दिसंबर में रिटायरमेंट है पूनम जी के पति का। हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट हैं वो।सरकारी (कॉलरी)नौकरी में रहते हुए अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अपने परिवार को भी सहारा दिया था उन्होंने।पत्नी,पूनम ईश्वर में अगाध आस्था रखने वाली थीं।पति को शराब पीने की आदत थी।इस व्यसन की वजह से कार्य क्षेत्र और मोहल्ले में काफी जगहंसाई होती थी उनकी।जो भी जैसी भी सलाह देता,वह हर संभव प्रयास करतीं ताकि,पति की यह आदत छूट सके।
सुबह सवेरे मंदिर में जाकर शंकर जी को जल चढ़ाने में उनकी अद्भुत आस्था थी।मंदिर में जाते हुए आस -पड़ोस की महिलाओं के व्यंग बाण उनकी इस आस्था को डिगा ना सके।वेतन का अधिकतम भाग ही पति अपने शौक की भेंट चढ़ा देते थे।मोहल्ले में कई साल पहले किटी शुरू हुई थी।वो बड़ी मुश्किल से चलाया करती थीं।
हर बार पहले ही पैसा मांगने पर महिलाएं हंसी उड़ाते हुए कहा करतीं थीं”अब इस पैसे से कब तक गुजारा होगा?पति की कमाई तो घर आ नहीं पाती,ऊपर से बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ा रही है।ये आदत भला छूटती है कभी?”पूनम जी चुपचाप खून के घूंट पीती रहीं।ईश्वर के प्रति उनकी आस्था को कभी डिगते नहीं देखा।
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यह उनकी निरंतर भक्ति का ही प्रताप था कि उनके पति ने धीरे-धीरे पीना छोड़ दिया।और तो और पत्नी की तरह ही रोज सुबह नहाकर शिव मंदिर और ठाकुर बाबा में नियमित जल चढ़ाने लगे। मोहल्ले वालों को यह भी रास नहीं आया।पूनम जी की ही एक कथित सहेली ने अपने ग्रुप में यह बात कही”अरे देखना,पूनम भाभी से ज़रा बचकर रहना,पता नहीं घंटों मंदिर में क्या करतीं हैं?पति के ऊपर भी कोई टोटका की होंगीं।अब देखिए रोज़ सुबह मंदिर जाने लगें हैं।ये औरत कुछ ना कुछ तो जरूर जानती है।मैं पक्का कह रही हूं।”सभी महिलाओं ने हां में हां मिलाया।उन सभी के बीच मैं मूक दर्शक बनी सोचती कि क्या यही है समाज?
एक सुबह महिला मंडली से ही खबर मिली कि पूनम जी के पति हॉस्पिटल में एडमिट हैं।वजह पूछने पर मिसेज खरे ने कहा”अरे आप भी क्या बात करतीं हैं?अब इसमें क्या पूछना कि क्या हुआ है?सालों से गले तक पीने वाले को जबरन धार्मिक बनाओगे,तो यही होगा।शरीर ऐंठ रहा होगा।नसों में जकड़न हो रही होगी।किडनी और लिवर लगता है दोनों खराब हो गएं हैं।हमने पूछा तो था,पर वो सही थोड़े बताएगी।”
पड़ोसी धर्म निभाने का जो दायित्व महिलाएं पालन कर रहीं थीं,उसका कोई आंकलन ही नहीं।शाम को हॉस्पिटल में मिलने पर पूनम भाभी रोते हुए बोलीं”भाभी,सच मानिए,लिवर और किडनी सब ठीक है। गॉलब्लैडर में स्टोन है।लोग पता नहीं क्या-क्या बोल रहें हैं?”मैंने भी उन्हें हिम्मत बंधाते हुए कहा “आपको किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं।जो डॉक्टर बोल रहें हैं ,वही सही होगा।आपकी मदद ईश्वर ही करेंगे।वही सब संकट टालेंगे।आप दूसरों की बातों में ध्यान मत दीजिए।”
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कुछ दिनों के अंदर ही पूनम भाभी अपने पति को वैल्लूर के बड़े हॉस्पिटल में दिखाने जाने वाली थीं।”इस महीने की किटी मुझे दे दीजिएगा”सुनते ही महिलाओं में खुसर-पुसर शुरू हो गई।पैसे तो उन्हें दे दिए गए,पर बाद में बहुत सारी मनगढ़ंत बीमारियों पर भी चर्चा हुई।अब पूनम भाभी का बेटा नौकरी कर रहा था।
बेटी ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था।दो साल के लिए लंदन गई थी वह।अपने बच्चों की खबर देते समय हमेशा आंखें डबडबा आती थीं उनकी।बेटी का लंदन जाना कहां हजम हो पा रहा था लोगों से। अनाप-शनाप बातें रटाई गई बेटी के बारे में।भाभी ने एक दिन मेरी एक कविता पढ़कर बोलीं”एकदम सच लिखतीं हैं आप।
इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है।भाभी जब तक दुखी रहो ना,लोगों को बहुत अच्छा लगता है।मैं हमेशा सहेलियों के कंधे पर सर रखकर रोती रही,और वो मुझे ज्ञान देती रहीं।आज बेटी बाहर अपने दम पर गई है,नौकरी करने तो,वही सहेलियां कह रहीं हैं कि,कोई लड़का फंसा लिया होगा।शादी की उम्र तो निकली जा रही है। मां-बाप को बेवकूफ बना रही है लाडो,और मां है कि बन रही है।आप ही बताइए भाभी,आपको ऐसा लगता है क्या?बचपन से देखा है उसे अपने।”
एक मां जिसकी बच्ची ने बचपन से मां के साथ दुख सहते हुए,सपना भी देखा और उसे पूरा भी किया,लोगों के द्वारा अपनी बेटी के अपमान से आहत थी।मैंने बस इतना ही कहा था”आपने अभी तक बहुत दुःख सहा है,साथ में आपके बच्चों ने भी।अब देखिएगा,आपके सुख के दिन आ रहें हैं,तो लोगों को तकलीफ़ तो होगी।आपके शंकर जी ने आपकी आराधना स्वीकार कर ली है।भैया अब बिल्कुल ठीक हो गएं हैं।आप तो सावित्री की तरह उन्हें यमराज से वापस लेकर आईं हैं।
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बोलने दीजिए लोगों को,आप ध्यान मत दीजिएगा।आपकी बेटी का चरित्र प्रमाण-पत्र आपको किसी और से लेने की जरूरत नहीं।”उन्हें बहुत ढाढ़स मिला तो गले लगाकर रोते हुए बोलीं”भाभी,उसने वहां शादी तो नहीं कर ली होगी ना?हमारी नाक तो नहीं कटवाएंगी? उम्र भी हो गई है,उसकी बराबरी के हमारी बिरादरी में अब लड़के भी नहीं मिल रहें हैं।भोले बाबा ने पता नहीं क्या लिखा है उसके भाग्य में।?”
“भोले बाबा लिखा हुआ भाग्य भी बदलने को मजबूर हो जाएंगे,आपकी पूजा पाकर।आपने तो उन्हें सिद्ध कर लिया है।जब आपके दुख के दिन उन्होंने सहन करवा दिए,तो सुख के दिन भी वो ही लाएंगे।”मैं यह बात सिर्फ उन्हें तसल्ली देने के लिए नहीं की थी,बल्कि दिल से विश्वास भी था उनके विश्वास पर।
पूनम भाभी की बेटी लगभग साल भर बाद घर आई थी।काफी दिन हो गए थे,नौकरी से इतनी छुट्टी तो मिलती नहीं।लोगों ने फिर से नई-नई कहानियां बनाना शुरू कर दिया था।पिछले हफ्ते अचानक शाम को रास्ते में उनकी बेटी से मुलाकात हुई।उसकी भूतपूर्व शिक्षक होने के नाते,पूछ ही लिया मैंने”कोई खुशखबरी है क्या बेटा?
बहुत ब्लश कर रही हो?”उसने अचंभे से दबी हुई आवाज में पूछा”मिस आपने कैसे जाना? अभी-अभी शादी की बात पक्की हुई है,जस्ट अभी आधे घंटे पहले।”मेरी खुशी उस मां की आस्था की जीत से थी।वो बोले जा रही थी ,”मम्मी आपको खुद बताएंगी,आज ही।”मेरी आंखों में पता नहीं किस बात के आंसू आ रहे थे।लगभग घंटे भर बाद ही पूनम भाभी मिठाई लेकर आई और गले लगाकर कहा”मेरी दुख की घड़ी में सिर्फ आप मेरे साथ रहीं।
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सहेली तो नहीं थीं आप पर मेरा मनोबल बढ़ाने वाली मेरी सबसे करीबी आप ही थी। आपके आशीर्वाद से बिटिया का रिश्ता पक्का हो गया है।बेटी तो लंदन छोड़ना नहीं चाहती थी,पर भोले बाबा ने क्या संयोग रचा है भाभी?शादी डॉट कॉम में नाम और डिटेल देखकर लड़के ने खुद ही प्रस्ताव रखा। चंडीगढ़ में दोनों ने साथ में ही पढ़ाई की थी।बाद में तो बिटिया लंदन चली गई।वहीं सैटल होना चाहती थी,पर इस लड़के ने समझाया कि शादी करके यहीं रहना हो ,तो मुझसे शादी कर सकती हो।
उसके दादा जी और पापा सेना में अधिकारी थे भाभी।लड़का बहुत सुंदर है।”वह रो -रोकर बताए जा रहीं थीं।मैंने पूछा “अच्छा हुआ भाभी, बहुत अच्छा हुआ।”उनकी आगे की बातों ने मुझे सचमुच नतमस्तक कर दिया।”भाभी वो लोग ब्राह्मण हैं।हमसे ऊंची जाति के हैं।मैंने तो साफ-साफ लड़के की मां से कह भी दिया ,पर उन्होंने कहा”बेटी आपकी शिक्षित ,सुंदर और शालीन है।विदेश में रहकर भी अपनी संस्कृति नहीं भूली है।मेरे बेटे ने गारंटी लेते हुए कहा है कि वह अच्छी और समझदार है।अपने परिवार की इतनी परवाह करती है,तो आप लोगों की भी करेगी।हमें और क्या चाहिए?हम इसी हफ्ते आ रहें हैं सगाई करने।”
हे भगवान!क्या सचमुच किसी की आस्था में इतना बल हो सकता है कि,असंभव भी संभव हो जाए।फोटो देखकर मन गदगद हो गया,तो बोली”भाभी,अब आपके सुख के दिन आ गए। बिल्कुल रोना नहीं।मुझे तो आपको देखकर ही लग रहा है जैसे जीवन के प्रयाग में तीर्थ हो गया। सुख-दुख का ऐसा संगम ,भगवान शंकर ही दिखा सकतें हैं साक्षात।”भावनाओं के आवेग में हम दोनों ही रो रहे थे।आज फिर से इस बात पर विश्वास हो गया कि दुख के बाद सुख जरूर आता है।
शुभ्रा बैनर्जी