुए कहा..”अच्छा नहीं लगता या लगाना नहीं आता । “वही ..प्रिया ने भी हँसकर कहा और सब हँसने लगे उसकी चालाकी देखकर । फिर पल्लवी मौसी और मामी ने कहा..” कमी तो तुम्हारी अब समझ आयी कि जो चीज नहीं आती है खुद को वो दूसरा करता है तो बेकार लगता है । सुमन दीदी ने भी मुस्कुराकर कहा..”जो अच्छा लगता है वो करो, जैसे पसन्द है वैसे रहो वरना हमेशा चिंतित रहोगी । सब बहने रिश्तेदार आपस मे जुड़ी हुई कितनी अच्छी लगती हैं । बस ! तुम अपने लुक्स और मोटापे को लेकर लोगों की बातें सुनने में लगी हो। अब भी वक़्त है..बदलो खुद को ! ज़िन्दगी जीने का मज़ा आ जाएगा ।
शादी सम्पन्न हुई । खूब मजे किये प्रिया ने पाँच दिनों में । अब सबसे विदाई लेने का वक़्त आ गया था । लगभग नौ सालों के बाद वह इतना सुकून पा रही थी । सबके पैर छूते हुए , गले मिलकर वह अपने शहर लौट आयी ।
एक सप्ताह बाद प्रिया के पति विक्रम ने कहा..”इस बार तुम्हारा जाना सफल रहा । जो काम सालों से नहीं करा पाया उसे कुछ दिन में सबने कर दिखाया । तुम्हे वापस उसी तरह से चहल पहल देखकर अच्छा लग रहा है । “नहीं विक्रम ! सबकी बातें सुनकर और वहाँ सब देखकर मुझे लगता है कि मैं काउंसिलिंग करवाऊँ । मेरे अंदर का विकार ठीक होगा ।
विक्रम खुश हो रहे थे सोचकर कि मेरी सलाह पर काउंसलर के पास जाने के लिए ये सोचने वाली लड़की की “क्या मैं पागल हूँ,आज खुद को खुश रखने के लिए बिना कहे ही जाने को तैयार हो गयी ।
अब प्रिया ने ठान लिया था..”उम्र को हराना है और
खुश रहकर हर हाल में दिखाना है ।
#ईर्ष्या
मौलिक, स्वरचित
अर्चना सिंह