कैसा ये इश्क है ( अंतिम भाग ) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

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आज जैसे ही केशव आया उसने हमेशा की तरह नर्स को फूल दिया मीनाक्षी को देने के लिए पर नर्स ने जब मीनाक्षी को फूल पकड़ाया तो उसने मेज पर रखने को बोल दिया। केशव जब अंदर आया तब मीनाक्षी ने उसकी तरफ देखा भी नही । ये बात केशव को बड़ी अजीब लगी और जब उसने मेज पर रखा फूल देखा तब वो कुछ भी समझ नही पाया कि मीनाक्षी ऐसा क्यो कर रही है । जबकि रोज तो वो मीनाक्षी से नजर चुराता था पर मीनाक्षी उसे प्यार से देखती रहती थी। खैर नही होगा अभी मूड ये सोच उसने इन बातो से ध्यान हटा नर्स से मीनाक्षी की तबियत के बारे मे पूछा और बाहर आने लगा। मीनाक्षी ने एक शब्द नही बोला। केशव बाहर कुर्सी पर आकर बैठ गया। इतने मे सुरेंद्र जी आ गये।

केशव ने देखा मीनाक्षी उनसे चहक कर बात कर रही है मतलब मीनाक्षी उसे नज़रअंदाज कर रही है । नही नही वो गलत सोच रहा है ये सोच उसने अपना सिर झटका दिया।

पूरा दिन बीत गया पर मीनाक्षी ने उससे कोई बात नही की । शाम होते होते केशव का शक यकीन मे बदल गया कि मीनाक्षी उसे नज़रअंदाज कर रही है। क्योकि वो सभी मिलने वालों से , अपने घर वालों से और अस्पताल के स्टॉफ से रोज की तरह बात कर रही थी। थोड़ी देर बाद केशव घर के लिए निकल गया पर उसे आज बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था मीनाक्षी द्वारा यूँ नज़रअंदाज किया जाना उसे तड़पा रहा था। घर आकर उसने खाना भी नही खाया और अपने कमरे मे जा लेट गया।

” क्यो मीनाक्षी तुम क्यो कर रही हो ऐसा । आज मुझसे एक बात नही की तुमने यहाँ तक की मेरी तरफ देखा तक नही !” केशव के दिल से आवाज़ आई।

” सही तो कर रही है वो , तू भी तो यही कर रहा है उसके साथ फिर उसने किया तो इतना बुरा क्यो लग रहा है तुझे। वैसे भी मत भूल तेरा तलाक होने वाला है उससे तब वो हमेशा को तुझसे दूर हो जाएगी  तो ये बेचैनी क्यो ?” तभी उसका दिमाग़ बोला।

” नही नही … मैं मीनाक्षी को दूर कैसे जाने दे सकता हूँ मैं उससे प्यार करता हूँ !” दिल बोला।

” और जो तूने ईश्वर की कसम खाई है उसका क्या ?” दिमाग़ ने कहा। यही सब सोचते सोचते केशव की आँख लग गई।

अगले दिन वो फिर अस्पताल पहुंचा। मीनाक्षी आज भी उसे देख कर भी अनदेखा करने लगी। नर्स ये सब देख रही थी पर समझ नही पा रही थी कि दोनो मे प्यार होते ये दूरी क्यो है ?

” मीनाक्षी एक बात पूछू अगर तुम बुरा ना मानो तो ?” जब मीनाक्षी की पट्टी करते मे वो दोनो अकेली थी कमरे मे तब नर्स ने पूछा।

” नही सिस्टर बुरा क्यो मानूंगी , बोलिये !” मीनाक्षी बोली।

” तुम दोनो पति पत्नी के बीच कुछ हुआ है क्या ? दो दिन से देख रही हूँ तुम उसे देख तक नही रही और पिछले बारह दिन से वो तुमसे दूरी बनाये है । ऐसा क्यो जबकि तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हो ये सबको दिखाई देता है ।” नर्स ने पूछा ।

” नही ऐसा कुछ नही है सिस्टर !” मीनाक्षी ने उदास स्वर मे बोला।

” देखो मीनाक्षी मैं उम्र और तजुर्बे दोनो मे तुमसे बड़ी हूँ। इतना जानती हूँ जब प्यार दोनो तरफ हो तो उसे जाहिर कर देना चाहिए नही तो दूरी के सिवा कुछ हांसिल नही होता । बाकी तुम खुद समझदार हो !” नर्स बोली।

” सिस्टर हमारा तलाक का केस चल रहा है बल्कि तलाक हो भी चुका होता अगर मेरे साथ ये दुर्घटना ना होती !” मीनाक्षी बोली।

” क्या ….लेकिन तुम दोनो की आँखों मे ही एक दूसरे के लिए प्यार दिखता है । बल्कि तुम्हारा पति तो तुम्हारे लिए पागल है वरना कौन इंसान ऐसी बीवी के लिए बीस घंटे तक खड़े हो भगवान से प्रार्थना करेगा जिससे उसका तलाक होने वाला हो । मैं नही जानती तुम दोनो के तलाक की वजह क्या है पर इतना जरूर जानती हूँ ये तलाक हुआ तो तुम दोनो खुश नही रहोगे क्योकि तुम दोनो एक दूसरे के लिए बने हो । समझ नही आ रहा तुम्हारा ये कैसा इश्क है जो बेइंतहा है पर दूरी को मिटा नही पा रहा!” नर्स बोली।

” सिस्टर मुझे कुछ समझ नही आ रहा मैं क्या करूँ !” मीनाक्षी रोते हुए बोली।

” एक बार पहल करके देखो क्या पता वो यही चाहता हो या फिर उसके मन मे कोई और बात हो !” नर्स बोली तब तक पट्टी बंध चुकी थी इसलिए वो चली गई।

नर्स के जाते ही केशव उसके कमरे मे आया अनिता जी तब तक घर गई हुई थी क्योकि अब मीनाक्षी का खाना वही लाती थी अपने हाथ से बना कर ।

” केशव अब मैं ठीक हूँ अब तुम अपनी नौकरी अपने घर वालों को देखो मेरी फ़िक्र करने की जरूरत नही अब !” मीनाक्षी केशव को देखते ही बोली।

” मीनू एक बार तुम पूरी तरह ठीक हो जाओ फिर मैं चला जाऊंगा !” केशव मीनाक्षी की बात सुन उदास हो बोला।

” क्यो तुम्हे इतनी फ़िक्र है मेरी क्या लगते हो तुम मेरे ? तुम भूल रहो हो हमारा तलाक का केस चल रहा है और जल्द तलाक मिल भी जायेगा । और ये तलाक भी तुम्ही चाहते थे ना फिर क्यो ये दिखावा कर रहे हो । चले जाओ तुम यहाँ से मेरा तुमसे कोई रिश्ता नही अब !” मीनाक्षी रोते हुए बोली। मीनाक्षी को रोता देख केशव का मन कर रहा था उसे अपने सीने से लगा ले क्योकि वो समझ चुका था वो दोनो एक दूसरे के बिना अधूरे है । मीनाक्षी का ये एक्सीडेंट भी शायद ईश्वर का कोई इशारा है उन दोनो को दूसरा मौका देने का । किन्तु केशव अपनी कसम का क्या करे जो ईश्वर के समक्ष खाई है उसने ।

” नही नही मैं वो कसम नही तोड़ सकता मेरी मीनू को कुछ हो गया तो ?” केशव मन ही मन बोला और बाहर चला गया।

” क्या बात है बेटा इतना परेशान क्यो हो ?” तभी अनिता जी माधव के साथ अंदर आते हुए बोली।

” मम्मी आप केशव को यहां से भेज दीजिये , आपको पता है मैं उससे कितना प्यार करती थी लेकिन ये भी सच है हमारा तलाक होना है तो फिर क्यो वो यहां है उसे भेज दीजिये आप !” मीनाक्षी गुस्से मे बोली।

” बेटा जितनी फ़िक्र हमें है तुम्हारी उतनी उसे भी है हमने उसे तुम्हारे लिए तड़पता देखा है । ईश्वर से तुम्हारे लिए दुआ करते देखा है । यहाँ तक कि उसे तुम्हारे खाने पीने , दवाई , आराम सबकी फ़िक्र है तुम्हारे लिए उसने अपनी नौकरी तक छोड़ दी ऐसे मे हम कैसे उसे यहां से जाने को बोल सकते है ।” अनिता जी बोली।

” पर मम्मी फ़िक्र तो किसी अपने की होती है ना और आज केशव ने जाहिर कर दिया कि मैं उसकी कोई नही। मुझे तो लगता है ये फ़िक्र भी इसलिए है कि मैं जल्दी से सही होऊँ और हमारा तलाक हो जिससे उसे आजादी मिले इस अनचाहे रिश्ते से ।” मीनाक्षी बोली।

” ऐसा नही है बेटा उसे सच मे सिर्फ तुम्हारी फ़िक्र है !” अनिता जी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली। मीनाक्षी का सब सोच सोच सिर दर्द करने लगा था इसलिए वो अनिता जी और माधव को बाहर जाने को बोल लाइट बंद करवा कर लेट गई।। थोड़ी देर बाद उसकी आँख लग गई । जब उसकी नींद खुली तो उसने केशव को अपने सामने पाया जो बड़े गौर से बस उसे ही देख रहा था ।किन्तु जैसे ही मीनाक्षी जागी वो वहाँ से जाने लगा।

” रुको केशव !” मीनाक्षी ने उसे आवाज़ दी ।

” कुछ चाहिए तुम्हे ?” केशव बोला ।

” हां मुझे वो कॉलेज वाला केशव चाहिए जो अपना प्यार दिल मे नही रखता था , जो मुझे खुद से फूल दिया करता था , जो मेरे प्यार मे कुछ भी कर सकता था , जिसके लिए उसका ईगो उसकी मीनू के आगे कुछ नही था । क्या दे सकते हो तुम वो ?” मीनाक्षी बोली।

” मीनू ये संभव नही अब शायद वो केशव तो कबका मर चुका है !” नज़र घुमाये घुमाये केशव बोला हालाँकि उसकी आंख मे आंसू थे पर वो उसने जाहिर नही किये वैसे भी कमरे मे अंधेरा था थोड़ा ।

” नही संभव है तो ये केशव क्यो तड़प रहा है मेरे लिए अगर वो केशव मर चुका है तो इस केशव मे मुझे उसका अक्स क्यो नज़र आता है । क्यो इस केशव की आँखों मे मुझे इतना प्यार नज़र आता है कि मन करता है दौड़ कर गले लगा लूँ इसे !” मीनाक्षी रोते हुए बोली।

केशव कुछ नही बोला बस चुपचाप आंसू बहाता रहा। इस लम्हा वो बहुत कमजोर हो रहा था अगर वो दो मिनट भी यहां रुकेगा तो अपनी कसम पर अमल नही कर पायेगा इसलिए वो तेजी से बाहर जाने लगा।

” दी पहल आपको करनी होगी क्योकि ये खुद तो ऐसा करेंगे नही !” तभी वहाँ माधव आकर बोला और उसने लाइट जला दी। केशव ने चौंक कर माधव की तरफ देखा क्योकि उसे माधव से ये उम्मीद बिल्कुल नही थी कि वो कुछ ऐसा करेगा। माधव उसकी आँख के आंसू देख पा रहा था पर मीनाक्षी नही क्योकि उसकी तरफ अब तक केशव की पीठ थी।

” माधव रिश्ते एक तरफ से नही जुड़ते और हमारा तो रिश्ता जुड़ने के बाद टूटने की कगार पर है । और अगर केशव को मुझसे दूर ही जाना है इसमे ही खुशी है उसकी तो यही सही अब मैं भी इसे मजबूर नही करूंगी !” मीनाक्षी भी रोते हुए बोली।

” ये कैसा इश्क है जो इतना मजबूर है , दोनो के दिल मे प्यार पर दोनो दूर है। ” ये कहकर माधव ने केशव को मीनाक्षी की तरफ घुमा दिया अचानक से हुआ ये सब जिसके लिए केशव तैयार नही था इसलिए वो अपने आंसू मीनाक्षी से ना छिपा सका ।

बाहर केशव और मीनाक्षी दोनो के माता पिता खड़े थे उन्हे माधव ने ही बुलाया था । उन लोगो की आँखों मे भी आंसू थे।

” ये क्या केशव तुम रो रहे हो पर क्यो तुम तो खुद मुझसे दूर जाना चाहते हो फिर ये आंसू क्यो ?” मीनाक्षी केशव को रोता देख हैरान हो बोली।

” दी ये आंसू आपसे दूर जाने के ही है नही जाना चाहते जीजू भी आपसे दूर पर वो मजबूर है  !” माधव बोला ।

” कैसी मजबूरी ? बोलो केशव कैसी मजबूरी आज तुम्हे बताना होगा ?” ये बोल मीनाक्षी अपने बेड से उठने लगी ।

” नही मीनू तुम मत उठो प्लीज अभी तुम्हारे जख्म हरे है !” केशव उसको वापिस बैठाता बोला।

” हरे तो दिल के जख्म भी है केशव जो पल पल दर्द दे रहे है मुझे । क्या मजबूरी है तुम्हारी जो तुमने मुझसे ये दूरी बनाई है बोलो केशव ?” मीनाक्षी उसकी आँखों मे देखती हुई बोली।

” नही बता सकता मैं तुम्हे । और अब हम एक भी नही हो सकते !” ये बोल केशव तेजी से बाहर जाने लगा।

” वो मजबूरी मैं बताता हूँ दी आपको !” माधव केशव की तरफ देखते हुए बोला।

” नही माधव !” केशव ने उसे रोका।

” दी जीजू ने ईश्वर से अपने और आपके रिश्ते के बदले आपकी जिंदगी मांगी है। साथ ही उन्होंने मुझसे भी वादा किया था कि वो तब तक आपके साथ है जब तक आप सही नही हो जाओगी । फिर वो आपसे बहुत दूर चले जाएगे ।” माधव ने केशव को देखते हुए कहा।

” क्या …!!!” माधव की बात सुनने के बाद सभी हैरान रह गये क्योकि माधव के सिवा ये बात किसी को नही पता थी।

” तुमसे दूर होकर मैं जीकर भी क्या करूंगी इससे तो मुझे मर जाने देते !” मीनाक्षी रोते हुए बोली।

” नही मीनू नही तुम्हे तो मेरी भी उम्र लग जाये । मैं पहले ही अपने व्यवहार से बहुत शर्मिंदा हूँ ऐसा बोल मुझे मेरी नज़रो मे मत गिराओ । क्या हुआ जो तुम्हारी जिंदगी मे मैं नही । तुम्हे इतना प्यार करने वाला परिवार तो है । तुम्हे उनके लिए तो वापिस आना था ना वरना मैं खुद को कैसे माफ़ करता !” केशव बोला। सब चुपचाप उनकी बाते सुन रहे थे बोल कोई नही रहा था कुछ क्योकि वो चाहते थे जो भी फैसला करे ये दोनो खुद करे।

” पर मुझे तो तुम्हारी भी जरूरत है केशव । वैसे भी जो वादा किया तुमने किया मैने नही समझे तुम तो तुम मेरे साथ रहो ना रहो मुझे तुम्हारे साथ रहना है !” मीनाक्षी उसका हाथ पकड़कर बोली।

” मीनू प्लीज !” केशव बोला।

” बेटा कभी कभी भावनाओं मे आ हम ऐसा कुछ बोल जाते है पर इसका मतलब ये नही वही पत्थर की लकीर हो जाये । वैसे भी ये ईश्वर की इच्छा थी कि तुम एक हो जाओ फिर से किन्तु अब कभी अलग ना होने के लिए । इसलिए तो शायद ये सब हुआ जिससे तुम्हे एहसास हो रिश्ता जोड़ना आसान है पर तोड़ना नही वरना ये एक्सीडेंट तलाक के बाद भी हो सकता था  ।” सुरेंद्र जी अंदर आकर बोले।

” हाँ जीजू मैं भी आपको अपने वादे से मुक्त करता हूँ क्योकि मैं समझ गया मेरी दी को आपसे ज्यादा प्यार कोई नही कर सकता । जिस इंसान ने मेरी दी के लिए सब कुछ भुला रखा है इतने दिनों से वो अब मेरी दी को दर्द नही देगा ।” माधव केशव के हाथ मे मीनाक्षी का हाथ दे बोला।

केशव ने सबकी तरफ बारी बारी देखा सब यही चाहते थे ये रिश्ता जुड़ जाये।

” बेटा एक बार तुम लोगो ने अपनी मर्जी से रिश्ता जोड़ा पर अब हम लोगो के कहने से जोड़ लो और इसे जिंदगी भर निभाओ । अपनी ईगो को साइड रख प्यार से रहो !” कैलाश जी बोले।

” चलो चलो बहुत हुआ इमोशनल ड्रामा अब सब बाहर चलो दी जीजू को इस कमरे मे बंद कर देते है जब तक ये सारी उम्र साथ रहने की कसम नही खा लेते तब तक के लिए !” माधव सबके रोते चेहरे देख बोला तो सब हँस दिये और बाहर आ गये।  अब कमरे मे बस केशव और मीनाक्षी थे । केशव अभी भी तय नही कर पा रहा था क्या करना चाहिए उसे।

” केशव हमारे प्यार का फूल मेज पर पड़ा तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है । उसे मुझे सौंप दो इस वादे के साथ कि अब हमारा प्यार कभी कमजोर नही पड़ेगा ! ” मीनाक्षी केशव की आँखों मे आँखे डाल बोली।

” मीनू मुझे माफ़ कर दो प्लीज बहुत बुरा पति हूँ मैं जो इतनी प्यारी पत्नी से दूर हो रहा था उसे तलाक दे रहा था । मुझे माफ़ कर दो आज के बाद कभी तुम्हारा दिल नही दुखाऊंगा , कभी हमारे बीच प्यार के सिवा कुछ नही आएगा कभी तुम्हारा या तुम्हारे परिवार का अपमान नही करूंगा दुनिया क्या कहती है मुझे परवाह नही मुझे बस अपनी मीनू की परवाह है  !” केशव नीचे बैठ मीनू की गोद मे सिर रखकर रोते हुए बोला।

” खबरदार जो मेरी पति को बुरा कहा । केशव तुम्हारे बिना जिंदगी ना कल जिंदगी सी थी ना कल होगी। और हाँ खबरदार जो अब मुझसे दूर जाने की सोची भी तो उससे पहले मैं तुमसे बहुत दूर चली जाऊंगी  !” मीनाक्षी उसका सिर सहलाती बोली।

” नही मीनू मैं ऐसा कभी नही होने दूंगा बस तुम जल्दी से ठीक हो अपने घर चलो जो तुम्हारे बिन अधूरा है । मैं तुमसे वादा करता हूँ इस बार तुम्हे इतना प्यार दूंगा कि तुम सब पुरानी बाते भूल जाओगी !”  केशव ने उसके माथे को चूमते हुए उसे अपनी बाहो मे समेट लिया दोनो इस तरह एक दूसरे के आगोश मे समा गये अब कभी अलग ना होने के लिए।

आख़िरकार केशव और मीनाक्षी का इश्क एक हो गया अब कभी ना अलग होने के लिए ।

समाप्त

दोस्तों ये तो थी कहानी जिसे मैने हैप्पी एंडिंग दी है । किन्तु जिंदगी मे हमेशा हैप्पी एंडिंग नही होती इसलिए रिश्ता बनाओ तो उसे दिल से निभाओ बीच मे ईगो को मत लाओ । क्योकि जिंदगी कहानियो की तरह दूसरा मौका दे ये जरूरी नही । क्या पता कल किसी केशव को प्यार का एहसास हो ही ना पाये। क्या पता कोई मीनाक्षी अस्पताल से घर ही ना आ पाये। क्या पता कोई रिश्ता अदालत की चौखट पर दम तोड़ जाये। इससे पहले संभालो अपने रिश्ते , थोड़ा झुको थोड़ा झुका लो क्योकि ये इश्क है साहब इसमे क्या मेरा क्या तेरा क्यो ना मैं तुम भुला बस हम बन जाये। जिससे प्यार का फूल कभी ना मुरझा पाये।

उम्मीद है आपको कहानी पसंद आई होगी । आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

देरी से कहानी डालने के लिए क्षमा चाहती हूँ । किसी चीज का अंत करना आसान होता है किन्तु नई शुरुआत मे समय लगता है वही समय मुझे लगा है और हाँ ये भाग इतना बड़ा है कि अब किसी को कोई शिकायत नही रहनी चाहिए।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

 

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