रोहन बड़ा खुशमिजाज था,जहाँ नोकरी करता था अंजली भी आई कुछ महीने पहले ,नोकारी नई थी रोहन ने सब काम समझाने में सहायता की ,थोड़ी बहुत बातें हो जाती थीं
धीरे धीरे दोपहर का खाना भी साथ होने लगा और दोनों को अहसास हुआ कि वो एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं ,रोहन ने एक दिन पूछ ही लिया , क्यों न अंजली हम अपना दोपहर का खाना साथ लायें , अंजली ने पूछा कैसे?
शादी करोगी मुझसे फिर हमारा टिफ़िन साथ आया करेगा , अंजली मुस्कुरातीं है ,पसन्द तो वो रोहन को करने ही लगी थी ,हाँ कह देती है ।
जल्द ही दोनों के परिवार मिलते हैं और एक महीने बाद शादी तय हो जाती है ।
रोहन दो दोस्तों के साथ फ्लैट में रह रहा था और अंजली होस्टल में , एक अच्छा सा फ्लैट दोनों ने पसंद कर लिया।
शादी के बाद घूमने गए और फिर आकर सामान्य दिनचर्या शुरू हुई , शुरुवाती महीनों में सब अच्छा चला , सुबह खाने वाली आकर बना जाती थी टिफ़िन ओर बाकी काम भी हो जाते थे ,दोनों ऑफिस साथ ही आते जाते थे । रात का खाना अक्सर अंजली बनाती क्योंकि उसे अपने स्वाद का चाहिए होता था ,कभी कभी रोहन भी हेल्प कर देता कभी मूढ़ नहीं होने पर नहीं भी करता तो अंजली गुस्सा भी करती में भी तो ऑफिस से आईं हूँ ओर काम कर रहिं हूँ,
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इस पर रोहन कहता ,मैने नहीँ कहा तुम करो ,तुम शाम का खाना भी रमा से बनवा लिया करो , क्या करूँ सेम खा कर बोर हो जातीं हुँ इसलिए लगता है शाम का खुद बनाऊं अपनी पसन्द का ,कितने कुक बदल लिए पसन्द ही नहिं आता , आखिर रात का तो मेरी पसन्द का हो , रोहन कहता है अब वो तुम्हारी मर्जी है देख लो पर मुझसे उम्मीद मत करो इस मामले में ,क्यों न करूं आखिर घर दोनों का है तो जिमेदारियाँ भी दोनों की हुईं न ,अरे पर तुम ये अपनी मर्जी से ली हो मैने नहीँ कहा ,तुम्हें खुद शौक है बनाने का इसमें में क्या करूँ ।
कुछ महीने ऐसे ही हल्की फुलकीं नोकझोंक चलती है कभी हेल्प कर देता तो अंजली खुश भी हो जाती , और कुछ महीनों बाद अंजली ख़ुशखबरी देती है रोहन को ,वो पापा बनने वाला है, शुरुवात के महीनों में ऑफिस जाना जारी रखती है , बाद के समय सोचती है क्यों न कुछ समय के लिए जॉब से ब्रेक ले लेती हूं , जिससे वो अपने बच्चे के साथ समय बिताए जॉब फिर से शुरू कर लेगी , ये प्यारा समय वापस नही आएगा सोच कर ।
नियत समय पर प्यारा से बेटा होता है , दोनों बहुत खुश थे नन्हें मेहमान के आने पर, रात को जगाता भी अंजली नींद के कारण और दिनभर काम में लगे लगे उसे चिड़चिड़ापन सा आ गया , रात में संभालने को लेकर बोलती बच्चा अकेला मेरा तो नहीं तुम भी तो रात में जाग कर सम्भाल सकते हो, मुझे ऑफिस जाना होता है ,तुम दिन में सो कर नींद पूरी कर सकती हो , इस पर अंजली कहती कहाँ मिलता है सोने दिनभर हो जाता है कुछ न कुछ करने में , जैसे ही सोने का होता है जाग जाता है ,ऊपर से जल्दी उठ कर टिफ़िन बनाओ तुम्हारा अभी रमा ने छुट्टी ली ये तो, अरे तो मत बनाओ एहसान सा न जताओ ,में बाहर खा लूंगा जब तक रमा नहीं आती ठीक है ।
बच्चे को देखने के कारण रिश्तेदारों का आना जाना भी चलता है ,इस कारण भी अंजली परेशान हो जाती है ,ऊपर से कभी रमा भी छुट्टी ले लेती तो ओर काम बढ़ जाता , सारी खीज रोहन के आने पर निकालती ,रोहन ने कहा तुम सब औरतों को लगता है ,हम जाकर ac रूम में बैठ जातें हैं हम पर भी मानसिक दबाब रहता है , ओर घर दोनों का है तो जिम्मेदारियाँ भी दोनों की हैं ,अभी तुम घर पर हो तो संभालने की अच्छे से कोशिश करो ऊपर नीचे चीजें होती रहती हैं ,तुम तो मेरे घर आने पर सारा गुस्सा सब निकाल देती हो ,कभी में बोलता हुँ आज ऑफिस में कितनी बातें सुनाई बॉस ने,उन्होंने बोला तुमसे नही हो रहा काम ढंग से तो कोई और जॉब देख लो ।
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दरअसल ,न घर संभालना आसान है ,न पैसे कमाना , जरूरत बस ये है कि हम दोनों एक दूसरे के हर छोटे काम को भी बड़ा मान कर तारीफ करें न कि ये जताएं कि इसमें क्या बड़ी बात है सब करते हैं , ओर प्यार में एहसान नहीं होता समर्पण होता है , तुम पर काम ज्यादा हो जाता है माना ,हम पर भी अचानक कोई खर्च आ जाता है ,शादी में गिफ्ट, घर का कोई बड़ा सामान ,घूमना हम भी तो करते ही हैं कैसे भी सामंजस्य बिठाते हैं ,एक फल वाले को भी चिंता होती है कि आज अगर बच गए तो खराब न हो जाएं कम भाव में ही निकाल दुं ,बिजनेस वालों की भी अलग परेशानियां होती हैं , आदमी अपने से ज्यादा अपने परिवार पर खर्च होता है करता है ,यही औरत भी करती है लेकिन जब जिम्मेदारियाँ खुशी खुशी निभाई जाती हैं तो प्यार बढ़ता है ,खुश होकर काम करने में ओर चिढ़ कर काम करने में बड़ा फर्क होता है।
तुमने खुद अभी ये जॉब, राज के लिए छोड़ा है तो खुश होकर ही ये जिम्मेदारी निभाओ , एहसान न जताओ कि मैने ये किया मैंने वो किया , अकेले संभाल रहीं हूँ राज को , में कहूँ कि तुम्हें विदेश घुमाने ले गया ,कोई चीज गिफ्ट की तो एहसान किया ऐसा नहीं है हेना प्यार है परवाह है इसलिए किया ।
हमें बस एक दूसरे की कमियां नहीं निकालनी बल्कि जो भी हम करते हैं एक दूसरे के लिए घर के लिए उसे सराहें , जब घर दोनों का है तो जिम्मेदारी भी दोनों की बराबर हेना ,कभी कम ज्यादा होता है, पर गृहस्थी की गाड़ी तो सामान पहियों पर चलती हैं दोनों बराबर होते हैं कोई कम ज्यादा नहीं ,मेरी भी ग़लती हो जाती है कभी जो तुम्हारे काम को कम आँक जाता हूँ तुम्हें भी मुझे समझना होगा तभी हम दोनों घर की जिम्मेदारी अच्छे से निभा पाएंगें ,तुम्हारे परिवार से कोई आता है में अच्छे से समय देता हूँ तो तुम्हे अच्छा लगता है ,ऐसे ही मेरे परिवार से कोई आता है तुम खुश होकर सबको मिलती ही रहती हो खुशी होती है ये देखकर वैसे भी आजकल किसे समय है अभी सब राज के कारण आ रहे हैं ,ओर न आये यो शायद ये भी हमें अच्छा न लगे देखो आये ही नहीं मिलने ।
अंजली कहती है सच कहा तुमने में खुद काम करती थी तो पता है पैसा यूहीं नही आ जाता हर काम चाहे छोटा हो या बड़ा मेहनत ,मानसिक दबाब तो रहता है ,हम अपनी परेशानियों में सामने वाले को भूल जाते हैं ,अब हम अपने घर की जिम्मेदारी खुशी खुशी निभाएंगे ओर कल तुम्हारी पसंद का लंच भी बनाउंगी , जल्दी उठ कर ,चलो ऑफिस भी है कल कितनी बातें हो गईं आज , और हाँ में भूल न जाऊं कल आते समय जलेबियां जरूर से लेकर आना कब से मन कर रहा है………..
इतने में राज जाग जाता है ,लो जी इनकी अब सुबह हो गई है और दोनों मुस्कुराते हैं ……
नंदिनी
स्वरचित✍️
#जिम्मेदारी